अधीर हृदय सुनता झंकार
बसी पायलों मे मधु पुकार;
नख शिखा कर यौवन शृंगार
पुकारता मुझको बार बार ।
चेतना का मधुरिम संकेत
हृदय बसा सुकोमल आनंद;
ले कल्पना की मुक्त उड़ान
रूपसी संग भ्रमण सानंद ।
उज्जवल झरनों सी मुस्कान
लहराती शीतल मधुर गान;
प्रेम अनुभूति लेकर हिलोर
छेड़ती अंतस अभिनव तान ।
निस्सीम नभ सी प्रीत अनंत
असीम व्योम तल मृदु उल्लास;
संचित निधि तन अतुल सौगात
लहराती अंचल वपु विलास ।
निखरता स्वर्ण सा दमक गात
पुलकित झोंका अल्हड़ बयार;
ओढ़ चुनर धानी लता भासा
प्रकृति संग करती नयन चार ।
छंद में बंध कमनीय पास
सुंदरता की विभूति अपार;
संबल बन यौवन अनुभूति
जीवन हर्षित सुखद गुंजार ।
खन - खन बिखरी हंसी अभिराम
जड़ में सहज चेतन का भान;
चंचल नयना चपल वाचाल
मूक निमंत्रण मौन रसपान ।
बिखराती मलय देह सुकांत
अलस उषा निरखती अविराम;
मंद मलंद मोहक गति पांव
प्रकृति चकित रुक करती विश्राम ।
सुशोभित अनुकृति सुघड़ निहार
कानन कुसुम विस्मृति मुस्कान;
वाणी सुमधुर सप्त सुर गान
कोकिल कण्ठ, लय वीणा तान ।
संयम तोड़ रहा वृहत बांध
उमड़ अनुराग तरंग अबाध;
पुकारता मुझको बार - बार
कुसुमित वैभव यौवन निर्बाध ।
कवि कुलवंत सिंह
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7 कविताप्रेमियों का कहना है :
संयम तोड़ रहा वृहत बांध
उमड़ अनुराग तरंग अबाध;
पुकारता मुझको बार - बार
कुसुमित वैभव यौवन निर्बाध ।
वाह! बहुत अच्छी कल्पना है और भाषा का तो कहना ही क्या बधाई।
KUCHH KHAS KAR PANE KI ACHHI KOSHISH.ACHHA LAGA
alok singh "sahil"
सुशोभित अनुकृति सुघड़ निहार
कानन कुसुम विस्मृति मुस्कान;
वाणी सुमधुर सप्त सुर गान
कोकिल कण्ठ, लय वीणा तान
कितना सुंदर चित्रण है पूरी कविता में ही ये विशेषता है की बहुत सुंदर तरीके से प्यारे शब्दों के साथ बात कही गई .कुछ अछूते शब्दों का भी प्रयोग किया है जिससे कविता बहुत ही अच्छी बन पड़ी है .
सादर
रचना
बिखराती मलय देह सुकांत
अलस उषा निरखती अविराम;
मंद मलंद मोहक गति पांव
प्रकृति चकित रुक करती विश्राम ।
कुलवंत जी बहुत सुंदर शब्द संयोजन बधाई -श्याम सखा श्याम
कुलवंत जी कविता कुछ जय शंकर प्रसाद जी की "कामायनी" की तर्ज पर ही बनी है ,
sochti thi ab kaun likhta hoga aisa ,magar aap likh rahe hain ,
saadhuvaad sweekaaren
बहुत लाजवाब रचना !
रामराम !
ek satik......
aur sadhi hui rachna........
मैंने मरने के लिए रिश्वत ली है ,मरने के लिए घूस ली है ????
๑۩۞۩๑वन्दना
शब्दों की๑۩۞۩๑
आप पढना और ये बात लोगो तक पहुंचानी जरुरी है ,,,,,
उन सैनिकों के साहस के लिए बलिदान और समर्पण के लिए देश की हमारी रक्षा के लिए जो बिना किसी स्वार्थ से बिना मतलब के हमारे लिए जान तक दे देते हैं
अक्षय-मन
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