गीत गज़ल या गाली लिख
बात मगर मतवाली लिख
गहमा-गहमी बहुत हुई,
अब तो खामखय़ाली लिख
रोज़ हथेली पर उसकी
ग़ज़लें मेंहदी वाली लिख
काँटे लिख चाहे जितने
फूलों की भी डाली लिख
लिख तू भले अमावस ही,
लेकिन दीपों वाली लिख
अधरों पर मुस्कानें लिख
असली लिख या जाली लिख
मौसम अजब सुहाना है
कोई ग़ज़ल निराली लिख
पूरा गुलशन चहकेगा,
पत्तों पर खुशहाली लिख ।
स्वागत किया बहारों का
मौसम ने हरियाली लिख
अपने कल पर मत इतरा
आज को गौरवशाली लिख
'श्याम' अलग तू दुनिया से
बातें भी अनियाली लिख
--यूनिकवि श्याम सखा 'श्याम'
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20 कविताप्रेमियों का कहना है :
श्याम जी बधाई हो, अभी अभी मसि-कागद की प्रति में जिंदगी को चौथीबार पढ़रहा था। फिर आपकी यह गजल। क्या बात है। शुभकामनाएँ।
कुमुद
नेपाल।
अपने कल पर मत इतरा
आज को गौरवशाली लिख
बहुत अच्छा श्याम जी बात शत-प्रतिशत सही लिखी है- अपने कल पर मत इतरा.........
लिख तू भले अमावस ही ,लेकिन दीपो वाली लिख !
कवि की जिजीविषा और सकारात्मक सोच से परिपूर्ण एक सुंदर ग़ज़ल के लिए बधाई !
सुंदरतम।
bahut budhiya Shamji !
बहुत साधारण तरीके से बहुत अच्छा लिखा है आपने श्याम जी...
बहुत सुंदर श्याम सखा जी. सरल शब्द और सुंदर विचार. बधाई. मुझे आपकी यह कविता आपकी पुरस्कृत कविता से भी अच्छी लगी.
लिख तू भले अमावस ही,
लेकिन दीपों वाली लिख
अपने कल पर मत इतरा
आज को गौरवशाली लिख
बहुत अच्छे श्याम जी यूँ तो पुरी ग़ज़ल अच्छी है पर मुझे ये दो शेर बहुत अच्छे लगे
आपकी ग़ज़ल मुझे बेहद पसंद आई.. क्यों की
१) बहुत छोटे मतले को आपने निभाया है आपने पूरी ग़ज़ल मै
२) शब्द बहुत सरल चुने है.. और कथ्य बहुत स्पष्ट है..
३) लगभग १० शेर होने के बावजूद ऐसा लगा की २-३ और होते तो अच्छा था...
पर दो - तीन चीज़ें मै जरूर उजागर करना चाहना...
१) "स्वागत किया बहारों का
मौसम ने हरियाली लिख"
ये अगर इस तरह होता तो ज्यादा स्पष्ट होता..
"स्वागत किया बहारों का
मौसम ने, हरियाली लिख"
अभी शायद अल्पविराम की महता पता चली हो आपको.. ऐसे बहुत सी शेरो कमी से लगी,,.
२) "अनियाली" का मतलब समझ नहीं आया...
सादर
शैलेश
बढिया लिखा है।
मैं शैलेश की बातों से सहमत हूँ | विराम चिन्हों आदि का उपयोग गुणवता तो बढ़ता ही है साथ में पढ़नीयता भी |
शेर अच्छे हैं |
-- अवनीश तिवारी
शैलेश जी,
सर्वप्रथम गज़ल पर हौसला अफ़जाई हेतु आप सबका आभारी हूं।जो मित्र मसि-कागद पत्रिका का अंक उपहार लेना चाहें,मेरे इ-मेल पर अपना डाक पता भेज दें।यह आऑफ़र केव्अल भारत में रहने वालों को है।डाक व्यय के कारण। आप द्वारा उठाए सवालो का जवाब अपनी योग्ता अनुसार देने का प्र्यत्न है।
१ मैंने हिन्दी आठवीं कक्षा तक पढी है।उसके बाद डॉ० की पढा़ई इस देश की नीतियों की वजह से अंग्रेजी में पढ़्नी पडी।
२-गजल पारखी लोग विराम चिन्हों से परहेज करने की सलाह देते हैं।मैं फ़िर भी प्रयत्न करता हूअम ,इनके प्रयोग हेतु,मगर मेरा नेट पर अनुभवहीन होना व टाइप का कम आना।व व्यस्तता आड़े आ जाती है।कल युग्म प्रभारी का हुक्म आया १० मिन्ट में कविता भेजें।खैर आगे ध्यान रखूंगा ।श्याम सखा ‘श्याम
bahut sunder mujge bahut achchhi lagi badhai
saader
rachana
सहज तरीके से कही गई बेहतरीन गजल
आलोक सिंह "साहिल"
बढिया है!
कम शब्दों में बड़ी बात कहना इसे ही कहते है। इस तरह की कविताएँ मुझे बहुत पसंद हैं। और वो भी जब ग़ज़ल के फॉरमैट में हों तो मज़ा ही आ जाता है। बहुत बढ़िया।
Bahut sundar rachana. Badhai.
बहुत साधारण तरीके से बहुत अच्छा लिखा है
shyam ji, der se tippani kar raha hoon isliye aapko badhai bhi nahi de paaya hoon.
Unikavi banane ke liye haardik badhaiyaan.
aapki yeh gazal mujhe behad pasand aayi. Seedhe-saade shabdon se aapne jo jaadoo racha hai, woh kaabil-e-taarif hai.
-Vishwa deepak 'tanha'
बहुत दिनों बाद ऐसी कविता पढने को मिली ! सच मच मैं तो इसकी रवानगी का कायल हो गया ! जहाँ आज कल कविता सच्चाई के बोझ से अपना नैसर्गिक सौंदर्य खोती जा रही है वहीँ आपने एक बेहद ही मौलिक, सुग्रहाय एवं प्रवाहपूर्ण रचना के माध्यम से कला की पराकाष्ठा दिखाने में सफल रहे हैं ! बधाई !!!
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