फूल-पत्थर-बारिश-हवा...कुछ नहीं बस ज़िंदगी
जीत गए तो खुशी...हारे तो है ज़िंदगी
प्यार-जज़्बा-भूख-रोटी...हर कहीं बिकती ज़िंदगी
बुझ रही कुछ और है... तिशनगी है ज़िंदगी
इंसा-हैवां-नेकी-बदी...बस बेतुकी है ज़िंदगी
घूमता है एक आईना...चूर-चूर है ज़िंदगी
अलफ़ाज़-सुर-आवाज़-ग़म...ग़ज़ल नहीं है ज़िंदगी
गा दिया तो बज़्म...रो दिया तो ज़िंदगी
घड़ी-दो घड़ी-वक़्त-बेवक़्त...एक चाह है ज़िंदगी
पा गए तो नसीबा...खो दिया तो ज़िंदगी
होश-सागर-साकी-मीना...क्या नहीं है ज़िंदगी
चढ़ गया तो नशा...रह गई जो ज़िंदगी
सफर-साथी-रास्ता-मंज़िल...सब फलसफे हैं ज़िंदगी
गुजर गए जो ख़ुदा...ठहर गए वो ज़िंदगी
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7 कविताप्रेमियों का कहना है :
सफर-साथी-रास्ता-मंज़िल...सब फलसफे हैं ज़िंदगी
गुजर गए जो ख़ुदा...ठहर गए वो ज़िंदगी
सच ही कहा आपने. सुंदर कविता के लिए बधाई.
Bahut sundar rachana hai. Badhayi.
Ek sawal -
गा दिया तो बज़्म...रो दिया तो ज़िंदगी
Kahin aak bazm ki jagah nazm to nahin kehna chaahte the?
अति सुंदर.
आलोक सिंह "साहिल"
अच्छी रचना.शयराना अंदाज़ में बखूबी जिंदगी को परिभाषित किया है.
सुंदर शब्द रचना बेहतरीन भावों की बधाई
समय निकल कर इधर भी गौर करें
manoria.blogspot.com
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बहुत कुछ सीख रहे हैं ,अभी हम जिन्दगी से इसी
बहुत कुछ सिखा रहे भी हैं ,हम जिन्दगी को इसी
Well written poem illustrating what life is.
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