दर्द दिल में है पर मुस्करा
साँस खुलकर ले और खिलखिला
कर्ज तेरा है तू ही चुका
सर मगर अपना तू मत झुका
हाँ गिले-शिकवे होंगे सदा
तोड़ मत प्यार का सिलसिला
गर नहीं दम कि सच कह सके
बैठ तू बन कर इक झुनझुना
मत जुबाँ सी, अरे ‘श्याम’ तू
चोट खाई है तो बिलबिला
फ़ाइलुन,फ़ाइलुन,फ़ाइलुन
2[1]11,2[1]11,2[1]11,
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10 कविताप्रेमियों का कहना है :
आपको सपरिवार दीपोत्सव की शुभ कामनाएं। सब जने सुखी, स्वस्थ एवं प्रसन्न रहें। यही प्रभू से प्रार्थना है।
गर नहीं दम कि सच कह सके
बैठ तू बन कर इक झुनझुना
सही कहा आपने बोलो तो सच्च बोलो वरना चुप रहना भला | सुंदर ....सीमा सचदेव
गर नहीं दम कि सच कह सके
बैठ तू बन कर इक झुनझुना
पूरी गज़ल ही सुन्दर है पर ये शे'र सबसे अच्छा लगा
सुमित भारद्वाज
हाँ गिले-शिकवे होंगे सदा
तोड़ मत प्यार का सिलसिला
-बहुत खूब!
मत जुबाँ सी, अरे ‘श्याम’ तू
चोट खाई है तो बिलबिला
वैसे तो ऊपर की दो पंक्तियाँ पढ़कर ही समझ गई थी कि आप ही होगें। बहोत बढिय...! लगा कि कुछ पढा़ है।
ये शेर सबसे ज्यादा प्रभावी लगा। एक और बढि़या गजल के इन्तजार में...
हाँ गिले-शिकवे होंगे सदा
तोड़ मत प्यार का सिलसिला
गर नहीं दम कि सच कह सके
बैठ तू बन कर इक झुनझुना
क्या खूब लिखा है सच है
सच कहना चाहिए वरना बस ........
मत जुबाँ सी, अरे ‘श्याम’ तू
चोट खाई है तो बिलबिला-वाह स्ट्रेस दूर कराने का बढ़िया सुझाव है -अच्छी ग़ज़ल पर बढ़ाई -अनाम
अत्यन्त प्रेरणादायक शब्द...
सिमित शब्दों में बहुत खूब लिखा है.
waah,dil khush ho gaya.sundar
ALOK SINGH "SAHIL"
"दर्द दिल में है पर मुस्करा
साँस खुलकर ले और खिलखिला"
अच्छी शिक्षाप्रद गज़ल श्याम जी..
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