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Thursday, November 20, 2008

अब न धड़कता दिल मेरा


अब न
मचलता दिल मेरा
अब न
धड़कता दिल मेरा ,
एक निशा झोली में डाले
भोर से पहले विदा हुए
क्षितिज पथ, अनहद प्रतीक्षा
नयन सावन एक हुए
साँस आखरी, वंदे मातरम
उल्लासित मन
क्षत विक्षित तन
रक्त श्वेद श्रृंगार धरे ,
धूल धरा तुम एक हुए
आज गर्व से मस्तक ऊँचा
पर नही शेष कुछ जीने में
जिस पत्थर से चूड़ी तोडी
उसे रख लिया सीने में
अब न
धड़कता दिल मेरा
अब न
मचलता दिल मेरा
.
विनय के जोशी

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14 कविताप्रेमियों का कहना है :

Anonymous का कहना है कि -

vinay ji,bahut hi laajwab likha hai aapne.visheshkar ye pankti khasi janchi-
आज गर्व से मस्तक ऊँचा
पर नही शेष कुछ जीने में
bahut bahut dhanywaad itni sundar kavita padhwaane ke liye.
ALOK SINGH "SAHIL"

Anonymous का कहना है कि -

आज गर्व से मस्तक ऊँचा
पर नही शेष कुछ जीने में
जिस पत्थर से चूड़ी तोडी
उसे रख लिया सीने में
हाँ कभी सीने पे पत्थर रखना पड़ता है पर जब मन में वंदे मातरम हो तो गर्व से मस्तक ऊँचा होही जाता है
सुंदर लिखा
सादर
रचना

सीमा सचदेव का कहना है कि -

आज गर्व से मस्तक ऊँचा
पर नही शेष कुछ जीने में
जिस पत्थर से चूड़ी तोडी
उसे रख लिया सीने में
इससे आगे कहने को कोई शब्द ही नही है .......सीमा सचदेव

Ria Sharma का कहना है कि -

शब्दों का चयन खूबसूरत रहा
धन्यवाद

Anonymous का कहना है कि -

एक निशा झोली में डाले
भोर से पहले विदा हुए
क्षितिज पथ, अनहद प्रतीक्षा


रक्त श्वेद श्रृंगार धरे ,
धूल धरा तुम एक हुए
आज गर्व से मस्तक ऊँचा
पर नही शेष कुछ जीने में
*****************************

vinay ji..bahut sahi likha hai aapne...badhai!!
simply awesome....selection of words...n its use is nice...
keep it up!!


-------------------
randhir kumar..
www.randhirraj.blogspot.com

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

विनय जी एक सुन्दर करुण कविता के लिये बहुत बहुत साधूवाद...

जय हिन्द जय हिन्दी

manu का कहना है कि -

IS SHAHAADAT KO APNA BHI SALAAM........!!!.

Anonymous का कहना है कि -

vinayji,
acche shabon me ek acchi kavitaa
lekin vikshit hota hai yaa vikshat,
kshat vikshit ko koi aur matalab hota hai to samjhaye
sasneh,
RAASBIHARI

Vinaykant Joshi का कहना है कि -

रासबिहारी जी,
आपने गहराई से कविता पढ़ी आभार,
क्षत विक्षत ही होता है परन्तु यहाँ विक्षित ही लिखा गया है
विक्षित यानी अवलोकित |
सादर,
विनय के जोशी
|

शोभा का कहना है कि -

अब न
मचलता दिल मेरा
अब न
धड़कता दिल मेरा ,
एक निशा झोली में डाले
भोर से पहले विदा हुए
क्षितिज पथ, अनहद प्रतीक्षा
नयन सावन एक हुए
साँस आखरी, वंदे मातरम
बहुत सुंदर.

Unknown का कहना है कि -

आज गर्व से मस्तक ऊँचा
पर नही शेष कुछ जीने में
जिस पत्थर से चूड़ी तोडी
उसे रख लिया सीने में
अब न
धड़कता दिल मेरा
अब न
मचलता दिल मेरा

अच्छी कविता

सुमित भारद्वाज

Smart Indian का कहना है कि -

उल्लासित मन
क्षत विक्षित तन
रक्त श्वेद श्रृंगार धरे ,
धूल धरा तुम एक हुए
आज गर्व से मस्तक ऊँचा

एकदम अलग तरह की बात, बधाई!

Anonymous का कहना है कि -

vinay joshi ji
sab kuchh thik-thak rahte hue bhi dil nahi dharka akhir mamla kya he ji.
khair maja aa gaya padh ke

Anonymous का कहना है कि -

Your blog keeps getting better and better! Your older articles are not as good as newer ones you have a lot more creativity and originality now keep it up!

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