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Sunday, August 31, 2008

मुझे वक्त दे मेरी जिंदगी....


मुझे वक्त दे मेरी जिंदगी, तेरा हाथ थाम के चल सकूं,
मुझे भर ले मेरी मांग में, कि न रेत बन के फिसल सकूं,
मुझी वक्त दे, मुझे वक्त दे.....

अभी हूँ सवालों की क़ैद में, कई उलझनें, मजबूरियाँ,
अभी रहने भी दे ये दूरियां, कई उलझनें, मजबूरियां...
अभी उस मुकाम पे हूँ खड़ा, कि न गिर सकूं, न संभल सकूं,
मुझे वक्त दे.....मुझे वक्त दे....

अभी रौशनी की न बात कर, मैं हूँ आंसुओं से धुला हुआ,
मेरे यार मुझको दे हौसला, मैं हूँ आंसुओं से धुला हुआ....
मेरे आंसुओं में वो बात हो, लिखा वक्त का भी बदल सकूं...
मुझे वक्त दे....मुझे वक्त दे.....

मुझे एक रात नवाज़ दे, तुझे मैं खुदा-सा प्यार दूँ,
कि गुनाह सारे उतार दूँ, तुझे मैं खुदा-सा प्यार दूँ...
मुझे मां की तरह गोद में, तू चूम ले, मैं मचल सकूं....
मुझे वक्त दे, मुझे वक्त दे.....

निखिल आनंद गिरि

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10 कविताप्रेमियों का कहना है :

Anonymous का कहना है कि -

nice lyrics...nice meanings....it can be composed....isnt it......

puneet

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

बहुत प्रभावित नहीं किया इस गीत ने

Anonymous का कहना है कि -

achha geet.
ALOK SINGH "SAHIL"

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

गीत अच्छा है |

अवनीश तिवारी

rajesh का कहना है कि -

जी !!!! मैं शैलेश जी से पुरी तरह सहमत नही हूँ की "इसमे ज्यादा प्रभाव नही है "
इसमे एक याचना है , एक करुना है, लगता है जैसे दोनों आंखे भरी हो , दोनों हाथ ऊपर उठे है ..... जैसे एक बेहद असहाय , अबला आँचल फैला कर यमराज से जीवन के वक्त की गुहार कर रही हो .... ढेर सारा साधुवाद !!!!! nikhil jee
राजेश कुमार पर्वत

Anonymous का कहना है कि -

in shabdon ko yadi svar miljayen to kya hi baat ho
saader
rachana

Nikhil का कहना है कि -

मैं भी यही मानता हूँ की ये गीत किसी मधुर आवाज़ के इंतज़ार में है.....शैलेश जी की टिपण्णी पर हरिवंश राय बच्चन याद आ गए...
"तुम गा दो मेरा गान अमर हो जाए..."
राजेश पर्वत जी, अपना परिचय भी दें...
निखिल

neelam का कहना है कि -

बहुत कुछ सीख रहे हैं ,अभी हम जिन्दगी से इसी |
बहुत कुछ सिखा भी रहे हैं , अभी हम जिन्दगी को इसी |
हम भी इस बात से इत्तफाक रखते हैं ,इन लफ्जो को किसी की आवाज मिल जाय

neelam का कहना है कि -
This comment has been removed by the author.
Sajeev का कहना है कि -

आपकी कशमकश समझ रहा हूँ :) सुंदर कविता

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