मार्च २००८ माह की हिन्द-युग्म यूनिकवि एवम् यूनिपाठक प्रतियोगिता के छठवें स्थान के रचनाकार दीपेन्द्र शर्मा लगातार ही हिन्द-युग्म पर प्रकाशित हो रहे हैं। पूरा परिचय यहाँ पढ़िए।
पुरस्कृत कविता- शीर्षक उपलब्ध नहीं
हाथ लगा और मिट्टी बन गयी ,
कैसी अजब सी चीज थी वो !
चकाचौंध में खो कर रह गयी ,
क्या कम्जर्फ़ तमीज थी वो !!
छत्तीस भोग हैं थाल में मेरे ,
पर मन की भूख अधूरी है !
पीतल की फूटी थाली में ,
खिचडी बड़ी लजीज थी वो !!
एक अनपढ़ पगली लड़की ,
जिसने बांचा मेरा मन !
वो महलों की रानी न थी ,
अदनी सी एक कनीज थी वो !!
भटक रहा है चौखट -चौखट ,
जिसकी खातिर ये जीवन !
माँ के कोमल से हाथों की ,
थपकी बड़ी लजीज थी वो !!
आज भले ही सूटबूट में ,
घूमो तुम जग में "दीपेंद्र" !
पर जिसने तुम्हें हर लू से बचाया ,
एक बाप की फटी कमीज थी वो !!
प्रथम चरण के जजमेंट में मिले अंक- ३॰५, ७॰३, ४॰५, ७॰५
औसत अंक- ५॰७
स्थान- बारहवाँ
द्वितीय चरण के जजमेंट में मिले अंक- ५, ७॰३, ६, ५॰७ (पिछले चरण का औसत)
औसत अंक- ६
स्थान- छठवाँ
पुरस्कार- ज्योतिषाचार्य उपेन्द्र दत्त शर्मा की ओर से उनके काव्य-संग्रह 'एक लेखनी के सात रंग' की स्वहस्ताक्षरित प्रति।
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9 कविताप्रेमियों का कहना है :
छत्तीस भोग हैं थाल में मेरे ,
पर मन की भूख अधूरी है !
पीतल की फूटी थाली में ,
खिचडी बड़ी लजीज थी वो !!
दीपेन्द्र जी बहुत बढ़िया !
क्या बात है... बहुत अच्छे...
भटक रहा है चौखट -चौखट ,
जिसकी खातिर ये जीवन !
माँ के कोमल से हाथों की ,
थपकी बड़ी लजीज थी वो !!
और
आज भले ही सूटबूट में ,
घूमो तुम जग में "दीपेंद्र" !
पर जिसने तुम्हें हर लू से बचाया ,
एक बाप की फटी कमीज थी वो !!
-- एक जीवन का सार कहा है |
बहुत खूब
अवनीश तिवारी
दीपेन्द्र जी,
बहुत ही भायी आपकी ये कविता मुझे
पूरे प्रवाह के साथ पढ़ी गयी और बहुत ही सुन्दर शब्द योजन..
बहुत बहुत बधाई..
बहुत सुंदर
बहुत बढ़िया ,बहुत बधाई
बहुत बढ़िया लिखा है दीपेंद्र जी।
आपकी कविता पढ़कर टू मन भावुकता से भर गया
दीपेंद्र जी , बहुत ही भावपूर्ण कविता है , वैसे तो पूरी कविता लय में है , बस एक जगह लय टूटती दिखी, अगर,
" वो महलों की रानी न थी ,
अदनी सी एक कनीज थी वो !!"
को,
"कोई महलों की रानी नहीं,
अदनी सी एक कनीज थी वो !!"
इस तरह से लिखा जाए तो "वो" शब्द के दोहराव से बचा जा सकता था , और कविता की लय बनी रहती थी, अन्यथा निःसंदेह बहुत ही सुंदर प्रस्तुति है , बधाई .
^पूजा अनिल
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