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Friday, June 27, 2008

सुरिन्दर से बात न करो


मई माह की यूनिकवि प्रतियोगिता से हमने ११ कविताएँ चुनी थी क्योंकि अंतिम दो कविताओं का प्राप्तांक लगभग बराबर है। ११ वें स्थान के कवि सुरिन्दर रत्ती मुम्बई में रहते हैं और म्यूजिक कम्पनी यूनिवर्सल म्युज़िक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में सहायक प्रबंधक हैं। मुम्बई यूनिवर्सिटी से बी॰ कॉम और शास्त्रीय संगीत की शिक्षा पा चुके सुरिन्दर को गीत-संगीत लिखना और गाना, पुस्तकें पढना, काव्य गोष्टीयों में भाग लेना, फोटोग्राफी, ट्राव्लिंग इत्यादि पसंद हैं। कुछ समय पहले इनकी दो आडियो कैसेट आ चुकी हैं और एक पुस्तक पर काम चल रहा है, जिसमें ये कवितायें, शेरो-शायरी, गज़ल शामिल करेंगे।

पुरस्कृत कविता- बात न करो

लामज़हबों की दुनिया में मज़हब की बात न करो,
वो तो ख़ुदा को नहीं बख्शते इंसां की बात न करो

कौन सुनेगा फरियाद किसी की मसरुफ जो ठहरे,
जब दौर-ए-गर्दिश हो इंसाफ की बात न करो

मेरी दहलीज़ पर हंगामें डेरा डाले बैठे रहे,
दौर-ए-नाशाद में शाद की बात न करो

जिस्म का मर्ज़ और दिल का दर्द बताऊँ किसे,
उसने कहा मेरी सुनो अपनी बात न करो

दुनिया बेरहम-ओ-बेरुखी के क़ायदे पढ़ती है,
ऐसे में तहय्युर-ओ-तज़वीज़ की बात न करो

कल नज़र उठा के देखा तदबीर तो मौजूद थी,
मनसब ठीक न हो उम्मीद की बात न करो

"रत्ती" घिर गये हो तुम सेहरा के जंगलों में,
रेत ही मयस्सर होगी पानी की बात न करो

शब्दार्थ-
लामज़हब = नस्तिक, नाशाद = दुख, मनसब = लक्ष्य, मसरूफ = व्यस्त
शाद = सुख, तहय्युर = बदलाव, सेहरा = मरुस्थल
तज़वीज़ = राय. मयस्सर = उपलब्ध



प्रथम चरण के जजमेंट में मिले अंक- ६, ३, ५॰५, ७॰२५
औसत अंक- ५॰४३७५
स्थान- उन्नीसवाँ


द्वितीय चरण के जजमेंट में मिले अंक- ४॰५, ५, ४, ५॰४३७५ (पिछले चरण का औसत)
औसत अंक- ४॰७३४३७५
स्थान- ग्यारहवाँ


पुरस्कार- शशिकांत 'सदैव' की ओर से उनके शायरी-संग्रह दर्द की क़तरन की स्वहस्ताक्षरित प्रति।

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5 कविताप्रेमियों का कहना है :

Harihar का कहना है कि -

लामज़हबों की दुनिया में मज़हब की बात न करो,
वो तो ख़ुदा को नहीं बख्शते इंसां की बात न करो
बहुत खूब ! सुरिन्दर जी
अन्तिम शेर भी खूब पसन्द आया

सीमा सचदेव का कहना है कि -

दुनिया बेरहम-ओ-बेरुखी के क़ायदे पढ़ती है,
ऐसे में तहय्युर-ओ-तज़वीज़ की बात न करो
बहुत खूब ,बधाई

करण समस्तीपुरी का कहना है कि -

वो तो ख़ुदा को नहीं बख्शते इंसां की बात न करो....

खूब कहा सुरिंदर पा जी !!

देवेन्द्र पाण्डेय का कहना है कि -

कठिन उर्दू के शब्दों का ग्यान कराती
अच्छे विचार जगाती
गज़ल।
--देवेन्द्र पाण्डेय।

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

बेहद खूबसूरत गजल...

बधाई

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