इस बार यूनिकवि प्रतियोगिता में पाँचवें पायदान की कविता पल्लवी त्रिवेदी द्वारा रचित है। पल्लवी पिछली बार भी शीर्ष १० में स्थान बना चुकी हैं। इनका पूरा परिचय।
पुरस्कृत कविता- खुदा की इबादत
आज की सुबह वाकई जादूई थी
ठंडी हवा ने हौले से
सहलाया मेरे सर को
उठा तो देखा
हर फूल, हर पत्ते पर
चमक रहे थे ओस के मोती
खिलखिलाता हुआ सूरज
छत की मुंडेर पर गाती चिड़िया
मुझे सुप्रभात कह रहे थे...
मैंने खुदा को शुक्रिया कहा
और चाहा कि आज का दिन
बिताऊँ खुदा की इबादत में
फिर मैंने...
दूध वाले को एक प्याली चाय पिलाई
एक गुलाब दिया अपनी माँ को
माली काका को भेजा
टिकिट देकर फिल्म देखने
कचरा बीनते एक बच्चे को
खिलाया पिज्जा हट का पिज्जा
गली में घूमते एक नन्हें से पिल्ले को
नहला दिया गरम पानी से
शाम को जब ऊपर निगाह डाली
खुदा बादलों के पीछे से
मुस्कुरा रहा था
शायद खुदा ने मेरी इबादत कुबूल कर ली...
प्रथम चरण के जजमेंट में मिले अंक- ६, ५, ७॰४, ७॰२५
औसत अंक- ६॰४१२५
स्थान- सातवाँ
द्वितीय चरण के जजमेंट में मिले अंक- ४॰५, ६॰५, ६॰५, ६॰४१२५ (पिछले चरण का औसत)
औसत अंक- ५॰९७८१२५
स्थान- पाँचवाँ
पुरस्कार- शशिकांत 'सदैव' की ओर से उनके शायरी-संग्रह दर्द की क़तरन की स्वहस्ताक्षरित प्रति।
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16 कविताप्रेमियों का कहना है :
सरल शब्द...मुस्कुराती कविता....बधाई...
:-)
सुंदर कविता सुंदर भाव के साथ
गुनगुनी धूप सी कविता
सुबह की धुप की तरह कविता भी जादुई है !
बधाई हो पल्लवी जी !
प्रशासनिक दायित्व के साथ-साथ सामाजिक सरोकार का साहित्य के माध्यम से इतना सरल निर्वहन !! काबिले-तारीफ !!!
पल्लवी त्रिवेदी जी
तुहार कविता..
दिल-भेदी जी.......
पर मैनें तो ली थी तीन तीन बादलों की रजाई
फिर भी देख लिया मुझको भाई..
मान गये ...
आपकी पारखी नज़र,दिन का नज़ारा और
आपकी कविता तीनों को..
माली काका को भेजा
टिकिट देकर फिल्म देखने
कचरा बीनते एक बच्चे को
खिलाया पिज्जा हट का पिज्जा
गली में घूमते एक नन्हें से पिल्ले को
नहला दिया गरम पानी से
पल्लवीजी काश! हम सभी खुदा के इस प्यार की अनुभुति कर पाते, काश! खुदा की इबादत के इस तरीके को अपना पाते. आपके विभाग का काम कुछ कम हो जाता तथा खुदा के बन्दों का रक्त बहने से बच जाता.
अच्छे विचार--अच्छी कविता।
कविता पढ़कर मन प्रसन्न हुआ--
होंठ गुनगुनाने लगे---
---ले कर हरि का नाम
करे जो अच्छा-अच्छा काम
प्रभु दिन लिख दे उसके नाम।
--------देवेन्द्र पाण्डेय।
PIZZA WALI ESS SANSKRITI, MAI KACHRA BINNAE WAALAE KO, KOI KHILATA HAI PIZZA.......WAHA PALVAI.....KASA KHOOBSURAT HOGA WOH PAL US BACHAPAN KAE LIYEH......ONE CAN IMAGINE.
SEEMA MALHOTRA
bahut sundar aur nek bhav,khuda to muskura dega hi,its beautiful bahut badhai
बहुत अच्छा है |
ऐसा करोगी तो कल सुबह मोह्हाले भर के बच्चे कतार में खड़े होंगे आपके चौखट पर "पिज्जा" खाने |
सुंदर रचना के लिए बधाई|
-- अवनीश तिवारी
आप सभी मित्रों का बहुत बहुत शुक्रिया....
पल्लवी जी ,
हमारी दुआ है कि आपकी हर सुबह जादुई हो और हर दिन खुदा आपको देख कर ऐसे ही मुस्कुराता रहे .
किसी को भी खुशी देना खुदा की सबसे बड़ी इबादत है, हाँ इसके स्वरुप अलग हो सकते हैं . बहुत सरल शब्दों में तनाव मुक्त करती रचना है .
शुभकामनाएं
^^पूजा अनिल
बहुत खूब पल्लवी जी ,बधाई
mujhe bahut khushi hui is kavita ko pad kar.. aur.. dil se prerna mili..
is tarh ki ibadat karne ke...
badhai
sadar
shailesh
pallaviji saadharan shabdo me bahut hi asaadhaaran kavtita rachi hai aapne. dhero badhaaiya.
पल्लवी जी,कमाल है आपकी कलम में,बधाई स्वीकार करें
आलोक सिंह "साहिल"
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