आनंदम नाम की संस्था द्वारा काव्य गोष्ठी 31 अगस्त 2008 को संस्थापक श्री जगदीश रावतानी के निवास स्थान पर आयोजित हुई. इस काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता जाने माने लेखक कवि डॉ. बलदेव राज वंशी द्बारा की गई. हिन्दी और उर्दू के दर्जन भर कवियों ने अपनी अपनी रचनाओं का पाठ किया जिनमें मुख्य कवियों के नाम इस प्रकार हैं: सर्वश्री मुनव्वर सरहदी, प्रेमचंद सहजवाला, जगदीश रावतानी, डॉ. जसबीर त्यागी, आदित्य देव, सुनीता बत्रा, भूपेंद्र कुमार, साक्षात भसीन, डॉ. विजय मित्तल, मनमोहन तालिब शर्मा, डॉ. लालित्य ललित और डॉ. बलदेव राज वंशी. इस सफल गोष्ठी के कुछ रचनाकारों ने एक ओर प्रेम की अभिव्यक्ति की तो वहीं राजनीति और सामजिक समस्याओं को भी कवियों ने बड़े अनूठे ढंग से प्रस्तुत किया. कुछ व्यंग्यात्मक टिप्पिनियों ने जहाँ पर सभी को गुदगुदाया वहीं कुछ प्रश्न भी खड़े किए. इस काव्य गोष्ठी का संचालन डॉ. लालित्य ललित ने बड़े खूबसूरत अंदाज़ में किया. इस गोष्ठी में चित्रकार कथाकार बुद्धिजीवि बड़ी संख्या में मौजूद थे. रचना पाठ के उपरांत अध्यक्ष डॉ. बलदेव राज वंशी जी ने काव्य और ग़ज़ल की अलग अलग विधाओं को बड़े सरल अंदाज़ में बयान किया और आयोजकों को इस प्रकार की गोष्ठी करने की बधाई भी दी और प्रोत्साहन भी. अंत में श्री जगदीश रावतानी के धन्यवाद प्रस्ताव से कार्यक्रम समाप्त हुआ. श्री जगदीश रावतानी ने सभी को यह सूचना दी कि हर माह के दूसरे रविवार वाले दिन सायं ५ बजे उन्हीं के निवास स्थान पर काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ करेगा . तत्पश्चात चाय की चुस्कियां लेते हुए सभी उपस्थित जनों ने कविता ग़ज़ल या कहिये साहित्य को ले कर भरपूर आनंद लिया.
प्रेषक- प्रेमचंद सहजवाला
इस माह की आनंदम काव्य गोष्ठी जगदीश रावतानी के आवास पर १४ सितम्बर की दोपहर ३ बजे से शाम ६ बजे तक आयोजित होगी।
पता- जगदीश रावतानी, बीएस-19, शिवा एनक्लेव, ए/4- पश्चिम विहार, नई दिल्ली-110063
इच्छुक कवि या तो उपर्युक्त पते पर दिये गये समय पर सीधे पहुँचें या निम्न संपर्क सूत्रों पर संपर्क करें।
मो॰ (जगदीश रावतानी)- 9811150638
ईमेल- jagdishrawtani@rediffmail.com और ardentne@gmail.com
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4 कविताप्रेमियों का कहना है :
क्या बात है... वहाँ सुनाये गये शे’र भी पढ़ने को मिल जाते तो मजा आ जाता...
Good idea to share news like these. Please keep sharing. I would love to attend the next meeting!
The best thing I like about HY is the unbiased opinion/feedback of people, be it good or bad. There is no mask of praise for the sake of formality. I hope we keep going like this.
My blessings for HY.
चैसे भी प्रचार-प्रसार हो हिन्दी का, करते रहें। इस्तेमाल में की चीज़ों में जंग नहीं लगता।
आनंदम की काव्य गोष्ठी के बारे में पढ़ कर बहुत अच्छा लगा . आशा है रिपोर्ट के साथ-साथ भविष्य में सभी कवियों के काव्यांश भी पढ़ने को मिलेंगे .
-सुरिंदर सिंह
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