(1)
अनसुलझे परतों की स्याह से
हर वक़्त आंधियां चलती हैं
अनबुझे चाह की ओट से
जैसे हर वक़्त कोई झांकता है
अनकही बातों की आस में
सब्र का इंतिहा बढ़ता जाता है
ज़िंदगी इन तमाम राजों को
समेटती हुई...इन्हीं में खोई रहती है
कुछ होगा..और उलझने सुलझ जाएगीं
कोई मिलेगा चाह पूरी करने को
अंजाम पर आकर ही कहीं....
...ज़िंदगी थम जाएगी
और सिमटी हुईं परतें...ख़ुद-ब-ख़ुद
ग़ुबार बनकर बिखर जाएगीं...
बस धुआं ! बस धुआं ! बस धुआं !
(2)
धुएं भरी ज़िंदगी से
हर रोज बचा लेता हूं
थोड़ी सांसे...थोड़ी रौशनी...
...और थोड़ी ज़िंदगी
इस उम्मीद में कि..
..कल फिर देख सकूं
और मुश्किलें..और आंसू..और हौसले
ताकि बचाने और टूटने के खेल से
भर जाए जी...एक दिन
और उस दिन से...
न बचाने की चाह रहे..
न टूटने का दर्द....
बस धुआं ! बस धुआं ! बस धुआं !
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
12 कविताप्रेमियों का कहना है :
जहाँ पर कविताएँ खत्म हो रही हैं, वहाँ वो अपने सौंदर्य के चरम पर पहुँच रही हैं।
ati uttam
badhai
rachana
वाह! क्या बात है!
दूसरी कविता तो कमाल की है अभिषेक जी... बहुत खूब!!!!
बस धुआं ! बस धुआं ! बस धुआं !........
मजा आ गया
बस धुंआ...बस धुंआ..बस धुंआ.....
(और अब तो हर कविता के कमेंट्स में फ़िर से दिखने लगे हैं....
बस शैलेश...बस शैलेश..बस शैलेश....)
वाह..शहर की ज़िन्दगी ने आपको भी झकझोरना शुरू कर दिया.....
welcome to the world of sorrows....
निखिल
पाटनी भाई,कमाल कर दित्ता तुस्सी.बहुत ही...बेहतरीन.मजा आ गया
आलोक सिंह "साहिल"
बढिया!
क्या बात कही
बहुत अच्छा लिखा
बस धुआ....
दूसरी कविता दिल को कुछ ज्यादा छू गयी
ऐसे ही लिखते रहें
सुमित भारद्वाज
धुएं भरी ज़िंदगी से
हर रोज बचा लेता हूं
थोड़ी सांसे...थोड़ी रौशनी...
...और थोड़ी ज़िंदगी
इस उम्मीद में कि..
..कल फिर देख सकूं
और मुश्किलें..और आंसू..और हौसले
ताकि बचाने और टूटने के खेल से
बहुत सुन्दर लिखा है। पढ़कर आनन्द आगया। बधाई स्वीकारें।
बेजोड़
आपकी दोनों कविताओ के लिए एक शब्द में मै इतना ही शब्द कह सकता हूँ
Extremely beautiful poem. Really liked the lines :
धुएं भरी ज़िंदगी से
हर रोज बचा लेता हूं
थोड़ी सांसे...थोड़ी रौशनी...
...और थोड़ी ज़िंदगी
इस उम्मीद में कि..
..कल फिर देख सकूं
और मुश्किलें..और आंसू..और हौसले
ताकि बचाने और टूटने के खेल से
भर जाए जी.
"कल फिर देख सकूं और हौसले"....hausalain buland ho toh insaan bahut kuch kar sakta hai. "man balwaan...laage chataan...rahe maidan mein aage"
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)