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Sunday, February 15, 2009

उर्दू और हिन्दी गज़ल में मोटे तौर पर मात्र दो बातों का अन्तर है


गज़ल कहना या लिखना शुरू करते हैं
उर्दू और हिन्दी गज़ल में मोटे तौर पर मात्र दो बातों का अन्तर है
एक-
क्लिष्ट उर्दू शब्दों का प्रयोग [अगर संस्कृतनिष्ठ हिन्दी शब्दों का प्रयोग होगा तो]हिन्दी भी क्लिष्ट
हो जाएगी।[ क्लिष्ट शब्द ,वे शब्द जो आम बोलचाल की भाषा में प्रयोग नहीं होते और आम आदमी की
समझ में उनका अर्थ नहीं आता=आम आदमी का मतलब किसी आबादी का बहुमत चाहे पढ़ा-लिखा हो या
अनपढ ]
दो-
उर्दू समास का प्रयोग यथा= काबिले-गौर-हिन्दी व्याकरण में हम इसे गौर के काबिल ही कहेंगे।और
कुछ लोगों का मानना है कि इस समास प्रयोग के बिना गज़ल लिखना संभव नहीं।पर ऐसा नहीं है
आगे चल कर हम इसके उदाहरण भी देंगे।


उर्दू में गज़ल लिखने का कि बजाय गज़ल कहना ज्यादा सही,नफ़ासत की बात मानी जाती है।क्यों ?
शायरों का मानना है कि गज़ल [मैं तो कहूंगा हर कविता दिल में निर्झर की तरह फूटे तभी मर्म को छूने
वाली रचना हो सकती है,अत: वे कहते हैं लिखी तो ‘इमला’ जाती है,अज़ल तो कही जाती है।
तो गज़ल कहने के लिये रुक्न [खण्ड] जानना आवश्यक पर सारे लगभग ३० रूक्नों का ज्ञान कतई जरूरी नहीं है।
कुल आठ-दस भी रूक्न जान कर कोई भी बखूबी गज़ल कह सकता है।
ये आठ दस रुक्न हैं ये
पहले हम फ़ऊलुन को लेते हैं,फिर इन१० रुक्नों को बारी-बारी लेंगे
फ़ऊलुन=चलाचल=१ २ २
इस रुक्न को दो,तीन या चार बार दोहरा कर गज़ल बन सकती है यथा- १२२,१२२,=१० मात्रा या१२२, १२२,१२२, =१५ मात्र
या१२२, १२२, १२२,१२२= २० मात्रा,कभी-कभी इनके अन्त में फ़ऊ=१२ भी जोड़ा जा सकता है तब बह्र का वज्न होगा
यथा- १२२,१२२,१३=१३ मात्रा या१२२, १२२,१२२,१२ =१८ मात्रा या१२२, १२२, १२२,१२२ १२= २३ मात्रा।
अब इस बहर की एक गज़ल की गणना कर के देखते हैं।

बने फिरते थे जो जमाने मे शातिर
पहाड़ों तले आये वे ऊंट आखिर

छुपाना है मुशकिल इसे मत छुपा तू
हमेशा मुह्ब्बत हुई यार जाहिर

बना क़ैस ,रांझा बना था कभी मैं
मेरी जान सचमुच मैं तेरी ही खातिर

खुदा को भुलाकर तुझे जब से चाहा
हुआ है खिताब अपना तब से ही काफिर

बनी को बिगाड़े, बनाये जो बिगड़ी
कहें लोग हरफ़न में उस को तो माहिर

मुझे छोड़कर तुम कहां जा रहे हो
हमीं दो तो हैं इस सफर के मुसाफिर

तेरी खूबियां 'श्याम' सब ही तो जाने
खुशी हो कि ग़म तू हरदम है शाकिर

गणना या तकतीअ
बने फिर ते थे जो जमाने मे शातिर
१२ २, २ २ १ २ २ २ २
पहाड़ों तले आ ये वे ऊंट आखिर
१ २ २, १२ २, २ २. १ २ ११=२

छुपाना है मुशकिल इसे मत छुपा तू
१२ २, २ २ ११ २ २
हमेशा मु ह्ब्बत हुई या जाहिर
१२ २, १ २ २ १ २ २ ११

बना क़ै स ,रांझा बना था कभी मैं
१२ २, १ २ २ १ २ २ १ २ २
मेरी जा न सचमुच मैं तेरी ही खातिर
१२ २, १ २ २ २ २ २ २

खुदा को भुलाकर तुझे जब से चाहा
१२ २, १ २ ११ १ २ ११ २ २
हुआ है खिताब अप ना तब से ही काफिर
१२ २, १ २ २ २ २ १ २ २

यहां खिता के बाद ब+अप=बप और ना कि मात्रा गिर जाएगी
हुआ है खिताबप ना तब से ही काफ़िर
१ २ २ १ २ ११ १ ११ २ ११
इस क्रिया को मदग्म होना कहा जाता है
यानि किसी लघु के बाद अगर स्वर अ,आ,इ,ई उ,ऊ,ओ,औ,आ जाये तो
वह दोनो मिल सकते हैं और देखें याद आता वैसे २१२२,=७ मात्रा है
लेकिन इसे यादाता=२२२= ६ मात्रा भी किया जा सकता है गज़ल नियमनुसार=संगीत
नियमानुसार भी



बनी को बिगाड़े, बनाये जो बिगड़ी
१ २ २ १ २ २ १ २ २ २ २
कहें लो ग हरफ़न में उस को तो माहिर
१ २ २ १ १ १ १ १ १ २ १ २ ११
मुझे छो ड़कर तुम कहां जा र हे हो
१ २ २ ११ ११ १ २ २ १ २ २
हमीं दो तो हैं इस सफर के मुसाफिर
१ २ २ ११११ २ १ २ ११
तेरी खू बियां 'श्या म' सब ही तो जाने
१ २ २ २ २ १ १ २ १ २ २
खुशी हो कि हो ग़म तू हरदम है शाकिर
१ २ २ १ २ ११ ११११ १ २ ११

मित्रो एक बात और जहां
लाल रंग में है,वहाँ न केवल लघु अनिवार्य है अपितु वह गिरा कर भी बनाया ज सकताहै
उसी तरह नीले रंग में चिह्नित दो लघुओं को गुरू गिना जा सकता है जैसे अन्तिम पंक्ति मे हरदम के चार लघु को
गुरू या शाकिर के किर को दो लघु के स्थान पर एक गुरू
,इस के बाद और किसी रुक्न से बनी गज़ल पर बात करेंगें


आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

24 कविताप्रेमियों का कहना है :

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

इसका अर्थ है कि इस रुक्न के लिए केवल १२२ मात्रा को ३-४ या अधिक बार उपयोग करे |

क्या मिसरों के कुल मात्राओं पर भी कोई सख्त नियम है ? मेरे ख्याल से ऐसा नहीं होना चाहिए |
कृपया उत्तर दीजिये यदि समय मिले |

धन्यवाद

अवनीश तिवारी

Anonymous का कहना है कि -

काफिये घायल हैं जिनके लडखडाती है बहर
उनकी चाहत उनसे सीखें सब गजल का व्याकरण

Unknown का कहना है कि -

बहुत अच्छी जानकारी श्याम जी,

अब समझ आ रहा है कहा पर किस शब्द को कैसे गिनते है और कहा पर मात्रा गिराई जा सकती है,
थोडे प्रयास के बाद इसे अच्छी तरह सीख जाऊँगा

Unknown का कहना है कि -

अनाम महोदय,
दूसरो को कहने से पहले अपने काफिये, रदीफ तो संभाल लो, आप अभी काफिया रदीफ समझ कर आये तब बहर की बात करना, और छुप कर कहने की बजाय सामने आ कर कहे जो कहना है

Unknown का कहना है कि -
This comment has been removed by the author.
Unknown का कहना है कि -

अनाम महोदय
यदि सीखना चाहते हो तो काफिये रदीफ की जानकारी के लिए लिंक मैं भेज दूँगा,
अपना ई मेल का पता यहा लिख दीजिये, और बेकार की टिप्पणी करने के बजाये कुछ सीखने की कोशिश कीजिये

Anonymous का कहना है कि -

अनाम जी,यह बेरदीफ़ गज़ल है
शातिर,आखिर,जाहिर,खातिर,काफिर,माहिर,मुसाफिर,
शाकिर अब इनमें भी आपको कमीं लगी तो सदके आप के उरूज ज्ञान पर,
तिवारी जी जहाँ तक मैं जानता हूं,मिसरो या मात्रा की गिनती पर कोई नियम नहीं है,हाँ बहर की लम्बाई
संगीत के हिसाब से लड़खड़ाये नहीं।बहुत लम्बी बहर निभाना गज़ल्गो और गायक दोनो पर भारी न पड़े यह ध्यान तो रखना ही होगा श्याम सखा

Anonymous का कहना है कि -

रौशनी बेअसर न हो जाए
जग अंधेरों का घर न हो जाए
चंद उस्ताद मिले हैं ऐसे
अब गजल बे-बहर न हो जाए

Prem Chand Sahajwala का कहना है कि -

vowel (अ आ इ ...) को merge करने के कुछ खूबसूरत उदहारण इस प्रकार हैं:

अगर और जीते रहते, यही इंतज़ार होता = अगरौर जीते रहते यही इंतज़ार होता (गालिब)

गम अगरचे जाँ गुसिल है पे कहाँ रहें कि दिल है = गमगर्चे जाँ गुसिल है पे कहाँ रहें कि दिल है (गालिब)

आख़िर इस दर्द की दवा क्या है = आखिरिस दर्द की दवा क्या है (गालिब)

देखा है जिंदगी को कुछ इतना करीब से = देखा है जिंदगी को कुछितना करीब से (साहिर लुधियानवी)

ऐसे उदाहरण ढेरों हैं.

Prem Chand Sahajwala का कहना है कि -

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अगर और जीते रहते, यही इंतज़ार होता = अगरौर जीते रहते यही इंतज़ार होता (गालिब)

गम अगरचे जाँ गुसिल है पे कहाँ रहें कि दिल है = गमगर्चे जाँ गुसिल है पे कहाँ रहें कि दिल है (गालिब)

आख़िर इस दर्द की दवा क्या है = आखिरिस दर्द की दवा क्या है (गालिब)

देखा है जिंदगी को कुछ इतना करीब से = देखा है जिंदगी को कुछितना करीब से (साहिर लुधियानवी)

ऐसे उदाहरण ढेरों हैं.

Yogi का कहना है कि -

Another very very useful post on Hind-yugm.



my sincere thanks to You.



Thanks a lot.

Keep sharing your knowledge.

तपन शर्मा Tapan Sharma का कहना है कि -

श्याम जी,
एक अच्छी पोस्ट के लिये शुक्रिया

"अर्श" का कहना है कि -

shyam ji namaskar,
vowel ko murj karne ka achha udaharan diya aapne ... upyogi jaankari di aapne ....

abhaar aapka..

arsh

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