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Monday, August 25, 2008

ज़िंदगी


फूल-पत्थर-बारिश-हवा...कुछ नहीं बस ज़िंदगी
जीत गए तो खुशी...हारे तो है ज़िंदगी

प्यार-जज़्बा-भूख-रोटी...हर कहीं बिकती ज़िंदगी
बुझ रही कुछ और है... तिशनगी है ज़िंदगी

इंसा-हैवां-नेकी-बदी...बस बेतुकी है ज़िंदगी
घूमता है एक आईना...चूर-चूर है ज़िंदगी

अलफ़ाज़-सुर-आवाज़-ग़म...ग़ज़ल नहीं है ज़िंदगी
गा दिया तो बज़्म...रो दिया तो ज़िंदगी

घड़ी-दो घड़ी-वक़्त-बेवक़्त...एक चाह है ज़िंदगी
पा गए तो नसीबा...खो दिया तो ज़िंदगी

होश-सागर-साकी-मीना...क्या नहीं है ज़िंदगी
चढ़ गया तो नशा...रह गई जो ज़िंदगी

सफर-साथी-रास्ता-मंज़िल...सब फलसफे हैं ज़िंदगी
गुजर गए जो ख़ुदा...ठहर गए वो ज़िंदगी

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7 कविताप्रेमियों का कहना है :

Smart Indian का कहना है कि -

सफर-साथी-रास्ता-मंज़िल...सब फलसफे हैं ज़िंदगी
गुजर गए जो ख़ुदा...ठहर गए वो ज़िंदगी

सच ही कहा आपने. सुंदर कविता के लिए बधाई.

Pritishi का कहना है कि -

Bahut sundar rachana hai. Badhayi.
Ek sawal -
गा दिया तो बज़्म...रो दिया तो ज़िंदगी

Kahin aak bazm ki jagah nazm to nahin kehna chaahte the?

Anonymous का कहना है कि -

अति सुंदर.
आलोक सिंह "साहिल"

दीपाली का कहना है कि -

अच्छी रचना.शयराना अंदाज़ में बखूबी जिंदगी को परिभाषित किया है.

Anonymous का कहना है कि -

सुंदर शब्द रचना बेहतरीन भावों की बधाई
समय निकल कर इधर भी गौर करें
manoria.blogspot.com
manoria.blog.co.in

Anonymous का कहना है कि -

बहुत कुछ सीख रहे हैं ,अभी हम जिन्दगी से इसी
बहुत कुछ सिखा रहे भी हैं ,हम जिन्दगी को इसी

mona का कहना है कि -

Well written poem illustrating what life is.

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