नाज़िम नक़वी अब हिंदयुग्म के लिए नया नाम नहीं है....आप इन्हें पहले भी आवाज़ और अतिथि कवि के रूप में पढ़ चुके हैं....हिन्दयुग्म ने जब नाज़िम जी से संपर्क किया तो इन्होंने हमें कई नेक सलाह भी दी....गज़ल पर दी जा रही जानकारी इन्हें बेहद अच्छी लगी...इसके अलावा जब हमने इन्हें हिन्दयुग्म के उद्देश्यों से रू-ब-रू कराया तो इन्होंने हमें आश्वस्त भी किया कि इन प्रयासों में इनका जितना योगदान बन पड़ेगा, करेंगे...इन्होंने कहा कि हिन्दी के नाम पर सिर्फ मर्सिया गाने वाले हिन्दयुग्म से सबक लें....
आइए पढ़ते हैं हिंदयुग्म के इस नए साथी की एक गज़ल :
शहर मेरी मजबूरी गांव मेरी आदत है
एक सानेहा मुझपर इक मेरी विरासत है
ये भी इक करिश्मा है बीसवीं सदी तेरा
मौत के शिकंजे में ज़िंदगी सलामत है
मेरी राय पूछो तो ये भली बुरी दुनिया
आप जितने अच्छे हैं, उतनी ख़ूबसूरत है
जैसे चाहे जी लीजे, फेंकिये या पी लीजे
ज़िंदगी तो हर घर में चार दिन की मोहलत है
वक़्त के बदलने से दिल कहां बदलते हैं
आपसे मुहब्बत थी, आपसे मुहब्बत है
इक सदा ये आती है मेरी ख़्वाबगाहों में
दिल को चैन आ जाना, दर्द की अलामत है
नाज़िम नक़वी
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10 कविताप्रेमियों का कहना है :
शहर मेरी मजबूरी गांव मेरी आदत है
एक सानेहा मुझपर इक मेरी विरासत है
ये भी इक करिश्मा है बीसवीं सदी तेरा
मौत के शिकंजे में ज़िंदगी सलामत है
bahut sundar gazal hai.
शहर मेरी मजबूरी गांव मेरी आदत है
एक सानेहा मुझपर इक मेरी विरासत है
बहुत खूब
सादर
रचना
नाज़िम नक़वी ज़नाब आपका इस्तकबाल आपकी ग़ज़ल बहुत खूबसूरत लगी हिन्दी प्रेमीओं और साहित्य के दीवानों के लिए ये बहुत अच्छी ख़बर है की आप हिन्दयुग्म से जुड़ गए हो आपकी प्रस्तुत पंक्तियाँ बहुत प्रभावित कर गई है
मेरी राय पूछो तो ये भली बुरी दुनिया
आप जितने अच्छे हैं, उतनी ख़ूबसूरत है
वक़्त के बदलने से दिल कहां बदलते हैं
आपसे मुहब्बत थी, आपसे मुहब्बत है
शहर मेरी मजबूरी गांव मेरी आदत है
एक सानेहा मुझपर इक मेरी विरासत है
बहुत उम्दा ग़ज़ल ..एक-दो शब्दों के अर्थ भी बता देते तो aur अच्छा होता..
Spellbound!
Mujhe sare ashaar bahut achche lage.
achhi gajal.
alok singh "sahil"
"वक़्त के बदलने से दिल कहां बदलते हैं
आपसे मुहब्बत थी, आपसे मुहब्बत है"
ये शेर देखने में जितना साधारण है, उतना ही क़ातिलाना है....
बाक़ी ग़ज़ल में भी बहुत पैनापन है.....
मेरी राय पूछो तो ये भली बुरी दुनिया
आप जितने अच्छे हैं, उतनी ख़ूबसूरत है
bahut sundar shyam skha shyam
मेरी राय पूछो तो ये भली बुरी दुनिया
आप जितने अच्छे हैं, उतनी ख़ूबसूरत है
पढकर अच्छा लगा
सुमित भारद्वाज
वक़्त के बदलने से दिल कहां बदलते हैं
आपसे मुहब्बत थी, आपसे मुहब्बत है
इक सदा ये आती है मेरी ख़्वाबगाहों में
दिल को चैन आ जाना, दर्द की अलामत है
sir heads of 2 u...
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