३ मई २००८ को ' ज्ञानदा' (हर महीने महाराष्ट्र राष्ट्र भाषा सभा की ओर से हिंदी के प्रचार -प्रसार हेतु लेखकों को उपलब्ध कराई जाती है ) की ओर से " काव्य संध्या " का आयोजन किया गया था ..इसमें शिविरार्थियों के अलावा ३६ स्थानीय कवि शामिल थे जिनमें हिंद युग्म के दिव्य प्रकाश दुबे,पंकज तिवारी,ऋषिकेश रुह भी शामिल थे . हिंद युग्म की संकल्पना से सभी प्रभावित हुए.केन्द्रीय हिंदी निदेशालय के निदेशक श्री सी. दीक्षित जी, वर्ल्ड मास मीडिया के ब्यूरो चीफ प्रोफ़.सदानंद आर.गाडगिल जी ,पुणे आकाश वाणी के कार्यक्रम अधिकारी डॉ.सुनील देवधर जी,पुणे विश्व विद्यालय के विभागाधक्ष वी.एन भाले राव जी ने ख़ास तौर पर बधाई दी .'पहला सुर' से सभी परिचित हुए.दिव्य प्रकाश दुबे,पंकज तिवारी,ऋषिकेश रुह द्वारा पढी गयी कविता सभी को पसंद आया .वहाँ हमने हिंद-युग्म की पंच लाइन पहले प्रस्तुत करते हुए साहित्य को तकनीक से जोड़ने की बात कर रहे थे.ये बात सब के मन को भाई.मैं क्यों पीछे रहती ...? मैंने भी एक कविता गुनगुनाई थी ..जो सभी ने पसंद किया ... :-)
दिव्य प्रकाश दुबे जी ने तस्वीरों की मदद से इस कार्यक्रम का विडियों भी बनाया है।
मूल विडियो देखने के लिए यहाँ क्लिक करें।
कुछ तस्वीरें ..
फोटोग्राफी- पंकज तिवारी व सुनीता यादव
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4 कविताप्रेमियों का कहना है :
पंकज जी व सुनीता जी बहुत बहुत बधाई
पंकज, सुनीता जी, दिव्या और रूह जी को बधाई |
काश मैं भी होता ? :(
अवनीश
हिंद युग्म को इस आयोजन में भाग लेने के लिए बहुत बधाई , सुनीता यादव , दिव्या प्रकाश दुबे, पंकज तिवारी और ऋषिकेश रूह जी को बहुत बहुत बधाई , दिव्य प्रकाश जी ने तस्वीरों को विडियो का रूप दिया , इस प्रयोग के लिए साधुवाद
^^पूजा अनिल
सभी प्रतिभागियों को हार्दिक बधाई
***राजीव रंजन प्रसाद
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