गुनगुनी धूप के छाले हैं,
ज़ख्म जो हमने पाले हैं
मातम हर गली में क्यों,
चीखो पुकार वाले हैं
फारिग होकर दुनिया से,
ढूँढेंगें कहाँ उजाले हैं
बदन तुडाकर पूरे दिन,
मिलते दो ही निवाले हैं
तुमने दिलकश आँखों में,
हर्ब कितने संभाले हैं
सुर्ख धुओं के गुच्छों में
रंजो अल्म उछाले हैं
दिन के स्याह उजाले तो
रातों से भी काले हैं
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9 कविताप्रेमियों का कहना है :
sunder! vastvikta ke kareeb
अगर ये गजल है तो पूरी तरह बेबहर है ......... कवि ने भावः अच्छे प्रयोग करने कि कोशिश कि है परन्तु मसाला वही है जो अक्सर गजलों में आता रहता है.
चलिए अच्छा प्रयास है
अरुण अद्भुत
गुनगुनी धूप के छाले हैं,
ज़ख्म जो हमने पाले हैं
इस श'एर को पढ़ के किसी का श'एर याद आया
आतिश्फाशा बन के फट रहे हैं
ज़ख्म जो साल दर साल हम ने पाले हैं
मातम हर गली में क्यों,
चीखो पुकार वाले हैं
सवाल यह है की क्या lafz ' चीखो पुकार ' सही है ? यह चीख ओ पुकार लिखा जाना चाहिए था . जिस तरेह कवि ने लिखा है भ्रम पैदा हो रहा है.
तुमने दिलकश आँखों में,
हर्ब कितने संभाले हैं
साहित्यिक दृष्टि से यह हेर्ब वाली बात कुछ बहुत परिपक्व नहीं लगी
सुर्ख धुओं के गुच्छों में
रंजो अल्म उछाले हैं
बेहतर होता धुओं की जगह धुएँ लिखा गया होता. लफ्ज़ alam होता है न कि alm
मैं अदुभुत साहेब की बात से काफी इत्तेफ़ाक रखता हूँ
'gazal' ko adhik prashansniiya to nahi kaha ja sakta hai, bas thiik hai.
छोटे लयखंड में बात कहना कठिन होता है. आपने कोशिश की है. बात बनते-बनते ही बनेगी. ग़ज़ल तो आपने इसे कहा नहीं है. यही ठीक है, जब तक मुकम्मल न हो किसी विध से न जोडें.
सजीव जी,
बहुत सुंदर लिखा है ,,,यही कहूंगा,,,,
और अब तक आपको छंद मुक्त ही पढा है,,हो सकता है के ये आपका पहला प्रयास हो,,,इसलिए मुझे अच्छा लगा,,,,, बाकी बहर में लाने के लिए खयालो से थोडी छेड़ छाड़ भी करनी ही पड़ती है,,,,,कुछ शब्द छोड़ने तो कुछ लेने पड़ते हैं,,,,इन सब बातों का ज़रा भी ध्यान देंगे तो अगली बार आप बहर में कह पायेंगे,,,
बाकी सलिल जी ने जो कहा है के छोटे लायखंड में बाँधना मुश्किल होता है,,,,इसे ज़रा सा badhaa लेते,,,,,
गुनगुनी धूप के ये छाले हैं,,,,
ज़ख्म हैं जो के हमने पाले हैं,,,
इस तरह से कुछ करके ,,,,,????????????
लय , बहर आदि में पूरी तरह होना आसान नहीं होता |
कोशिश तो अच्छी हुयी है |
रचना के लिए बधाई |
अवनीश तिवारी
bhayi apne dil ko bahut bhayi. kavita hai ya kuch aur aap log tay kar len :)
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