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Thursday, October 23, 2008

..... फिर ... शायद...


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इश्क
की बेडी का बल कलाई पर पड़ गया शायद
या फिर ख्वाब में वो मेरी कलाई पकड़ गया शायद

गली के इक मकान में फिर दो बुजुर्ग रहने आए
लगता है फिर कोई लाडला बिगड़ गया शायद

फिर कोई बूढा ऐनक लगा ढूंढ रहा तिनके
फिर घोंसले से बच्चा नहीं, पंछी उड़ गया शायद

सुना था ये 'फ़ोन' लोगों के फासले कम कर देगा
मगर हाथ से फ़ोन का फासला बढ़ गया शायद

कहते हैं वो आजकल फिर फूल खरीदने लगा है
मेरे बाद उसका घर किराये पे चढ़ गया शायद

फिर दिल से उठी कराह, आंसू बना, ग़ज़ल बनी
फिर दिल में तेरी याद का बादल घुमड़ गया शायद

फिर दिल से उठी कराह, आंसू बना, ग़ज़ल भी बनी
फिर इक बार आंसू उँगलियों से झड़ गया शायद

फिर दिल से उठी कराह, फिर तेरी दुआ निकली
भूली सितम, फिर तुझपे प्यार उमड़ गया शायद

है जिद पे अडा, याद जाए तो ग़ज़ल हो ख़तम
दिले-नादां मेरा फिर ख़ुद ही से लड़ गया शायद

~ RC
July 08
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17 कविताप्रेमियों का कहना है :

Manuj Mehta का कहना है कि -

इश्क की बेडी का बल कलाई पर पड़ गया शायद
या फिर ख्वाब में वो मेरी कलाई पकड़ गया शायद

गली के इक मकान में फिर दो बुजुर्ग रहने आए
लगता है फिर कोई लाडला बिगड़ गया शायद.


बहुत ही गहरे अर्थ लिए ये शेर बेहद पसंद आए. आपसे हमेशा नया पढने की मुझे उम्मीद रहती है.

Anonymous का कहना है कि -

सुना था ये 'फ़ोन' लोगों के फासले कम कर देगा
मगर हाथ से फ़ोन का फासला बढ़ गया शायद,आपके शब्दों में गज़लियत है ,मगर छंद भी सीखिए ano.

जितेन्द़ भगत का कहना है कि -

बहुत सुंदर लि‍खा है-
गली के इक मकान में फिर दो बुजुर्ग रहने आए
लगता है फिर कोई लाडला बिगड़ गया शायद

फिर कोई बूढा ऐनक लगा ढूंढ रहा तिनके
फिर घोंसले से बच्चा नहीं, पंछी उड़ गया शायद

Dev का कहना है कि -

फिर दिल से उठी कराह, आंसू न बना, ग़ज़ल बनी
फिर दिल में तेरी याद का बादल घुमड़ गया शायद

फिर दिल से उठी कराह, आंसू बना, ग़ज़ल भी बनी
फिर इक बार आंसू उँगलियों से झड़ गया शायद

फिर दिल से उठी कराह, फिर तेरी दुआ निकली
भूली सितम, फिर तुझपे प्यार उमड़ गया शायद..

Roopam
mil gayi aapki gazal
phir ek bar aashoon ungaliyon se jhad gaya shayad
Bhuli Sitam , phir tujha pe pyar umad gayaa shayad

wonderful, bahut khub
shayd prya me yahi hota hai kabhi
aanshoon aur kabhi pyar
aap ki pahut achchhi ho gayi hai bhavanaon ko explane karne ki

RADHIKA का कहना है कि -

बहुत सुंदर और सच्ची ग़ज़ल

सीमा सचदेव का कहना है कि -

फिर कोई बूढा ऐनक लगा ढूंढ रहा तिनके
फिर घोंसले से बच्चा नहीं, पंछी उड़ गया शायद
बहुत मार्मिक भाव जो दिल को गहराई तक छू गया |

शोभा का कहना है कि -

फिर दिल से उठी कराह, आंसू न बना, ग़ज़ल बनी
फिर दिल में तेरी याद का बादल घुमड़ गया शायद

फिर दिल से उठी कराह, आंसू बना, ग़ज़ल भी बनी
फिर इक बार आंसू उँगलियों से झड़ गया शायद
वाह! बहुत खूब लिखा है.

तपन शर्मा Tapan Sharma का कहना है कि -

गली के इक मकान में फिर दो बुजुर्ग रहने आए
लगता है फिर कोई लाडला बिगड़ गया शायद.

फिर कोई बूढा ऐनक लगा ढूंढ रहा तिनके
फिर घोंसले से बच्चा नहीं, पंछी उड़ गया शायद

सुना था ये 'फ़ोन' लोगों के फासले कम कर देगा
मगर हाथ से फ़ोन का फासला बढ़ गया शायद

दिल को भा गई आपकी ग़ज़ल...
बस नये शब्द सीखने को नहीं मिले.. :-)

Anonymous का कहना है कि -

इश्क की बेडी का बल कलाई पर पड़ गया शायद
या फिर ख्वाब में वो मेरी कलाई पकड़ गया शायद

गली के इक मकान में फिर दो बुजुर्ग रहने आए
लगता है फिर कोई लाडला बिगड़ गया शायद



जब कोई शेर देर तक याद रह जाए तो ग़ज़ल की सार्थकता है .आप के शेर (चाहे वो किसी भी ग़ज़ल के हूँ )दिमाग में घूमते रहते हैं इतना असर करते हैं
बहुत खूब
सादर
रचना

Anonymous का कहना है कि -

NYAPAN TO JARUR DEKHNE KO MILA PAR PATA NAHIN KYON MAN SANTUSHT NAHIN HUA.
ALOK SINGH "SAHIL"

विश्व दीपक का कहना है कि -

रूपम जी!
आपकी रचनाओं में जो बात होती है, वो इस रचना में मुझे कम लगी। गज़ल की शुरूआत पढकर लगा "सुभान-अल्लाह!" दूसरा शेर भी पहले से किसी मामले में कम न था।लेकिन बीच के एक दो-शेर में आप ज्योंहि काफ़िये से भटकी रीदम हीं टूट गया। फिर गज़ल में वो मज़ा न रहा, जैसी उम्मीद थी।

फिर दिल से उठी कराह, आंसू न बना, ग़ज़ल बनी
फिर दिल से उठी कराह, आंसू बना, ग़ज़ल भी बनी
इन दो पंक्तियों को और भी खूबसूरती से पिरोया जा सकता था। वैसे यह प्रयोग अच्छा लगा मुझे।

अंत आते-आते गज़ल कुछ संभली। इसलिए यह नहीं कहूँगा कि पूरा निराश हूँ,लेकिन उम्मीद आपसे और भी ज्यादा है।

और हाँ, बहर की जगह ज़हर चल सकता है,लेकिन काफ़िये से छेड़खानी बर्दाश्त नहीं की जा सकती :)

Straight Bend का कहना है कि -

सबका बहुत बहुत शुक्रिया !!


"इस खुदा के दरबार में कोई गुनाह मुआफ नहीं
हाँ ये बात अलग है के जो मैंने किया गुनाह नहीं"

:-) :-)

RC

गौरव सोलंकी का कहना है कि -

दूसरा और पाँचवां शे'र पसन्द आया, लेकिन यह ग़ज़ल नहीं है। कई कमियाँ हैं।

neelam का कहना है कि -

itni gahraai ,padh ke lagta hai ki koi 60 saal ka anbhvi shaayar hai ,par ye to tum ho .
god bless u and your family .

प्रशांत मलिक का कहना है कि -

vaah

Unknown का कहना है कि -

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