तुम्हारी तनी उंगलियों
चढी भ्रकुटियों
और तानों को सहती
मैं चुप रही
मौन- मेरी विवशता तो नहीं था
पर हां
संस्कारों की बेडियों में
जकडे हुए था
मेरे शब्दों को
मेरी वाणी को
मेरे मौन को अपनी जीत मान
जश्न मनाते रहे
गाहे-ब-गाहे
मौके-ब-मौके
अपना रौद्र रुप दिखाते रहे
मैं -फिर भी मौन थी।
हां कभी-कभी
मन ही मन गुस्से से सुलगती थी
कसमसाती थी
और चाहती थी ज्वालामुखी बन
फट पडना
किन्तु अगले ही पल
अपने इर्द-गिर्द अपनों के ही
मुस्कुराते चेहरों को देख
अपने खुलते होठों को सख्ती से भींच
चल पडती हूं जीवन पथ पर
कई बार आत्माभिमान से समझौते किये हैं
पर सुकूं है-
मेरे अपनों के चेहरों पर अब भी मुस्कुराहट है
जिसे देख मेरे ज़ख्म भर चले हैं
मेरे मौन ने कुछ तो किया है
मौन अब और गहरा हो चला हो चला है
कवच बन मेरे साये से खडा है
तुम निराश हारे से
जब-तब अब भी गमकते हो
भभकते हो
और उकसाते हो
पर
मौन मेरी आदत बन चुका है
पराजय नहीं ये ताकत बन चुका है
तुम अब जीत से खुश नहीं होते
ये जीत तुम्हें अब
आहत करती है
और
मेरा मौन-अन्तर्मन में
अट्टाहस करता है
नयी शक्तियों का संचार करता है
तुम खडे हो निराश -हताश
मौन अब भी मेरे दामन में पसरा हुआ
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14 कविताप्रेमियों का कहना है :
सुन्दर,
वाकई अचूक शस्त्र है मौन, बडे बडे वाक-पटु योद्धाओं को परास्त करता है और ऐसा मौन नारी पर हो तो किसी भी बृहमास्त्र से कम नहीं
बोल-बानों की एक मात्र काट है मौनास्त्र...
तुम अब जीत से खुश नहीं होते
ये जीत तुम्हें अब
आहत करती है
और
मेरा मौन-अन्तर्मन में
अट्टाहस करता है
नयी शक्तियों का संचार करता है
तुम खडे हो निराश -हताश
मौन अब भी मेरे दामन में पसरा हुआ
सुन्दर रचना के लिये बधाई स्वीकारें..
अनुराधा जी ,
बड़े पते की बात कह गयी हैं आप . आपने इतने सुंदर शब्दों से यह काव्यात्मक तस्वीर बनाई है कि अब हम भी मौन हो गए हैं .
मौन- मेरी विवशता तो नहीं था
पर हां
संस्कारों की बेडियों में
जकडे हुए था
मेरे शब्दों को
मेरी वाणी को
मौन मेरी आदत बन चुका है
पराजय नहीं ये ताकत बन चुका है
तुम अब जीत से खुश नहीं होते
ये जीत तुम्हें अब
आहत करती है
कई बार आत्माभिमान से समझौते किये हैं
पर सुकूं है-
मेरे अपनों के चेहरों पर अब भी मुस्कुराहट है
कथ्य , प्रवाह , भाव सभी तौर से सम्पूर्ण कविता है . बधाई स्वीकारें .
^^पूजा अनिल
अनुराधा जी ,अच्छी कविता है ...आपको पढ़ना हमेशा एक सुखद अनुभव रहा है.......
मेरा मौन-अन्तर्मन में
अट्टाहास करता है
नयी शक्तियों का संचार करता है
तुम खड़े हो निराश-हताश
मौन अभी भी मेरे दामन में पसरा हुआ है।
-ये पंक्तियॉ साहस का संचार करती हैं।
-एक अच्छी कविता के लिए बधाई।
-देवेन्द्र पाण्डेय।
bahut sahi,sundar baat,badhai.
मैं नारियों का उनके मौन का सम्मान करता हूँ |
बार बार वैसी ही रचना , नही जम रहा है | क्यों नही ऐसा लिखा जाए जो इस समस्या का समाधान बताये ?
रचना के लिए बधाई |
-- अवनीश
अनुराधा जी इस बात का टू कोई जवाब ही नही है की नारी मौन क्यो रहती है ?मौन उसकी कमजोरी नही बल्कि ताकत है और उसकी सहनशक्ति की प्रबलता का आभास कराती है |
निम्न पंक्तिया बहुत सुंदर लगी :-
कई बार आत्माभिमान से समझौते किये हैं
पर सुकूं है-
मेरे अपनों के चेहरों पर अब भी मुस्कुराहट है
जिसे देख मेरे ज़ख्म भर चले हैं
आह.....!
बहुत ही खूबसूरत रचना .
आलोक सिंह "साहिल"
lअनुराधा जी
बहुत सुंदर लिखा है. नारी की इस मनो व्यथा को एक नारी ही समझ सकती है-
हां कभी-कभी
मन ही मन गुस्से से सुलगती थी
कसमसाती थी
और चाहती थी ज्वालामुखी बन
फट पडना
किन्तु अगले ही पल
अपने इर्द-गिर्द अपनों के ही
मुस्कुराते चेहरों को देख
अपने खुलते होठों को सख्ती से भींच
चल पडती हूं जीवन पथ पर
बहुत खूब. बधाई स्वीकारें.
आपकी हर रचना को पढ़कर यही महसूस होता है कि आपमे बहुत आक्रोश है।
मेरा मौन-अन्तर्मन में
अट्टाहस करता है
नयी शक्तियों का संचार करता है
तुम खडे हो निराश -हताश
मौन अब भी मेरे दामन में पसरा हुआ
अद्वतीय कविता है, गहरा और सोच के शून्य में छोड देने वाला अंत, बेहतरीन रचना।
***राजीव रंजन प्रसाद
मेरा मौन-अन्तर्मन में
अट्टाहास करता है
नयी शक्तियों का संचार करता है
तुम खड़े हो निराश-हताश
अनुराधाजी, आप लोगों का मौन भले ही अंतर्मन में अट्टाहास करता हो नर नारी को बाहर भी मुस्कराते, खिलखिलाते, हँसते खिलखिलाते देखना चाहता है, क्षण भर को भले ही कुछ घमण्डी लोगों का अह्म शांत होता हो, किंतु वास्तविकता यही है कि नारी की वेदना पुरुष की नींद को उडा देती है. अतः आप लोग मुस्कराते, खिलखिलाते, हँसते व गाते रहिए.
आंतरिक भावों की प्रसव पीड़ा....वेदना के इस एहसास से शायद ही कोई वंचित होंगे.....
सुनीता
अनुराधा जी
इस मौन की महिमा तो सभी गाते हैं पर आप जैसी कवितa विरले ही लिख पाते हैं शायद इस की शक्ति इस बात में है की आप ने इस अस्त्र को साधा हुआ है.मेरे भी मनोभावों को आइना दिखा गयी आप की कविता..अगली रचना की प्रतीक्षा रहेगी
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