जिन्दगी ये तेरा दस्तूर हुआ करता है..... - 2
जिन्दगी ये तेरा.........................
दिल का दिलबर.......
दिल का दिलबर ही दिल से दूर हुआ करता है...
जिन्दगी ये तेरा दस्तूर हुआ करता है.....
हमने देखी है जमाने की बदलती फितरत....-2
मनचली सी हवा की बेरुखी शिरकत..........
कलेजा बादलों का चीर कर गुजर जाती......-2
घटा को फिर भी.....
घटा को फिर भी, ये गुरूर हुआ करता है......
जिन्दगी ये तेरा दस्तूर हुआ करता है.....
चमन के फूल के हालात भी यूँ मिलते है...-2
भँवर का प्यार पाने को खुशी से खिलते हैं....
प्यास अपने लवों की बुझाने आता जो.....-2
मदहोश जवानी में.....
मदहोश जवानी में बस चूर हुआ करता है....
जिन्दगी ये तेरा दस्तूर हुआ करता है.....
नदी के बहते हुए धारों से जरा ये पूँछो....-2
उनके दीदार किनारों से जरा ये पूँछो .....
सहारा लेकर किनारों का बहे जाती है.....-2
उससे मिलती है.....
उससे मिलती है जो सागर दूर हुआ करता है...
जिन्दगी ये तेरा दस्तूर हुआ करता है.....
जिन्दगी ये तेरा दस्तूर हुआ करता है.....
दिल का दिलवर ही दिल से दूर हुआ करता है..
जिन्दगी ये ........................
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11 कविताप्रेमियों का कहना है :
कलेजा बादलों का चीर कर गुजर जाती......-2
घटा को फिर भी.....
घटा को फिर भी, ये गुरूर हुआ करता है......
जिन्दगी ये तेरा दस्तूर हुआ करता है.....
वाह भूपेन्द्र जी बहुत खूब !
भूपेंद्र जी आपके गीत मी आपका नया रूप देखा ,मुझे लगा था आप बस हास्य-व्यंग्य ही लिखते है | इस गीत को पढ़कर मजा आ गया ,आवाज मिलनी चाहिए इसे .....सीमा
भूपेंद्र जी,
अच्छा गीत लिखने की कोशिश की है , पर आप के स्तर से कम लगा , आपकी कवितायेँ पहले भी पढी हैं और आप बहुत सुंदर लिखते हैं , यहाँ तक की काव्य पल्लवन के लिए टिपण्णी में भी आपने जो तुरत फुरत हास्य कविता लिखी है , वो भी अच्छी लगी , पर माफ़ कीजियेगा इस गीत को पढने में मज़ा नहीं आया , सिर्फ़ मुखड़ा अच्छा लगा , आप गीत लिखने का प्रयास करते रहें , एक दिन हम भी वाह-वाह जरूर कहेंगे .
^^पूजा अनिल
Pranam,
Aksar Baal Udyan me aapki Rachnaye padha karti thi.
Aaj ye Nazm padhi... Bahut khub RaghavG.. Jindagi ke is Dastur se vasta sabhi ka padta hai... Bhavo me khoobsoorati se shabdo me piroya hai...
Badhaiii.
Rgds,
कलेजा बादलों का चीर कर गुजर जाती......-2
घटा को फिर भी.....
घटा को फिर भी, ये गुरूर हुआ करता है......
जिन्दगी ये तेरा दस्तूर हुआ करता है.....
आपके पहले लिखे अंदाज़ से हट से यह रचना बहुत बहुत अच्छी लगी राघव जी
चमन के फूल के हालात भी यूँ मिलते है...-2
भँवर का प्यार पाने को खुशी से खिलते हैं....
प्यास अपने लवों की बुझाने आता जो.....-2
मदहोश जवानी में.....
मदहोश जवानी में बस चूर हुआ करता है....
जिन्दगी ये तेरा दस्तूर हुआ करता है.....
-- हाय ! बसंत याद दिला दिया |
अवनीश तिवारी
तो आप भी प्यार-मोहब्बत के हल्के-फुल्के गीत लिख लेते हैं :)
यह रूप भी आपका अच्छा लगा।
-विश्व दीपक ’तन्हा’
राघव भाई,आप भी रूप बदलने लगे...
खैर,बेहतरीन
आलोक सिंह "साहिल"
Raghav jee, apki rachana hame acchi lagi, badhai.
नमस्कार मित्रो,
आपने 'सराहा' है
मेरे लिये 'सहारा'है..
'राघव' तो अमर था, दोस्तो
वो तो आपके प्यार ने मारा है
और रही बात रूप सूप बदलने की तो भैया देखो
दिल्ली में रहता हूँ और आप तो जानते हो कि कभी साइकल प्रेम और श्रृंगार के ऊँचे ऊँचे फ्लाईओवरों से गुजारनी पड़ती है तो कभी दर्द ओर वेदना के अँधेरे अंडर-पास से, कभी वात्सल्य की चिकनी सड़कों पर चलती है तो कभी धूल-उडते कच्चे हास/व्यग्य के रस्तों पर, कई बार तो घंटों हुर्र-हुर्र करते रहने के बाद भी 10 कदम नहीं बढ़ पाते कलाइयाँ थक जाती है एक्सेलेरेटर और क्लच को पकड़े पकड़े, कई बार सुबह टिप-टोप होकर निकला इंसान रात को धुन्ध और प्रदूषण की मार से भूत बनकर लौटता है.. बस ऐसा ही है कागज पर लेखनी का सफर ...
आपका नया रंग अच्छा लगा भूपेंद्र जी ....
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