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Wednesday, May 21, 2008

हँसिकाएं...


1. थाना
मोटर साइकल चोरी की रपट लिखवाने
दोनो भाई साइकल पर थाने गये,
ऐसा पता होता कि पैदल आना पड़ेगा
तो पैदल ही जाते ना.....


2. रेड-क्रॉस

कान में दर्द था,
रेड क्रॉस देखकर झट से अन्दर घुसे
तो औजारों की पाड़ ने बोलने न दिया
दाँत हाथ मे लेकर घर जा रहा हूँ
ये रेड-क्रॉस एक ही रंग का क्यूँ हैं !


3. झण्डा
मास्टर जी झण्डा फहराने
मुहुँ अँधियारे ही समान लेकर चले गये
इधर मास्टरनी दिन भर नहाने को बैठी रहीं..


4. टोपी
बीमार बच्चा चीखकर
बुदबुदाता हुआ क्लीनिक से भागा,
अपना इलाज होता नही लिखा है
'बाल रोग विशेषज्ञ '
डाक्टर साब तब से टोपी पहनते हैं..


5. भाई चारा

नेता जी के स्वागत में
जितने लोग थे.. उनसे कहीं ज्यादा
रास्ता रोकते गाय भेंस भेड़ बकरियां..
भाई-चारे की बात ही कुछ और है..

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9 कविताप्रेमियों का कहना है :

रंजू भाटिया का कहना है कि -

:) हंसिकाए अच्छी है .हँसाने में कामयाब और कहीं व्यंग भी कसती हुई .लिखते रहे हंसाते रहे यूं ही :)

pallavi trivedi का कहना है कि -

वाह.....मज़ा आ गया! अच्छी हंसिकाएं हैं!

Pooja Anil का कहना है कि -

भूपेंद्र जी,
हंसिकाओं के जरिये आपने सामजिक व्यवस्थाओं पर अच्छा व्यंग्य कर दिया है ,
बहुत अच्छे , लगे रहिये

शुभकामनाएं
^`पूजा अनिल

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

भूपेद्र जी,

आपकी हँसिकायें हिन्द युग्म पर नयी विधा का आरंभ है और इसका तहे दिल से स्वागत है। हर हँसिका एक से बढ कर एक है और बेहतरीन..बधाई स्वीकारें..

***राजीव रंजन प्रसाद

राकेश जैन का कहना है कि -

बहुत ही सुंदर लिखा है, लोटपोट हो गए..

देवेन्द्र पाण्डेय का कहना है कि -

भूपेन्द्रजी--आपकी पांच हँसिकाएं एक हाथ की पांच उंगलियों की तरह हैं जो एक तरफ गुदगुदाती हैं तो दूसरी तरफ व्यवस्था को थप्पड़ मारती प्रतीत होती हैं।--देवेन्द्र पाण्डेय।

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

अच्छा है |

अवनीश

सीमा सचदेव का कहना है कि -

मास्टर जी झण्डा फहराने
मुहुँ अँधियारे ही समान लेकर चले गये
इधर मास्टरनी दिन भर नहाने को बैठी रहीं
बहुत अच्छे राघव जी

Anonymous का कहना है कि -

ha ha bahut hi mazedar bahut badhai

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