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Wednesday, July 09, 2008

क्रंदन (एक अधूरा गीत)


करुण क्रंदन से आह संपूर्ण विश्व है रोता,
जग में भरी व्यथाओं की ज्वाला में है जलता,
तम की गहन गुफा में, निस्तब्ध गगन के नीचे,
घुट-घुट कर सिसक-सिसक कर जीवन क्योंहै रोता !

धूमिल होती आशाएं, परिचय बना रुदन है,
निष्ठुर निर्दयी नियति म्लान हुआ जीवन है,
स्मृतियां बहतीं रहीं अश्रु बन अविरल जलधारा,
द्रवित होता हृदय नही, पाषाण बना नलिन है ।

हिम बन माहुर जमा रक्त, उर में नही तपन है,
प्रणय डोर जब टूट चली, रोता कहीं मदन है,
निश्वास छोड़ता सागर, नीरव व्याकुल लहरें,
दर्द से व्यथित वेदना, पीड़ा सहती जलन है ।

काल बना निर्मोही, सजा रहा मुस्कान कुटिल,
अट्टहास करती तृष्णा, बन गया मानव जटिल,
प्रलय घटा घनघोर, अवसाद विक्षुब्ध खड़ा है,
उलझा मौन रहस्य, अभिशापित लहरें फेनिल ।

कवि कुलवंत सिंह

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10 कविताप्रेमियों का कहना है :

करण समस्तीपुरी का कहना है कि -

धूमिल होती आशाएं, परिचय बना रुदन है,
निष्ठुर निर्दयी नियति म्लान हुआ जीवन है,
स्मृतियां बहतीं रहीं अश्रु बन अविरल जलधारा,
द्रवित होता हृदय नही, पाषाण बना नलिन है !!!

कोमल भाव, साधु शब्द और लयबद्ध शैली की त्रिवेणी !!!

Smart Indian का कहना है कि -

घोर निराशा का कारण?

Kavi Kulwant का कहना है कि -

Hardik Aabhaar!

Kavi Kulwant का कहना है कि -

स्मार्ट जी.. आप ने कारण पूछा है.. एक शेर कहता हूँ.. सांप की कुछ प्रजातियां ऐसी हैं जो अपने ही अंडों को खा जाती हैं..
अंडों को खाता सांप यह हैं उसकी आदतें,
बच्चे को नर ने खा सच को मात कर दिया ।

BRAHMA NATH TRIPATHI का कहना है कि -

कुलवंत जी आपने इसका नाम एक अधूरा गीत क्यूँ रखा है
मुझे तो इस अधूरे गीत में भी पूर्णता नजर आ रही है

और कुलवंत जी मुझे फेनिल का अर्थ नही पता
कृपया करे बता दीजियेगा

Harihar का कहना है कि -

काल बना निर्मोही, सजा रहा मुस्कान कुटिल,
अट्टहास करती तृष्णा, बन गया मानव जटिल,
प्रलय घटा घनघोर, अवसाद विक्षुब्ध खड़ा है,
उलझा मौन रहस्य, अभिशापित लहरें फेनिल ।
बहुत सुन्दर गीत है कुलवन्त जी

Anonymous का कहना है कि -

अच्छा लगा जी.
आलोक सिंह "साहिल"

Anonymous का कहना है कि -

शब्द अधिक होने से भाव अस्त-पस्त हुए

Kavi Kulwant का कहना है कि -

धन्यवाद आप सभी मित्रों का..
फेनिल = झागदार

devendra kumar mishra का कहना है कि -

धूमिल होती आशाएं, परिचय बना रुदन है,
निष्ठुर निर्दयी नियति म्लान हुआ जीवन है,
स्मृतियां बहतीं रहीं अश्रु बन अविरल जलधारा,
द्रवित होता हृदय नही, पाषाण बना नलिन है ।
शब्द और लयबद्ध शैली अच्छा लगा

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