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Sunday, May 25, 2008

ईश्वर दो हैं ...



नजर पड़ी राह पर ,
उस लावारिस शिला खंड पर ,
दीठ भर देखा ,
दिल में करार आया ,
ले आई घर में ,
दीप जलाकर,
फूल चढ़ाकर ,
गहन विश्वास के साथ
प्रणाम किया .
क्या यह मेरे लिए नहीं है ईश्वर !


चिल्ले का जाड़ा,
चुल्लूओं रोता,
'आधी टुकडी रोटी ' कराहता
फ़िर चुप्पी साधता ,
देख इसे छाती भर आया
ले आई घर में ,
झट से खाना परोसा .
पेट की आग बुझते ही
चेहरा खिला
मेरे भीगे नयन तृप्त ....
क्या यह नहीं है अमृत संतान विश्व का
या द्वितीय ईश्वर !

सुनीता यादव

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11 कविताप्रेमियों का कहना है :

देवेन्द्र पाण्डेय का कहना है कि -

सुनीताजी-कविता का भाव अच्छा है।------चिल्ले का जाड़ा चुल्लुओं रोता---कॄपया इसका अर्थ स्पष्ट करने का कष्ट करें।

Harihar का कहना है कि -

पेट की आग बुझते ही
चेहरा खिला
मेरे भीगे नयन तृप्त ....
क्या यह नहीं है अमृत संतान विश्व का
या द्वितीय ईश्वर !

सुनीता जी बहुत ही सुन्दर है कविता

Dr. sunita yadav का कहना है कि -

चिल्ले का जाड़ा का अर्थ है बड़ी जोरदार सर्दी जैसे चिल्ले का जाड़ा चीं करवा के छोड़ता है और चुल्लूओं रोता का अर्थ है बहुत आँसू बहाता ....जैसे वह तुम्हारी नाराजगी पर चुल्लुओं रोई ...आशा है अब आप समझ गए होंगे ...देवेन्द्र जी हम कविता में सहजता लाने के चक्कर में साहित्य भण्डार के शब्दों से अछूते रह जाते हैं ..मेरी कोशिश हमेशा रहती है कि कम से कम मैं जिन शब्दों को जानती हूँ उनका प्रयोग कर सकूँ ..चाहे मुझे यह हमेशा सुनना पड़े कि मैं कठिन शब्दों का प्रयोग करती हूँ ...

रंजू भाटिया का कहना है कि -

अच्छी लगी आपकी यह रचना सुनीता जी ..

Pooja Anil का कहना है कि -

सुनीता जी ,

बहुत सुंदर भाव पूर्ण रचना है , प्रथम भक्ति भरी है और द्वितीय दयालुता का भाव स्थापित करती है .

द्वितीय कविता में -"देख इसे छाती भर आया " पंक्ति में मुझे "छाती" के साथ "आया" का प्रयोग कुछ ठीक नहीं लगा क्योंकि "छाती" स्त्रीलिंग है और "आया" पुल्लिंग , क्या "छाती" के स्थान पर ´"सीना" शब्द का प्रयोग किया जा सकता है , ताकि कविता का प्रवाह भी ना टूटे और तात्पर्य भी समान रहे ?


^^पूजा अनिल

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

दया करुणा और प्रेम भाव लिये अच्छी कविता..

सीमा सचदेव का कहना है कि -

सुनीता जी आपकी दोनों चोटी कवितायें बहुत खूबसूरत है | दूसरी कविता का भाव टू बहुत ही अच्छा है ,पर ईश्वर दो क्यो ? ,उतने है जितने हमारे मन मी सुंदर भाव उमड़ते है ,जिसकी कोई गिनती नही .....सीमा सचदेव

देवेन्द्र पाण्डेय का कहना है कि -

सुनिताजी--अर्थ स्पष्ट करने के लिए धन्यवाद।------चिल्ले का जाड़ा चीं करवा के छोड़ता है---वाह । यह मेरे लिए वाकई एक सुखद अनुभव है।---मेरे पूछने का अर्थ यह आरोप लगाना नहीं है कि आप कठिन शब्दों का प्रयोग करती हैं।----आप कठिन से कठिन शब्दों का प्रयोग करें ---बस यह गुजारिश है कि कविता के नीचे कठिन शब्दों का अर्थ भी लिख दें ।-----धन्यवाद।--देवेन्द्र पाण्डेय।

Anonymous का कहना है कि -

सुनीता जी,अच्छे भावों से लब्ध अव्ह्ही कविता
आलोक सिंह "साहिल'

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

सुनीता जी,

स्पंदित करने वाली रचनायें हैं, बेहतरीन..

***राजीव रंजन प्रसाद

Unknown का कहना है कि -

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