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Monday, October 13, 2008

खुद में खुद को ढूँढ़ना


कितना हैरतअंगेज है
खुद में को ढूँढ़ने का
प्रयत्न करना
अपने भीतर के सभी
पंखों को दूर तक बिखरा देना
फिर एक-एक कर करके
बारी-बारी से उन्हें गिनना
अपने मन के पन्नों
पर लिखी इबादतों को पढ़ने की कोशिश करना
अपनी नीचता पर
लम्बा परदा डालना
अपनी खूबियों को रेखांकित करना
अपनी हर सोच पर
एकमुश्त मुहर लगाना
अपने सपनों का
पेट फुला देना
अपने गीले इरादों को
धूप दिखाकर सुखाना
सुखाकर कड़क बनाना
फिर एयरटाइट डिब्बों में रख देना
किसी सुरक्षित कोने में
नापसंद रिश्तों की तिलांजली देना
स्वार्थों को मजबूती से थामे रहना
कितना कम समय देते हैं हम
अपने आप को
अपने आप को पहचानने के लिये
बहुत समय चाहिये
कुलीन मौकों में
खुद को पूरा घुसेड देना
तंग हवाओं में
अपने लिये
ढेर सारी जगह बनाने की चाह रखना
महीनों, दिनों को केवल
अपने लिये खूब खर्च करना
कितना हैरतअंगेज है
खुद में खुद को पहचान पाना।

कवयित्री- विपिन चौधरी

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10 कविताप्रेमियों का कहना है :

neelam का कहना है कि -

शब्दों का संयोजन अच्छा है ,कविता भी अच्छी लगी

दीपाली का कहना है कि -

यथार्थ बताती कविता..
पुरी कविता एक लय में है.

Unknown का कहना है कि -

कविता अच्छी लगी
वास्तविक जिन्दगी मे खुद मे खुद को ढूढना बहुत कठिन काम है ये बात और है के इंसान खुद से कुछ नही छुपा सकता

सुमित भारद्वाज

Nikhil का कहना है कि -

अपने सपनों का
पेट फुला देना
अपने गीले इरादों को
धूप दिखाकर सुखाना
सुखाकर कड़क बनाना
फिर एयरटाइट डिब्बों में रख देना


बड़ा अच्छा प्रयोग है शब्दों का....कुछ नया पढ़कर मज़ा आया....

Anonymous का कहना है कि -

सुंदर शब्द प्यारी उपमाएं
सादर
रचना

अभिन्न का कहना है कि -

नापसंद रिश्तों की तिलांजली देना
स्वार्थों को मजबूती से थामे रहना
कितना कम समय देते हैं हम
अपने आप को
अपने आप को पहचानने के लिये
बहुत समय चाहिये
विपिन जी एक नए विषय की कविता पढ़ कर ताजा ताज़ा लग रहा है बहुत सुंदर लिखा है बधाई हो

Anonymous का कहना है कि -

सुंदर शब्द प्यारी उपमाएं
सादर
रचना

Anonymous का कहना है कि -

सुंदर रचना.
आलोक सिंह "साहिल"

विश्व दीपक का कहना है कि -

अनोखे बिंबों के माध्यम से बड़ी हीं जानी-पहचानी बात कही गई है। रचना दिल में उतरती है।
बधाई स्वीकारें।

Anonymous का कहना है कि -

हर पल में बीता समय...
पर समय में, बीतूं न मैं...!

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