पलकों पर ठहरी है रात की खुशबू
अनकही अधूरी हर बात की खुशबू
साँसों की थिरकन पर चूड़ी का तरन्नुम
माटी के जिस्म में बरसात की खुशबू
पतझड़ पलट गया दहलीज तक आकर
जीत गई अंकुरित ज़ज्बात की खुशबू
अहसास ऐ मुहब्बत परत परत मर गया
जिंदा रही पहली मुलाकात की खुशबू
पलकें झुका के कैफियत कबूल की मगर
ज़वाबों से आती रही सवालात की खुशबू
जुल्फों की कैद में कुछ अरसा ही रहे
उम्र भर आती रही हवालात की खुशबू
कली रो पड़ी हूर के गजरे में संवर कर
भूल ना पाई पडौसी पात की खुशबू
लापता वियाकरण अश'आर से मगर
हर लफ्ज से है "विशेष" बात की खुशबू
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12 कविताप्रेमियों का कहना है :
पलकें झुका के कैफियत कबूल की मगर
ज़वाबों से आती रही सवालात की खुशबू
बहुत सुन्दर लिखा है आपने
दिल खुश हो गया आपकी ये रचना पढ़ कर ...सचमुच बहुत खूबसूरत लिखा है
वाह वाह सहज़ और मीठी गज़ल।
खुशबू जेहन को ताजगी दे रही है. महकते रहिये, महकते रहिये. खुशबू बिना व्याकरण के नहीं होती. जाने-अनजाने, चाहे-अनचाहे व्याकरण की खुशबू हर कविता में होती ही है...कहीं कम, कहीं ज़ियादः.
सुंदर लिखा है विनय जी,
पहले ग़ज़ल की तरह लेने की कोशिश की थी मगर नहीं आयी,,,,
फिर दोबारा भाव पक्ष पर ध्यान देकर पढा तो बेहद आनंद आया,,,
बल्कि आपकी इन खुशबुओं के साथ और भी कई खुशबुयें चली आईं,,,,
मन खुश हो गया,,,,,,,,,,
बहुत सुन्दर गजल विनयजी !
पलकें झुका के कैफियत कबूल की मगर
ज़वाबों से आती रही सवालात की खुशबू
पतझड़ पलट गया दहलीज तक आकर
जीत गई अंकुरित ज़ज्बात की खुशबू
vinay ji sabse jyada dil ko choone
wala sher aapki bagiya me se chun liya sabne ,to humne doosra wala le liya hai.
shaandar lekhan aur lekhni ko pranaam .
सुंदर, ताजगी भरी रचना के लिए बधाई |
अवनीश तिवारी
thank god,,,,,,
bade miyaan यहाँ नहीं हैं,,
विनय जी,
आप भाग्यशाली हैं के आपकी कविता अभी हिंदी उर्दू विवाद से बची हुई है,,,,
मुझे यहाँ भी आना पडा चेक करने के लिए,,,,
जुल्फों की कैद में कुछ अरसा ही रहे
उम्र भर आती रही हवालात की खुशबू...
हर शेर लाजबाब है....
साँसों की थिरकन पर चूड़ी का तरन्नुम
माटी के जिस्म में बरसात की खुशबू..
माटी की सोंधी खुशबू की ही तरह
मन को भावविभोर कर गयी ये सुन्दर ग़ज़ल.
बधाई इस खूबसूरत रचना की विनय जी
सादर !!!
साँसों की थिरकन पर चूड़ी का तरन्नुम
माटी के जिस्म में बरसात की खुशबू
अहसास ऐ मुहब्बत परत परत मर गया
जिंदा रही पहली मुलाकात की खुशबू
पलकें झुका के कैफियत कबूल की मगर
ज़वाबों से आती रही सवालात की खुशबू
जुल्फों की कैद में कुछ अरसा ही रहे
उम्र भर आती रही हवालात की खुशबू
kaya khoob likha sir ji wahaaa!!!
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