1).पलक उठा के यूं ही
जब देखा उसने
उभर गया
इन्द्रधनुष
नज़रों में
और एक सपना
जीने को यूं मिल गया..
2).भरे कुछ रंग प्यार के
और कुछ रंग उस में उसने
शायद विश्वास का मिलाया
कहा जब आंखो में आँखे डाल कर
कि अब या न उतरेगा ज़िंदगी से
तो लगा ..
एक यही सच्चा रंगरेज है
जो जानता है कि ..
प्यार और विश्वास के रंग
कभी ज़िंदगी में फीके नही पड़ते..
3).चाह नही है ..
कुछ और तुमसे पाने की
सिर्फ़ चंद रंगो से ..
यह आँचल मेरा रंग देना
एक प्यार का ,
मीठा बोल सतरंगा ..
और महकते फूलों की
आंच सा हर पल ..
इस धड़कते दिल के ..
नाम कर देना!!
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19 कविताप्रेमियों का कहना है :
मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति — सहज और प्रांजल!
— महेंद्रभटनागर
एक यही सच्चा रंगरेज है
जो जानता है कि ..
प्यार और विश्वास के रंग
कभी ज़िंदगी में फीके नही पड़ते..
भावों को सुन्दर शब्दों में पिरोया है रंजूजी !
भरे कुछ रंग विश्वास के
और कुछ रंग उस में उसने
शायद प्यार का मिलाया
कहा जब आंखो में आँखे डाल कर
कि अब या न उतरेगा ज़िंदगी से
तो लगा ..
एक यही सच्चा रंगरेज है
जो जानता है कि ..
प्यार और विश्वास के रंग
कभी ज़िंदगी में फीके नही पड़ते..
rangon ke bauchar bahut hi khubsurat hai ranju ji,all r smilpy awesome.
Hello Ranjuji aapki lekhni mai jaadu mai...such mai Pyaar aur Vishwas ki abhivyakti bahut hi sundar tareeke se ki gayi hai...sabdo ka chyaan bhi khoobsurati se kiya gaya hai...ishwar ne chaha to apki kavitaye hindustaan mai hi nahi sampoorn jagat mai kirtimaan isthpit karengi...
regards,
aditya
आपके रंग में बिखरे हुए लफ्ज हमने तो समेट लिये रंजना जी...
गजब की तूलिका है रंग दिया हमें भी..
भरे कुछ रंग विश्वास के
और कुछ रंग उस में उसने
शायद प्यार का मिलाया
कहा जब आंखो में आँखे डाल कर
कि अब या न उतरेगा ज़िंदगी से
तो लगा ..
एक यही सच्चा रंगरेज है
जो जानता है कि ..
प्यार और विश्वास के रंग
कभी ज़िंदगी में फीके नही पड़ते..
रंगती रहें..
pyar ke sachhe rango se sarobar teeno
rang....ek bar fir aapki lekhni ko badhai....
yun hi likhti rahiye.....
बेहद खूबसूरत लगे ये रंग।
एक-एक शब्द और एक-एक पंक्ति शीर्षक को यथार्थ करती हुई।
रंजना जी,
प्रेम शायद दुनिया की सबसे सशक्त भावना है और निश्चय ही प्रेम के रंग अनोखे हैं.. जो इनमें डूब जाये उसे किसी और वस्तु की आवश्यकता नहीं रहती..
एक सुन्दर भाव भरी रचना के लिये बधाई
वाह वाह रंजू जी...
आप कि तीनो रचनाए सुन्दर लगी|
भाव और अभिव्यक्ति का अच्छा मिश्रण किया गया है| छोटी रचनाए है मगर पूर्ण है|
रंजूजी---
रंग में बिखरे हुए लफ्ज--के दूसरे भाग में----
भरे कुछ रंग प्यार के
और कुछ रंग उसमें उसने
शायद विश्वास का मिलाया----------
--------------------------
यही एक सच्चा रंगरेज है----------
------छमा करें--यहॉ -शायद- शब्द मुझे खटक रहा है।
--जहॉ शायद लग गया वहॉ --
-यही सच्चा रंगरेज है कैसे कहा जाय
--देवेन्द्र पाण्डेय।
teenon nazmen bahut khoobsurat hain....bahut sundar bhaav abhivyakti..
सुंदर रचना |
अवनीश तिवारी
सुंदर मन से ही इतनी सुंदर रचनाएँ निकल सकती हैं.
बहुत बहुत बधाई.
बहुत सुन्दर !
घुघूती बासूती
प्यार और विश्वास के रंग
कभी ज़िंदगी में फीके नही पड़ते..
सच्च कहा आपने रंजू जी
वाह..
सारी क्षणिकाएँ अच्छी बन पड़ी हैं....लेकिन इतनी कम क्यों हैं....अगली बार भी इंतज़ार रहेगा...
निखिल
wah!! kya baat hai ranju ji
प्यार और विश्वास के रंग
कभी ज़िंदगी में फीके नही पड़ते..
ye line to dil ko choo gayi hai
gr8
आपकी पुरानी 'छोटी कविताओं' से काफी कमतर है।
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