कृष्ण मुरारी जरा, सुन लो हमारी जरा
लेकर अवतार प्रभु एक बार आइए...
दूध दही की यहाँ कमी नही आती है
डेरी के बूथ की परमीशन मिल जाती है
हरे हरे नोटों का बस चारा सब खाते हैं
मंत्री से जाकर बस जुगाड़ तो लगाइए..
लेकर अवतार ..............
गगरी मटकिया का अब ना जमाना है
ग्वाल बाल लेकर चोरी करने नहीं जाना है
फ्लेवर जो भी चाहिये मॉल से मंगा लो झट
ओपनर से खोल सीधा मुहुँ से लगाइए....
लेकर अवतार ..............
काम नहीं आयेगी अब छोड़ दो ये बाँसुरी
आज कल की गोपियों का फेवरेट है mp3
कि मिस कॉल मारकर भी कम चल जायेगा
एक छोटा पैक बस रिचार्ज करवाइए....
लेकर अवतार ..............
देख्नना, कुछ नये कृष्ण रूप कैसे घूमते
सरेआम सड़कों पर गोपियों को चूमते
रासलीला थोक में जो देखनी हो आपको
पिछवाड़े वाले जरा पार्क में तो जाइए...
लेकर अवतार ..............
चक्र सुदर्शन अब आउट डेटिड हो गया
मंत्रों से भस्म करना पायरेटिड हो गया
रक्षा से पहले अब सुरक्षा जरूरी है...
ए.के.47 का एक लाइसेंस बनवाइए..
लेकर अवतार ..............
जमुना किनारे नही, वाटर पार्क जाओगे
गोपियों के झुंडों को तैयार खड़ा पाओगे
पहले से ही उतरे हैं,कोई क्या उतारे अब
वस्त्र चुराने को बस ढूँढते रह जाइए....
लेकर अवतार ..............
कृष्ण मुरारी जरा, सुन लो हमारी जरा
लेकर अवतार प्रभु एक बार आइए...
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
12 कविताप्रेमियों का कहना है :
चक्र सुदर्शन अब आउट डेटिड हो गया
मंत्रों से भस्म करना पायरेटिड हो गया
रक्षा से पहले अब सुरक्षा जरूरी है...
ए.के.47 का एक लाइसेंस बनवाइए
:):) सही कहा आपने राघव जी हास्य व्यंग की एक मजेदार रचना है यह ..लिखते रहे ..कुछ टी लोगो को हंसने का मौका मिलेगा ..वैसे आज कल के हालत पर सही व्यंग है यह :)
राघव भैया..
रिसेपशन की तैयारी राखो.. इतना बडा प्रलोभन मुरारी जी ठुकरा नहीं पायेंगे.. दौडे चले आयेंगे
वाह जी वाह बेहद खूबसूरत पुकार है,प्रभुजी तो पधारेंगे ही ,कोई शक नही,बहुत बधाई
अंतरजाल में प्रभु पुकार पढ़कर भगवान ने कहा --
हम मरे कब थे जो अवतारें अब वत्स
सब में हमारा ही तो रूप विध्यमान है।
लोग जिसे चाहते हैं वही सब करता मैं
इसीलिए आज तक आन-बान-शान है॥
-----मैने आपकी पुकार पढ़कर--वाह क्या व्यंग है कहा ही था कि
प्रभु की बात सुन ली -सोंचा लिख दूँ -सभी पढ़ लें---देवेन्द्र पाण्डेय।
triwaah...bahut hi shaandar. maza aa gaya.
दौडे आयेंगे प्रभु जी तो.
बढ़िया मिश्रण हास्य और व्यंग्य का.
बधाई.
हेहेहेहेह :)
अवनीश तिवारी
रक्षा से पहले अब सुरक्षा जरूरी है...
ए.के.47 का एक लाइसेंस बनवाइए..
बहुत खूब! राघव जी
भुपेंदर जी आपके साथ हम भी यही कहेंगे.....
कृष्ण मुरारी जरा, सुन लो हमारी जरा
लेकर अवतार प्रभु एक बार आइए...
mazaa aa gaya..mast kavita hai....sachmuch,vyangya bhi hai aur sateek bhi hai...
nikhil
व्यंग्य लेखन में आपके पास बहुत सा पोटेन्शियल है। बहुत खूब।
Good comparison and beautiful presentation of comparative thoughts, with humor. Too long a poem, though.
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)