इलाहाबाद के मुट्ठीगंज के व्यवसायी वीनस केसरी मन से कवि हैं और पॉँच वर्ष पहले ग़ज़ल लिखना शुरू किये थे,
लेकिन ग़ज़ल लिखना अब इनकी आदत बन चुकी है। हिन्द-युग्म पर भी ये काफी पहले 'ग़ज़ल लिखना कैसे सीखें?' के रास्ते पहुँचे और यहीं के होकर रह गये। पुस्तकों से इस कदर जुड़े हैं कि जनता पुस्तक भंडार को संचालित कर रहे हैं। बहुत लम्बे अर्से से हमें पढ़ रहे थे लेकिन खुद को प्रकाश में लाना इन्होंने पिछले महीने से शुरू किया। अगस्त माह की यूनिकवि प्रतियोगिता में इनकी ग़ज़ल दूसरे स्थान पर आई है।
पुरस्कृत कविता- फिर खिलौना ले के आया
दुश्मनी खुल के जताता है बताओ क्या करूँ।
दोस्ती का जिससे नाता है बताओ क्या करूँ ।।
उसकी सारी गल्तियां अच्छी लगे हैं अब मुझे ।
घर में केवल वो कमाता है बताओ क्या करूँ ।।
मेरी मजबूरी गिनाता है वो पहले और फिर ।
नोट के बंडल दिखाता है बताओ क्या करूँ ।।
खेत बेचे, बैल बेचे, मां के गहने और मकां ।
फिर भी लाला रोज आता है बताओ क्या करूँ ।।
फिर खिलौना ले के आया, उसका है धन्धा यही ।
मेरा मुन्ना रूठ जाता है बताओ क्या करूँ ।।
जिससे हमने प्यार चाहा वो हमारी पीठ पर ।
वार करके मुस्कुराता है बताओ क्या करूँ ।।
हम तो ''वीनस'' काफिये में ही उलझ कर रह गये ।
वो बहर के साथ गाता है बताओ क्या करूँ ।।
प्रथम चरण के जजमेंट में मिले अंक- ४, ६, ७, ६॰९, ७॰५
औसत अंक- ६॰२८
स्थान- दूसरा
द्वितीय चरण के जजमेंट में मिले अंक- ७॰२, ८ ६॰२८ (पिछले चरण का औसत)
औसत अंक- ७॰१६
स्थान- दूसरा
पुरस्कार- मसि-कागद की ओर से कुछ पुस्तकें। संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी अपना काव्य-संग्रह 'समर्पण' भेंट करेंगे। तत्वमीमांसक डॉ॰ गरिमा तिवारी 'येलो पिरामिड' भेंट करेंगी।
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12 कविताप्रेमियों का कहना है :
वीनस जी आपकी गजल बहुत सुंदर है. उम्मीद करती हूँ की इसी तरह हमें और गजल पढने को मिला करेंगी.
खेत बेचे, बैल बेचे, मां के गहने और मकां ।
फिर भी लाला रोज आता है बताओ क्या करूँ ।।
फिर खिलौना ले के आया, उसका है धन्धा यही ।
मेरा मुन्ना रूठ जाता है बताओ क्या करूँ ।।
बहुत सुंदर रचना है वीनस जी. अगली बार का यूनिकवि बनने की शुभकामनाएं!
कुछ शे'र तो बहुत धार वाले हैं-
उसकी सारी गल्तियां अच्छी लगे हैं अब मुझे ।
घर में केवल वो कमाता है बताओ क्या करूँ ।।
मेरी मजबूरी गिनाता है वो पहले और फिर ।
नोट के बंडल दिखाता है बताओ क्या करूँ ।।
खेत बेचे, बैल बेचे, मां के गहने और मकां ।
फिर भी लाला रोज आता है बताओ क्या करूँ ।।
फिर खिलौना ले के आया, उसका है धन्धा यही ।
मेरा मुन्ना रूठ जाता है बताओ क्या करूँ ।।
आपमें बहुत संभावनाएँ हैं वीनस। लिखते रहें।
वाह वीनस जी आपका स्वागत है, आप गज़लें लिखना और अच्छी ग़ज़लें लिखना सीख चुके हैं....बधाई, युग्म पर नए कवियों की खेंप बढ़िया आई है...
बहर के बारे मे मुझे जानकारी नही है पर काफिया और रदीफ अच्छी तरह निभा रखे है.
बढिया गजल वीनस जी, पढकर अच्छा लगा
सुमित भारद्वाज
बहुत सुंदर लिखा है
बधाई
सादर
रचना
वीनस जी
बहुत खूब !!!!!!!
आपने "बताओ मैं क्या करू ?"
में मानव मनीषा के कौतूहलता ,किन्कर्ताब्यविमुधता सार्वभौमिकता को उजागर किया है लिखते रहे
धन्यवाद
राजेश कुमार पर्वत
वीनस जी
बहुत खूब !!!!!!!
आपने "बताओ मैं क्या करू ?"
में मानव मनीषा के कौतूहलता ,किन्कर्ताब्यविमुधता सार्वभौमिकता को उजागर किया है लिखते रहे
धन्यवाद
राजेश कुमार पर्वत
वीनस जी
बहुत खूब !!!!!!!
आपने "बताओ मैं क्या करू ?"
में मानव मनीषा के कौतूहलता ,किन्कर्ताब्यविमुधता सार्वभौमिकता को उजागर किया है लिखते रहे
धन्यवाद
राजेश कुमार पर्वत
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद इश्वर की अनुकम्पा गुरूजी पंकज सुबीर जी का आशीर्वाद तथा आप सभी का सहयोग बना रहे तो कुछ नया लिखने का बल बना रहेगा
सुमित जी ने लिखा है की उनको बहर की जानकारी नही है
मैं भी ५ महीने पहले यही कहता था यहाँ तक की मुझे रदीफ़ और काफिया का नाम भी नही पता था
सुमित जी तथा अन्य सभी जिनको गजल के बारे में कोई भी जानकारी चाहिए आप मेरे गुरूजी श्री पंकज सुबीर जी से सीख सकते है जो पहले ग़ज़ल लिखना सीखे लिंक में हिन्दी युग्म पर भी यह ज्ञान बाँट रहे थे मगर किसी कारण वश यहाँ पर लिखना बंद कर दिया मगर अपने ब्लॉग
"" http://subeerin.blogspot.com/ "" पर निरंतर यह ज्ञान बाँट रहे है
सुमित जी आशा करता हूँ की जल्द ही आप बहर की जानकारी प्राप्त कर लेंगे
आपका वीनस केसरी
Badhiya rachana hai. Badhai!!
Ghazal ke baarey mein kripaya aur jaankari baantiye. Vazn aur ruknon ke baare mein aur jaanana chaahti hoon. Aap post kijiye ya koi site ho to bataiye.
बहुत हीं शानदार लेखन है। एक-एक शेर बेहद बढिया है। ऎसे हीं लिखते रहें
बधाई।
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