आज
का युवा
मेहनती है ,फुर्तीला है
उसके भीतर भरा
जानकारियों [इन्फर्मेसंस ] का कबीला है
वह चाहता है
उड़ना आकाश में
और सिर्फ़ सितारे छूना भर
नहीं रह गयी है
उसकी हसरत
वह तो पकड़ना चाहता है
सूरज को
बल्कि ठीक कहूँ तो
तो उसकी तमन्ना है
ख़ुद ही सूरज हो जाने की
सूरज होना या
सूरज होने की तमन्ना करना
कोई ग़लत बात नहीं है
उसका सूरज भी
असल में एक
आदमी ही है
नाम है उस सूरज
या आदमी का
बिल -गेट्स
मगर
वह भूल जाता है की
बिल बनने के पीछे
थी खड़ी लिंडा गेट्स
और उसकी दो मासूम प्यारी बच्चियां
जब की
अधिकांस युवा
चाहते हैं यह दौड़
अकेले ही दौड़ना
घर- परिवार
माता- पिता
पति या पत्नी
यहाँ तक की बच्चों
को भी पीछे छोड़
सूरज बनने को
लगता है दौड़
और जब नहीं बन पाता
सूरज
वह
बन बैठता है
ओसामा
जैसे हर आदमी नहीं बन
सकता सूरज
ठीक वैसे ही
हर
ओसामा भी
बम नहीं फोड़ता -फोड़ सकता
पर
वह तोड़ सकता ही
प्यार का बंधन को
घर को परिवार को
इस नाकामी और नफरत
के ज्वार में
क्योंकि
भूल जाता ही वह
कि
प्यार ही
ही वह उर्जा
जो बनाती ही
आदमी को
इंसान
बेहतर इंसान
और
कुछ भी कहें आप
इंसान होना ही
बेहतर है
सूरज या सितारा होने से
क्योंकि
केवल
इंसान ही
देख सकता है
सपने
और केवल
इंसान ही
कर सकता
प्यार
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5 कविताप्रेमियों का कहना है :
केवल
इंसान ही
देख सकता है
सपने
और केवल
इंसान ही
कर सकता
प्यार
मन के उद्गार ,सच्चे ,सरल ,सहज शब्दों में
श्याम जी
उत्तम कविता !
सादर !!
चाहते हैं यह दौड़
अकेले ही दौड़ना
घर- परिवार
माता- पिता
पति या पत्नी
यहाँ तक की बच्चों
को भी पीछे छोड़
सूरज बनने को
-- बहुत प्रभावी लगी |
बधाई |
अवनीश तिवारी
soch samajh baalon ko thodi naadani do maula ,aapki kavita bahut achchi lagi ,hind yugm ko aap jaise nekdil ,saral insaan ka saath aur aashirvaad hai .
aur kya chaahiye shaaym ji ,
इसमें बातें तो सच्ची है, लेकिन 'लय' कह लें या 'प्रवाह' कह लें, उसका बहुत अभाव है। मुझे कुछ पंक्तियाँ अनावश्यक लगीं।
जैसे-
तो उसकी तमन्ना है
ख़ुद ही सूरज हो जाने की
सूरज होना या
सूरज होने की तमन्ना करना
कोई ग़लत बात नहीं है
में
सूरज होना या
सूरज होने की तमन्ना करना
कोई ग़लत बात नहीं है
ना कहते तब भी काम चल जाता।
पूरी कविता को एक बार और पढ़ें आपको लगेगा कि कई जगह टंकण की अशुद्धियाँ भी हैं।
मैं शैलेश से कुछ हद तक सहमत भी हूँ |
कुछ खट पट सा लगता तो है संतुलन में | :)
अवनीश तिवारी
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