हो गया इतिहास लोहित
यदि हमारे ही लहू से
है खड़ा विकराल अरि
द्रुत छीनता विश्रान्ति भू से
बादलों की हूक से
पर्वत-हृदय डरते नहीं हैं
स्वप्न यूँ मरते नहीं हैं
तीन रंगों से बनी जो
है वही तस्वीर प्यासी
भारती के चक्षु कोरों
पर उगी कोई उदासी
किंतु ये मोती पिघलकर
धीरता हरते नहीं हैं
स्वप्न यूँ मरते नहीं हैं
यह नहीं दावा कि
सोते पर्वतों से चल पड़ेंगें
या कि सदियों से सुषुप्त
ललाट पर कुछ बल पड़ेंगें
पर अवनि के पार्थ
यूँ गाँडीव को धरते नहीं हैं
स्वप्न यूँ मरते नहीं हैं
है कठिन चलना अगर
कठिनाइयों के पत्थरो पर
विश्व हेतु उठा हलाहल
को लगाना निज- अधर पर
शंकरो पर विषधरो के
विष असर करते नहीं हैं
स्वप्न यूँ मरते नहीं हैं
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23 कविताप्रेमियों का कहना है :
आलोक जी
इतनी भावः पूर्ण, शशक्त कविता के लिए बधाई
वीर रस के प्रवाह मैं डूबी कविता
आपने तो जोश भर दिया नस-नस में!
मेरी पसन्दीदा शैली की कविता :)
क्या बात है आलोक जी...
प्रवाहपूर्ण, ओजयुक्त कविता बहुत पसन्द आयी..
हो गया इतिहास लोहित
यदि हमारे ही लहू से
है खड़ा विकराल अरि
द्रुत छीनता विश्रान्ति भू से
बादलों की हूक से
पर्वत-हृदय डरते नहीं हैं
स्वप्न यूँ मरते नहीं हैं
बहुत ही सुन्दर........
"शंकरो पर विषधरो के
विष असर करते नहीं हैं"
आप एक उत्कृष्ट शब्दशिल्पी हैं, इसमें कोई दो राय नहीं...
alok ji bahut achchhi kavita likhi hai aapne
ऒजपूर्ण आशावादी कविता के लिये आपको नमन ॰॰॰॰॰॰॰॰ आलोक जी बहुत ही प्रभावशाली लेखन है आपका ॰॰॰॰॰॰ शुभकामनायें॰॰॰
जोश ला दिया आलोक जी
तीन रंगों से बनी जो
है वही तस्वीर प्यासी
भारती के चक्षु कोरों
पर उगी कोई उदासी
किंतु ये मोती पिघलकर
धीरता हरते नहीं हैं
स्वप्न यूँ मरते नहीं हैं
बहुत सुन्दर और दिल को छू जाने वाली अभिव्यक्ति।
lomharshak kavita.rongate khade kar diye bhai ji.mastam masta!
ALOK SINGH "SAHIL"
शंकरो पर विषधरो के
विष असर करते नहीं हैं
स्वप्न यूँ मरते नहीं हैं
sundar shabd sanyojan ke saath sundar bhaav - nishabad hai ham .BAHUT BAHUT BADHAAII---SEEMA SACHDEV
डा. रमा द्विवेदीsaid...
अत्यन्त ओजस्वी कविता एवं सुन्दर शब्द चयन-लय बहुत खूब...ये पंक्तियां दिल को छू गईं....बधाई व शुभकामनाएं।
है कठिन चलना अगर
कठिनाइयों के पत्थरो पर
विश्व हेतु उठा हलाहल
को लगाना निज- अधर पर
शंकरो पर विषधरो के
विष असर करते नहीं हैं
स्वप्न यूँ मरते नहीं हैं
बेहद खूबसूरत रचना....
बारम्बार बधाई
है कठिन चलना अगर
कठिनाइयों के पत्थरो पर
विश्व हेतु उठा हलाहल
को लगाना निज- अधर पर
शंकरो पर विषधरो के
विष असर करते नहीं
कितना सुंदर कहा है शब्दों का सुंदर चयन कविता को और भी मोहक बनता है
सादर
रचना
श्रेष्ठ शब्द संयोजन | अविरल प्रवाह | प्रेरणास्पद शब्द |
आभार |
कुशल शब्द संयोजन-सार्थक अभिव्यक्ति--
सुंदर--अतिसुंदर--।
--सच कहूँ तो प्रशंसा के लिए शब्द नहीं जुटा पा रहा हूँ---
आभारी हूँ कि आपने ऐसी कविता पढ़ने का अवसर दिया।
--देवेन्द्र पाण्डेय।
स्वप्न कभी नहीं मरते,खासकर जिनके हौसले बुलंद होते हैं......एक सशक्त रचना,जो आह्वान करती है
वीर रस से परिपूर्ण ओजस्वी कविता पढ़ाने के लिये धन्यवाद। आज यह कविता मैने उसी धारा प्रवाह गति से पढ़ा जो कभी रणभीर चौकड़ी को पढ़ा था। बधाई
आलोक,
समयोचित रचना दी है|
पार्थ को कहो अब चलाये बाण,
अब युध्ध में ही है कल्याण|
ना चले सृजन के कर्म,
तब युध्ध ही है युगधर्म|
Just awesome Shanker ji....we are waiting for another one....keep writing...!!
-PRADEEP
Alok ji! realy a wonderful poem...
"स्वप्न यूँ मरते नहीं हैं "
शीर्षक अपने आपमें पूर्णता लिए हुए जोशीले शब्दों का संग्रह है
सारी कविता का प्रवाह इसमे बखूबी समाया हुआ है
भावपूर्ण रचना !!
धन्यवाद
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