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Tuesday, June 17, 2008

कचरा बीनते एक बच्चे को खिलाया पिज्जा हट....


इस बार यूनिकवि प्रतियोगिता में पाँचवें पायदान की कविता पल्लवी त्रिवेदी द्वारा रचित है। पल्लवी पिछली बार भी शीर्ष १० में स्थान बना चुकी हैं। इनका पूरा परिचय।

पुरस्कृत कविता- खुदा की इबादत

आज की सुबह वाकई जादूई थी
ठंडी हवा ने हौले से
सहलाया मेरे सर को
उठा तो देखा
हर फूल, हर पत्ते पर
चमक रहे थे ओस के मोती
खिलखिलाता हुआ सूरज
छत की मुंडेर पर गाती चिड़िया
मुझे सुप्रभात कह रहे थे...

मैंने खुदा को शुक्रिया कहा
और चाहा कि आज का दिन
बिताऊँ खुदा की इबादत में
फिर मैंने...
दूध वाले को एक प्याली चाय पिलाई
एक गुलाब दिया अपनी माँ को
माली काका को भेजा
टिकिट देकर फिल्म देखने
कचरा बीनते एक बच्चे को
खिलाया पिज्जा हट का पिज्जा
गली में घूमते एक नन्हें से पिल्ले को
नहला दिया गरम पानी से
शाम को जब ऊपर निगाह डाली
खुदा बादलों के पीछे से
मुस्कुरा रहा था
शायद खुदा ने मेरी इबादत कुबूल कर ली...



प्रथम चरण के जजमेंट में मिले अंक- ६, ५, ७॰४, ७॰२५
औसत अंक- ६॰४१२५
स्थान- सातवाँ


द्वितीय चरण के जजमेंट में मिले अंक- ४॰५, ६॰५, ६॰५, ६॰४१२५ (पिछले चरण का औसत)
औसत अंक- ५॰९७८१२५
स्थान- पाँचवाँ


पुरस्कार- शशिकांत 'सदैव' की ओर से उनके शायरी-संग्रह दर्द की क़तरन की स्वहस्ताक्षरित प्रति।

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16 कविताप्रेमियों का कहना है :

राजीव तनेजा का कहना है कि -

सरल शब्द...मुस्कुराती कविता....बधाई...
:-)

रंजू भाटिया का कहना है कि -

सुंदर कविता सुंदर भाव के साथ

Sajeev का कहना है कि -

गुनगुनी धूप सी कविता

करण समस्तीपुरी का कहना है कि -

सुबह की धुप की तरह कविता भी जादुई है !
बधाई हो पल्लवी जी !
प्रशासनिक दायित्व के साथ-साथ सामाजिक सरोकार का साहित्य के माध्यम से इतना सरल निर्वहन !! काबिले-तारीफ !!!

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

पल्लवी त्रिवेदी जी
तुहार कविता..
दिल-भेदी जी.......

पर मैनें तो ली थी तीन तीन बादलों की रजाई
फिर भी देख लिया मुझको भाई..
मान गये ...
आपकी पारखी नज़र,दिन का नज़ारा और
आपकी कविता तीनों को..

डा.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी का कहना है कि -

माली काका को भेजा
टिकिट देकर फिल्म देखने
कचरा बीनते एक बच्चे को
खिलाया पिज्जा हट का पिज्जा
गली में घूमते एक नन्हें से पिल्ले को
नहला दिया गरम पानी से
पल्लवीजी काश! हम सभी खुदा के इस प्यार की अनुभुति कर पाते, काश! खुदा की इबादत के इस तरीके को अपना पाते. आपके विभाग का काम कुछ कम हो जाता तथा खुदा के बन्दों का रक्त बहने से बच जाता.

देवेन्द्र पाण्डेय का कहना है कि -

अच्छे विचार--अच्छी कविता।
कविता पढ़कर मन प्रसन्न हुआ--
होंठ गुनगुनाने लगे---
---ले कर हरि का नाम
करे जो अच्छा-अच्छा काम
प्रभु दिन लिख दे उसके नाम।
--------देवेन्द्र पाण्डेय।

Anonymous का कहना है कि -

PIZZA WALI ESS SANSKRITI, MAI KACHRA BINNAE WAALAE KO, KOI KHILATA HAI PIZZA.......WAHA PALVAI.....KASA KHOOBSURAT HOGA WOH PAL US BACHAPAN KAE LIYEH......ONE CAN IMAGINE.
SEEMA MALHOTRA

mehek का कहना है कि -

bahut sundar aur nek bhav,khuda to muskura dega hi,its beautiful bahut badhai

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

बहुत अच्छा है |
ऐसा करोगी तो कल सुबह मोह्हाले भर के बच्चे कतार में खड़े होंगे आपके चौखट पर "पिज्जा" खाने |

सुंदर रचना के लिए बधाई|

-- अवनीश तिवारी

pallavi trivedi का कहना है कि -

आप सभी मित्रों का बहुत बहुत शुक्रिया....

Pooja Anil का कहना है कि -

पल्लवी जी ,

हमारी दुआ है कि आपकी हर सुबह जादुई हो और हर दिन खुदा आपको देख कर ऐसे ही मुस्कुराता रहे .
किसी को भी खुशी देना खुदा की सबसे बड़ी इबादत है, हाँ इसके स्वरुप अलग हो सकते हैं . बहुत सरल शब्दों में तनाव मुक्त करती रचना है .

शुभकामनाएं
^^पूजा अनिल

सीमा सचदेव का कहना है कि -

बहुत खूब पल्लवी जी ,बधाई

Shailesh Jamloki का कहना है कि -

mujhe bahut khushi hui is kavita ko pad kar.. aur.. dil se prerna mili..

is tarh ki ibadat karne ke...

badhai

sadar
shailesh

KAMLABHANDARI का कहना है कि -

pallaviji saadharan shabdo me bahut hi asaadhaaran kavtita rachi hai aapne. dhero badhaaiya.

Anonymous का कहना है कि -

पल्लवी जी,कमाल है आपकी कलम में,बधाई स्वीकार करें
आलोक सिंह "साहिल"

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