फिर आया फागुन
रंगों की बहार
तुम भी आजाओ
ये दिल की पुकार
टेसू के फूलों ने
धरती सजाई
अबीर, गुलाल ने
चाहत जगाई
कोयल की कुहू
डसे बार- बार
तुम भी आ जाओ…….
खिलती नहीं दिल में
भावों की कलियाँ
सूनी पड़ी मेरे
जीवन की गलियाँ
तुम बिन ना मौसम में
आए बहार
तुम भी आजाओ…..
रंग दो मुझे फिर से
अपने ही रंग में
आँखों को दे जाओ
फिर वो ही सपने
झंकृत करो मन की
वीणा के तार
तुम भी आजाओ
ये दिल की पुकार
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11 कविताप्रेमियों का कहना है :
एक सुंदर , लयात्मक गीत है |
बधाई |
अवनीश
शोभा जी,
बहुत प्यारा गीत...
shabha ji,
sahi mausam par,,,,ekdam sahi geet,,,,
bilkul theek samay par ye rachnaa padhaai aapne,,,,,,,,,,
badhaai ho,,,,,faalgun ki,,,,,,
फाल्गुन की मस्त बयार व रंगों से सरोबार गीत
सादर !!
क्या सुंदर चित्रण है मन आनन्दित हुआ
सादर
रचना
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