डम डम डम डम....
डम डम डम डम डम डम डम डम
बाजे डमरू जमकर....
जय भोले शंकर.... जय भोले शंकर
डम डम डम डम.....
बम बम बम बम....
बम बम बम बम बम बम बम बम
बोलो बम बम मिलकर....
जय शम्भू हर-हर.... जय शम्भू हर-हर
हे मृतुंजय, हे गंगाधर, हे नीलकंठ कामारी
गौरीशंकर रुद्र शिवा-शिव, विपदा हरो हमारी
देवों के दुःख दूर किये प्रभु, स्वंम हलाहल पीकर
कंठ में विषधर, सर पर गंगे शोभित सुर रजनीकर
जय भोले शंकर.... जय भोले शंकर
जय शम्भू हर-हर.... जय शम्भू हर-हर
डम डम डम डम....
हे जग कर्ता, हे जग हर्ता, हे जग के हितकारी
हे महाकाल, हे महाशक्ति, हे कैलाशी त्रिपुरारी
क्रोध युक्त जब किया तांडव, काँपे त्रिपुर थर-थर
भूत गणों की हुँकारों से, गुंजित अवनी अम्बर
जय भोले शंकर.... जय भोले शंकर
जय शम्भू हर-हर.... जय शम्भू हर-हर
डम डम डम डम....
हे नटराजन, हे दुःख भंजन, हम तेरे शरणागत
लिये मनोरथ, कष्ट मिटेंगे, करें दण्डवत शत शत
बलि बालि जायें कोटि काम और, कोटिक चद्र दिवाकर
ऊँचे पर्वत पर त्रिपुरारी, बैठे भस्म रमाकर
जय भोले शंकर.... जय भोले शंकर
जय शम्भू हर-हर.... जय शम्भू हर-हर
डम डम डम डम....
हे देवों के देव उमापति, छाया हम पर कर दो
हे ज्योतिर्लिंग, हे अविनाशी, अंतस ज्योति भर दो
यम के प्राण भी बख्शे तुमने, देवों की विनती पर
हम कर जोडें, हर-हर बोलें, कर दो कृपा सभी पर
जय भोले शंकर.... जय भोले शंकर
जय शम्भू हर-हर.... जय शम्भू हर-हर
डम डम डम डम....
23-02-2009
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14 कविताप्रेमियों का कहना है :
हे नटराजन, हे दुःख भंजन, हम तेरे शरणागत
लिये मनोरथ, कष्ट मिटेंगे, करें दण्डवत शत शत
बलि बालि जायें कोटि काम और, कोटिक चद्र दिवाकर
ऊँचे पर्वत पर त्रिपुरारी, बैठे भस्म रमाकर
जय भोले शंकर.... जय भोले शंकर
महा शिवरात्रि की शुभकामनाऐं.
Regards
मन को शांति देने वाले शब्दों का अद्भुत समावेश, ................ मुझे तो पढ़ते पढ़ते समस्त "शिव तांडव स्तोत्र, शिव पंचाक्षर और rudrashtkam सब याद आ रहे थे. भगवान् शिव को नमन ..................
हे नटराजन, हे दुःख भंजन, हम तेरे शरणागत
लिये मनोरथ, कष्ट मिटेंगे, करें दण्डवत शत शत
बलि बालि जायें कोटि काम और, कोटिक चद्र दिवाकर
ऊँचे पर्वत पर त्रिपुरारी, बैठे भस्म रमाकर
जय भोले शंकर.... जय भोले शंकर
जय शम्भू हर-हर.... जय शम्भू हर-हर
डम डम डम डम....
बहुत खूब राघव जी। शिवरात्री की बधाई।
वाह राघव जी,,,,
आज के दिन ये झुमा देने वाला गीत पढ़वाने के लिए धन्यवाद,,,,,
शिवरात्री मुबारक,,,,
गीत का अगर कुछ संगीत वाला भी जुगाड़ हो जाए,,,तो क्या कहने,,,,
भूपेन्द्रजी .
बहुत ही सधे हुए शब्द | सुंदर अवगुंठन | लेखन की सार्थकता यही है कि जिस भाव को लक्ष्य ले लिखा गया, पढ़ने वाला उससे दो कदम आगे ही पहुचे | आपने शिव-श्रद्धा से सरोबार कर दिया | आभार,
सादर,
विनय के जोशी
राघव ने शिव भक्तिमय, दिया गुंजा स्तोत्र।
शिव भक्तों का एक ही होता है कुल-गोत्र।।
डम-डम, डिम-डिम नाद सुन, कांपे निशिचर-दुष्ट।
बम-बम-भोले नाचते, भक्त तुम्हारे तुष्ट।।
प्रलयंकर-शंकर हरे!, हर हर बाधा-कष्ट।
नेत्र तीसरा खोलकर, करो पाप सब नष्ट॥
नाचो-नाचो रुद्र हे!, नर्मदेश ओंकार।
नाद-ताल-सुर-थाप का, रचो नया संसार॥
कार्तिकेय!-विघ्नेश्वर!, जगदम्बे हो साथ।
सत-शिव-सुंदर पर रखो, दया दृष्टिमय हाथ॥
सदय रहो सलिलेश हे!, हरो सकल आतंक।
तोड़ो भ्रष्टाचार का, तीक्ष्ण-विषैला डंक॥
दिक् अम्बर ओढे हुए, हैं शशीश-त्रिपुरारि।
नाश और निर्माण के, देव अटल असुरारि॥
भूपेंद्र राघव जी,
बहुत सुंदर शब्दों में शिव अराधना की गई है..रचना पढ़ते पढ़ते मन भावः विभोर हो गया.
शिव रात्रि की शुभकामनाएं
बहुत अच्छी रचना...महा शिव रात्रि की बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं..
कितना सुंदर गीत है .आपने है लिखा
पढ़ दिल झूमा और मन हर्षित हुआ
saader
rachana
प्रिय भूपेन्द्र,
साधुवाद-शिव आराधना पर-यहीं एक बात और कहने का मन है-
Indian are not idol worshiper they worship idea behind idol
मेरे लिये शिव-मूर्ति-
१ शीश पर
जटा,गंगा, चंद्रमा चंदन का त्रिपुंड,-
मन-मस्तिष्क को शांत रखने के संदेश
२ कंठ- में विष,गले में नाग
शत्रु को भी मित्र बनाने का संदेश-विष कंठ में धारण -विष-पान नहीं माने विष पिया तो मृत्यु,या विषैला होने की संभावना,
३-सवारी नादिया-पशुबल का प्रतीक,कटि में बाघचर्म-नाम पशुपतिनाथ
माने हम अपने भीतर बैठे पशु पाशविक्ता जो स्वंयं शक्ति है] को पहचाने उसे या तो नादिये
की भांति साध लें या उसे खत्म कर बाघचर्म सा उपयोगी बनायें,पशुपति नाथ ,संकेत हैं पाशविक शक्ति का स्वामी बनें ,दास नहीं
४- त्रिशूल-प्रतीक है-कि दैहिक,दैविक,भौतिक कष्ट तो आयेंगे ही ,पर साथ बंधा डमरू प्रेरणा देता है जीवन के आनन्द को न भूलें
पुन: अच्छी ्सार्थक रचना पर बधाई
श्यामसखा श्याम
अद्भुत!
शिव-अराधना पढ कर दिल को बेहद सुकून मिला। शब्दों का चयन एवं संयोजन काबिले-तारीफ़ है।
हे देवों के देव रमापति, छाया हम पर कर दो
हे ज्योतिर्लिंग, हे अविनाशी, अंतस ज्योति भर दो
आपके साथ हम भी प्रार्थना में शामिल हो जाते हैं।
राघव जी की विशेषता है की देर से ही सही ,एक धमाकेदार उपस्थिति होती है ,इनके काव्य संग्रह में नित नवीन रचनाएं मिलती हैं ,ताजे बागानों के ताजे फलो के मानिंद ,
"शिव जी की स्तुति साथ में श्याम जी की व्याख्या दोनों ही मन को बहुत भायीं "
राघव जी
काफी समय बाद आपकी कोई रचना आई
शिव आराधना मे बहुत सुनएदर शब्दो का प्रयोग किया,
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' जी,
आपकी प्रस्तुति भी बहुत अच्छी लगी
श्याम जी,
आपके द्वारा शिव मूर्ति का वर्णन भी बहुत अच्छा लगा,
वैसे यदि देखा जाए तो हमे बताई गई बहुत सी चीजो का वैज्ञानिक आधार होता है जैसे तुलसी के पौधे की पूजा की जाती है क्योकि वो और पौधो कि तुलना मे आठ गुना ज्यादा आक्सीजन देता है
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