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Friday, July 25, 2008

प्रेम पत्र


आज मैंने जब पावस नीर की कविता 'मेरी सबसे प्यारी कविता' पढ़ी तो मुझे भी अपनी यह बहुत पुरानी कविता याद आ गई। ज़रा पढ़े।

प्रेम पत्र

उसके लिये
किताब में छुपा कर
रखा है लड़की ने एक प्रेम पत्र
उसे जिससे करती है
प्रेम वो

पिता ने पढ़ी किताब
रख दी
प्रेम पत्र नहीं पढ़ा

भाई ने पढ़ी किताब
रख दी
प्रेम पत्र नहीं पढ़ा

माँ ने पढ़ी किताब
रख दी
प्रेम पत्र नहीं पढ़ा

दीदी की बिटिया ने
एक दिन पा ली किताब
छोटी सी बिटिया ने
फाड़ डाली समूची किताब
पन्ने-पन्ने उड़ा दिये हवा में
प्रेम पत्र की बना डाली नाव
घर के पीछे बहती नदी में
तैरा दी नाव

प्रेम पत्र का सफर शुरू हो गया है
बिटिया नाव के पीछे-पीछे
दौड़ रही है

लड़की कैलेंडर मे तारीख बदल रही है।

-अवनीश गौतम
रचना काल 1993

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14 कविताप्रेमियों का कहना है :

दिनेशराय द्विवेदी का कहना है कि -

सुंदर कविता!

Smart Indian का कहना है कि -

मज़ा आ गया.

PD का कहना है कि -

bahut sundar..

BRAHMA NATH TRIPATHI का कहना है कि -

वाह क्या बात है
वक्त के सितम को बखूबी दिखाया है
विरह वेदना को व्यक्त करती एक अच्छी कविता

डा ’मणि का कहना है कि -

अभिवादन अवनीश जी ,
एक अच्छी कविता के लिए बधाई ..

आज मैने भी अपने ब्लॉग पे एक रचना पोस्ट की है
उसकी चार पंक्तियाँ भेज रहा हूँ

" शर्म की बात होगी हमारे लिए
गीत-कविता का मस्तक अगर झुक गया
शर्म की बात होगी हमारे लिए
चुटकुलों से अगर जंग हारी ग़ज़ल "

डॉ उदय 'मणि'
(शेष रचना व हिन्दी की उत्कृष्ट कविताओं ग़ज़लों के लिए देखें )
http://mainsamayhun.blogspot.com

Pritishi का कहना है कि -

Ati sundar! Mujhe Dr Uday ki panktiyaan bhi behad pasand aayi

Unknown का कहना है कि -

बढिया कविता लगी

सुमित भारद्वाज

Sajeev का कहना है कि -

waah ... unbelivable...kahan kahan ghoma laye aap kamaal hai

Nikhil का कहना है कि -

waah,
paawas ki kavita aur aapki kavita ek hi sikke ke pahlu ki tarah hain...inhe ek saath padhne mein lagega ki ek jaise do logon ne likha hai...

nikhil

देवेन्द्र पाण्डेय का कहना है कि -

अवनीशजी--
आपकी कविता तो मासूमियत की बरसात लेकर आई लेकर आई है।
बुढ्ढों को जवानी और जवानों को बचपने की सौगात लेकर आई है॥
-----देवेन्द्र पाण्डेय।

Shailesh Jamloki का कहना है कि -

-अवनीश गौतम जी,
क्षमा करना पर मुझे आपकी कविता का मकसद नहीं समझ आया

१) सब ने किताब पढ़ी पर किसी ने प्रेम पात्र नहीं पढ़ा? क्यों.. और क्या कहना चाहते है आप इस से
२) प्रेम पात्र का नाव बनाने से सफ़र शुरू होने का क्या मतलब है? क्या आप ये कहना छह रहे है की वो तैर कर अपने मंजिल पर पहुचेगी..?
३) और ये कलेंडर की तारीख बदलने का क्या मतलब है

सादर
शैलेश

Anonymous का कहना है कि -

अवनीश जी
बधाई और धन्यवाद
आखिरी लाइन बहुत बहुत भाई
बढ़िया

Anonymous का कहना है कि -

लाजवाब
आलोक सिंह "साहिल

डा.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी का कहना है कि -

कुछ पल्ले नहीं पढा, मकसद समझ नही पाया.

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