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Saturday, March 29, 2008

महक का पहला प्यार


हिन्द-युग्म यूनिकवि एवम् यूनिपाठक प्रतियोगिता के फरवरी अंक से २६वीं कविता हिन्द-युग्म की सक्रिय पाठिका महक की है। महक फरवरी २००८ माह की यूनिपाठिका भी हैं।

कविता- पहला प्यार

जब भी देखूं तुम्हारी आँखों में
याद आते हैं वो गुजरे गुलाबी लम्हें
पहला प्यार जो हमारी ज़िंदगी में आया
उन हसीन घड़ियों में ,हमने तुम्हें पाया

बरसातों के खुशनुमा मौसम
कुछ भीगे तुम, कुछ भीगे से हम
राह से चलते-चलते अनजाने से टकराए
ठंड से कपकपाते बदन, थोड़े से सहेराए
चहेरे से टपकती बूंदें, गालों पर लटों की घटायें
नयना मिले नयनों से, हम दोनों मुस्कुराए
सिमटकर अपनी चुनरी, शरमाये निकल गये थे।

घर पहुँचे लेकर तेरे उजले से साए
पलकों में बंद होकर साथ तुम भी चले आए
मुलाक़ातों के फिर शुरू रोज़ सिलसिले
दिल-ओ-जान हमारे, सदा ही रहे मिले
रेशम डोर से बँधकर, मिलकर ख्वाब सजाए
प्यार, समर्पण के भावना से गीत रचाए
तुम्हारे होने से जीवन के नज़रिए बदल गये थे।

इतना वक़्त जो तुम संग बिता लिया
हर लम्हा जिया वो था नया-नया
गुलशन-ए-बहार में खुशियों के फूल खिलाए
संभाला तुम्हीं ने हमें ,कभी कदम डगमगाए
सिखाया तूफ़ानो का सामना करना
संयम से अपने अस्तित्व को सँवारना
प्यार की गहराई के असली मायने समझ गये थे |

गुलाबी लम्हों को रखा संजोए
मन में उनको पल पल दोहराए
क्या पहला प्यार फिर हो सकता है?
होता है, आज मुझे हुआ है
दोबारा तुमसे…..

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11 कविताप्रेमियों का कहना है :

vivek "Ulloo"Pandey का कहना है कि -

महक जी बहुत अच लिखा है blkul sahi hai pahla pyar ahmesah jeevan me ek naya badlav lata hai jise aapne kayatmak roop mein sapshat karne ka anokha prayash kiya hai ..badhai ho

Upasthit का कहना है कि -

mahak ji...achchi kavita hai, direct dil se..nice.

seema gupta का कहना है कि -

जब भी देखूं तुम्हारी आँखों में
याद आते हैं वो गुजरे गुलाबी लम्हें
पहला प्यार जो हमारी ज़िंदगी में आया
उन हसीन घड़ियों में ,हमने तुम्हें पाया
" वाह महक बहुत सुंदर प्यार की अभीव्य्क्ती "

Alpana Verma का कहना है कि -

अच्छी उधेड़ बुन में हैं आप!मेरे विचार में पहला प्यार फ़िर से कैसे पहला रह सकता है या हो सकता है??वो अनुभूतियाँ दोहराई गयी तो वह पहली कहाँ हुईं???
मन के भावों को अभिव्यक्ति देने की कोशिश अच्छी है.

शोभा का कहना है कि -

महक जी
अति सुंदर मधुर अभिव्यक्ति-
गुलाबी लम्हों को रखा संजोए
मन में उनको पल पल दोहराए
क्या पहला प्यार फिर हो सकता है?
होता है, आज मुझे हुआ है
दोबारा तुमसे…..
सस्नेह

Anonymous का कहना है कि -

"घर पहुँचे लेकर तेरे उजले से साए
पलकों में बंद होकर साथ तुम भी चले आए "

बहुत सुंदर रचना , बधाई हो !

anju का कहना है कि -

सुंदर रचना के लिए बधाई महक जी

Anonymous का कहना है कि -

देखी आपके पहले प्यार की "महक" ,
कविता में बयां कर दिया जो कह न सके .
बहुत अच्छे
पूजा अनिल

करण समस्तीपुरी का कहना है कि -

महक.
रचना में आपके मनोभावों को को अभिव्यक्त करने की पूर्ण क्षमता है किंतु यह उत्तरोत्तर अपने कथ्य से भटकती दृष्टिगोचर हो रही है !

seema sachdeva का कहना है कि -

दुबारा से पहले प्यार का अहसास , हमे भी यह राज बता दो महक जी , अच्छी लगी आपकी कविता .....सीमा सचदेव

Anonymous का कहना है कि -

bahut acha likhti he aap kass me kar sakta lekin meri soch aure samaj yhi kehti he ki pehla pyar hi pyar hota he baad me to baas uska aasya hi badal jata he theanx

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