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तेरे सितम कम थे जो
अब 'ये' भी मुझे सताता है
जाने कहाँ से रोज़ तेरी
यादों का सेल्समैन आता है
हर याद की कीमत दो आंसू
ये तो अत्याचार है
तेरी यादों को कैसे मना करूं
जब तुझसे इतना प्यार है
तेरी हसीन यादों का ख़याल
मेरे दिल को खिला गया
बेहोशी में दस्तखत लेकर
"डील !" कहकर चला गया
"तू नहीं तेरी याद सही"
सेल्समन रोज़ लाने लगा
तेरी याद देख बूँद नहीं
दरिया बहकर आने लगा
इतने आंसू देख मैंने कहा
"एक्स्ट्रा एडवांस में ले लो"
बोला "क्रेडिट चलेगा डेबिट नहीं
मुझे तो बस दो ही दे दो"
रो-रोकर फिर एक दिन
दरिया मेरा ख़तम हुआ
यादें फिर भी आती रही
दिल उसका न नरम हुआ
मना करने पर रुका नही तो
मैं अपनी बात पर अडी रही
"मैडम ये है लाइफ टाइम डील"
आपने कंडिशन्स पढ़ी नहीं?"
यादों के भंवर में ऐसी फँसी
उन्हीसे दहशत उन्हीसे प्यार
सेल्समन हालत देख मुस्काया
"all is 'fear' in love & war!" :-)
तेरे बाद तेरी यादें तो हैं
सोचकर सौदा उठाया था
तूने नहीं, सेल्समैन ने सही
अपना वादा निभाया था
हर याद पर, फिर आंसू नहीं
हाँ जान हर दफा निकली
तेरी तरह यादें भी तेरी
कमबखत बेवफा निकली
सेल्समन अब भी आता हैं
सौदा उधारी पे चलता है
बिना आंसू की घुटन से
मेरा दम निकलता है
सेल्समन से फ़िर मिन्नत की
"बस अब सहन नहीं होता"
बोला "मैडम, ये उसकी यादें है
जहाँ रहम नहीं होता"
~ RC
July 08
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19 कविताप्रेमियों का कहना है :
bahut sunder likha hai
हर याद की कीमत दो आंसू
ये तो अत्याचार है
तेरी यादों को कैसे मना करूं
जब तुझसे इतना प्यार है
रचना बहुत अच्छी है! किंतु मैं उसमें और गहराई में उतरना चाह रही थी किंतु कुछ शब्द मुझे बार-२ उससे ऊपर ले आते है, अच्छी रचना के लिए बधाई !
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तेरे सितम कम थे जो
अब 'ये' भी मुझे सताता है
जाने कहाँ से रोज़ तेरी
यादों का सेल्समैन आता है
सेल्समन से फ़िर मिन्नत की
"बस अब सहन नहीं होता"
बोला "मैडम, ये उसकी यादें है
जहाँ रहम नहीं होता"
अच्छी लगी आपकी कविता और आपका ये अंदाज़ भी खूब भाया....
मालूम होता जो
सताएगा इतना
तो इश्क हम न करते
लम्हे खुशी के मिलते न मिलते
पर दो आंसू तो बचा लेते
आप ने बात को बहुत ही अच्छे तरीके से कहा है .मुझे तो आप की कविता बहुत अच्छी लगी
सादर
रचना
'सेल्समैन' कविता अच्छी लगी . एक अच्छा प्रयोग भी कविता में.
मजा नहीं आया रूपम जी.. पता नहीं क्यों पर दिल को नहीं छुआ.. शायद सेल्समैन का फंडा मैं समझ नहीं पाया... :-(
लेकिन एक बात अच्छी हुई.. गज़ल के अलावा आपकी कोई रचना पढ़ने को जो मिली..
'सेल्समैन' कविता अच्छी लगी . एक अच्छा प्रयोग भी कविता में.
'सेल्समैन' कविता अच्छी लगी . एक अच्छा प्रयोग भी कविता में.
rupam ji,thodi koshish aur honi chahiye thi.apeksha shayad kuchh jyada ki ho chuki hai aapse.
ALOK SINGH "SAHIL"
ek kamjor rachna.
और कुछ भी नहीं दरकार मुझे लेकिन
मेरी चादर मेरे पैरों के बराबर कर दे.....
कुछ इस तरह की सोच के साथ आगे बढ़ने की जरुरत है.
ये उसकी यादें है
जहाँ रहम नहीं होता"
acchi pankti k liye badhai |
vinay
रचना में नयापन लाने की कोशिश हुयी है, लेकिन कुछ भी खास नहीं लगता |
-- अवनीश तिवारी
कुछ कुछ ही समझ आयी
सुमित भारद्वाज
बहुत बहुत शुक्रिया !
ठीक पहचाना ... yeh एक नया प्रयोग करके देखा था ..
RC
हर याद पर, फिर आंसू नहीं
हाँ जान हर दफा निकली
तेरी तरह यादें भी तेरी
कमबखत बेवफा निकली
roopam hume to bahut achcha laga sab kuch ,behtareen prayaas ,
achha prayas
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