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Monday, July 28, 2008

किस दौर में पत्थर नहीं मिलते


इस दौर में इंसाँ कहीं बेहतर नहीं मिलते
रहज़न ही यहाँ मिलते हैं रहबर नहीं मिलते

अब देख कर इन ज़ख़्मों को घबराना भी कैसा
सच बोल के किस दौर में पत्थर नहीं मिलते

हर वक्त वहाँ सहमे हुए मिलते है बच्चे
किलकारियाँ गूँजें जहाँ वो घर नहीं मिलते

गिनती के लिए लाखों ही मिल जाएँगे लेकिन
ख़ातिर जो अना की कटें वो सर नहीं मिलते

अंदाज़ा किसे है यहाँ तक़लीफ़ का उनकी
क़ाबिल तो है लेकिन जिन्हें अवसर नहीं मिलते

मिलते हैं वो माँ की ही दुआओं में यक़ीनन
मन्दिर में ही भगवान भी अक्सर नहीं मिलते

घर से जो चलो याद रहे इतना भी "नीरज"
हर राह में दिलकश ही तो मंज़र नहीं मिलते


(इस ग़ज़ल के रूप को प्रस्तुतीकरण लायक बनाने में भाई द्विज की अहम् भूमिका है)

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21 कविताप्रेमियों का कहना है :

Pritishi का कहना है कि -

Bahut achchi koshish lagi. Kuchh she'r dil ko chhoo gaye. Waise toh "mukt" Shayari ka bhi apna andaaz hai, per aisa laga ke yadi "bhi" "hi" "to" in jaise chhote shabdon ko behtar sambhaala ja sakta hai!

रंजू भाटिया का कहना है कि -

हर वक्त वहाँ सहमे हुए मिलते है बच्चे
किलकारियाँ गूँजें जहाँ वो घर नहीं मिलते

मिलते हैं वो माँ की ही दुआओं में यक़ीनन
मन्दिर में ही भगवान भी अक्सर नहीं मिलते

बहुत खूब नीरज जी ...बहुत अच्छे लगे यह शेर

परमजीत सिहँ बाली का कहना है कि -

बहुत बढिया रचना है।

अंदाज़ा किसे है यहाँ तक़लीफ़ का उनकी
क़ाबिल तो है लेकिन जिन्हें अवसर नहीं मिलते

Unknown का कहना है कि -

bahut badhiya lika

kafiya aur radeef bhi theek nibha rakhe hai

aise he likhte raheiye.....

sumit bhardwaj

Anonymous का कहना है कि -

कमाल का लिखा है भाई जी,मजा आ गया.
आलोक सिंह "साहिल"

SURINDER RATTI का कहना है कि -

नीरज - अच्छा लिखा है आपने

इस दौर में इंसाँ कहीं बेहतर नहीं मिलते
रहज़न ही यहाँ मिलते हैं रहबर नहीं मिलते

अंदाज़ा किसे है यहाँ तक़लीफ़ का उनकी
क़ाबिल तो है लेकिन जिन्हें अवसर नहीं मिलते

वाह वाह बहुत सुंदर - सुरिन्दर रत्ती

Avanish Gautam का कहना है कि -

नीरज भाई
बढिया!!

डॉ .अनुराग का कहना है कि -

अंदाज़ा किसे है यहाँ तक़लीफ़ का उनकी
क़ाबिल तो है लेकिन जिन्हें अवसर नहीं मिलते




घर से जो चलो याद रहे इतना भी "नीरज"
हर राह में दिलकश ही तो मंज़र नहीं मिलते


नीरज जी ये शेर बहुत पसंद आये .......आप बस दिल की बात कह देते है......

pallavi trivedi का कहना है कि -

मिलते हैं वो माँ की ही दुआओं में यक़ीनन
मन्दिर में ही भगवान भी अक्सर नहीं मिलते

वाह...बहुत खूब

राज भाटिय़ा का कहना है कि -

नीरज जी, बहुत अच्छा लिखते हे,हर शव्द पढ्ने ओर सोचने पर मजबुर कर देते हे, धन्यवाद इन सुन्दर शव्दो के लिये..
मिलते हैं वो माँ की ही दुआओं में यक़ीनन
मन्दिर में ही भगवान भी अक्सर नहीं मिलते

Smart Indian का कहना है कि -

हर वक्त वहाँ सहमे हुए मिलते है बच्चे
किलकारियाँ गूँजें जहाँ वो घर नहीं मिलते

बहुत अच्छी पंक्तियाँ हैं - धन्यवाद!

डा.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी का कहना है कि -

मिलते हैं वो माँ की ही दुआओं में यक़ीनन
मन्दिर में ही भगवान भी अक्सर नहीं मिलते

घर से जो चलो याद रहे इतना भी "नीरज"
हर राह में दिलकश ही तो मंज़र नहीं मिलते
वाह! वाह! बधाई.

शोभा का कहना है कि -

ritbansalघर से जो चलो याद रहे इतना भी "नीरज"
हर राह में दिलकश ही तो मंज़र नहीं मिलते
बहुत अच्छा

Shiv का कहना है कि -

बहुत खूबसूरत गजल...एक-एक शेर बहुत बढ़िया.

Anonymous का कहना है कि -

niraj ji bahut hi achchha likha hai aap ne
मिलते हैं वो माँ की ही दुआओं में यक़ीनन
मन्दिर में ही भगवान भी अक्सर नहीं मिलते
ye mujhe bahut hi achchha laga
saader
rachana

देवेन्द्र पाण्डेय का कहना है कि -

हर वक्त वहां सहमे हुए मिलते हैं बच्चे
किलकारियाँ गूँजे जहाँ वो घर नहीं मिलते।
---वाह क्या शेर है।--देवेन्द्र पाण्डेय।

BRAHMA NATH TRIPATHI का कहना है कि -

हर वक्त वहाँ सहमे हुए मिलते है बच्चे
किलकारियाँ गूँजें जहाँ वो घर नहीं मिलते

गिनती के लिए लाखों ही मिल जाएँगे लेकिन
ख़ातिर जो अना की कटें वो सर नहीं मिलते

एक अच्छी ग़ज़ल के बहुत ही उम्दा शेर
पढ़कर अच्छा लगा बधाई

Shailesh Jamloki का कहना है कि -

१) आपकी ग़ज़ल वाकई कबीले तारीफ़ है..

हर शेर बहुत सुन्दर है..

बस छोटी सी बात समझ नहीं आई...

ये शेर आपका ग़ज़ल मै दो बार आया है.. ऐसा क्यों ?

"हर वक्त वहाँ सहमे हुए मिलते है बच्चे
किलकारियाँ गूँजें जहाँ वो घर नहीं मिलते"

सादर
शैलेश

नीरज गोस्वामी का कहना है कि -

मैं दिल से आभारी हूँ अपने पाठकों का जिन्होंने ग़ज़ल पसंद करके इसे सार्थक बनाया साथ ही मुझे कुछ सीखने समझने का मौका भी दिया. ग़ज़ल के पारखी पाठकों द्वारा बताई कमिया मैं अपनी आगामी रचनाओं में दूर करने की कोशिश करूँगा. शैलेश जी भूल की और इंगित करने का शुक्रिया, मैंने भूल सुधार ली है. आप सब से अनुरोध है की अपना स्नेह यूँ ही बनाये रखें.
नीरज

वीनस केसरी का कहना है कि -

bahut behtreen gazal

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

नीरज जी,

बहुत बढ़िया ग़ज़ल। आपके लौटने से हिन्द-युग्म की चमक लौट आई है। दुबारा स्वागत करता हूँ।

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