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Sunday, April 20, 2008

दो कवितायें ...बूंद पर



(१)

बूंद
पुकार आत्मा की
पहचान मानविकता की
आँखों से झरती
पीड़ा को प्रकाशित करती
बिन्दु भर होने पर भी
धो देती कलुषित आत्मा को
साफ कर देती धूल की अघात से त्रस्त आँखों को ...
जगाती भाव प्रेमी के ह्रदय में
विचलित करती भाव-भक्त बन भगवान को
दानव मन को पिघलाती
सजा कर रख देती अमेल मन को
जोड़ देती टूटे दिलों को
बूंद
तुम महान तुम्हारा कार्य महान ....!


(२)



बूंद
लक्ष अनंत समुद्र !
जहाँ रहते सब अपने
न भेद-भाव न ऊंची दीवार
सब एक समान विकर्षण से अनजान !
मौका मिलते ही
आसमान की सैर करती
घनघोर बादल में रहकर
शीतल समीर के स्पर्श से सिहरती
धरती को चूमती ,प्यासे की प्यास हरती
दूने वेग से दौड़ लगाती
अनंत समुद्र से जा मिलती ....
बूंद तुम महान तुम्हारा कार्य महान ...

सुनीता यादव

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15 कविताप्रेमियों का कहना है :

Sajeev का कहना है कि -

सुंदर भाव.... बूंदों का समूह ही समुन्दर कहलाता है.... बूँद बूँद तुम्हारी कविता के समान......

Anonymous का कहना है कि -

हद है सुनीता जी,इसे आप बूंद कहती हैं,यह तो अप्रतिम भावों का अथाह समुन्दर है,बधाई
आलोक सिंह "साहिल"

डॉ .अनुराग का कहना है कि -

behad khoobsurat bhav...doosri kavita jyada pasand aayi aor chitr bhi behad aakarshak hai.

Alpana Verma का कहना है कि -

बहुत सुंदर कल्पना की है.
आप की कवितायों से लगता है आप प्रकृति से बहुत प्रभवित हैं.
शुभकामनाएं

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

हमेशा की तरह गहराई वाली रचना |
बधाई
अवनीश तिवारी

रंजू भाटिया का कहना है कि -

बूंद
लक्ष अनंत समुद्र !
जहाँ रहते सब अपने
न भेद-भाव न ऊंची दीवार
सब एक समान विकर्षण से अनजान !
मौका मिलते ही
आसमान की सैर करती
घनघोर बादल में रहकर
शीतल समीर के स्पर्श से सिहरती
धरती को चूमती ,प्यासे की प्यास हरती
दूने वेग से दौड़ लगाती
अनंत समुद्र से जा मिलती ....
बूंद तुम महान तुम्हारा कार्य महान ...

सुंदर शब्द सुनीता जी

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

ह्म्म्म्म्म बूंद डुबोने मे सक्षम है..
सुन्दर...

Anonymous का कहना है कि -

बहुत खूब सुनीता जी, बूँद के अस्तित्व पर बहुत अच्छा लिखा है आपने , साथ में दिए गए चित्र भी कविता को पूर्णता दे रहे हैं, शुभकामनाएं

^^पुजा अनिल

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

पता नही क्यों दुबार पढ़ा |
दूसरी बार और भाया |
Good Good Good !


अवनीश तिवारी

seema sachdeva का कहना है कि -

एक बूंद किसी को नव जीवन दे देती है
एक बूंद सीप को मोती बना देती है
एक ओस की बूँद कर देती है
सवच्च फूल को
और एक बूँद भर देती है आंखो मी चमक

बहुत अच्छे लगी आपकी कविता

Kavi Kulwant का कहना है कि -

बहुत सुंदर..

mehek का कहना है कि -

बहुत सुंदर बधाई

mastkalandr का कहना है कि -

वाह भई वाह बहुत खूब .., अभिनंदन ..
हर बूंद की अपनी खुबिए-तकदीर होती है
कोई खो जाती है, कोई मुक्ता हो जाती है .. मक्

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