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Wednesday, March 19, 2008

हैं सब खफ़ा खफ़ा


हैं सब खफ़ा खफ़ा, किसे किसका ख़याल है
नाराज़ जवाबों का ये कैसा सवाल है

जिसके जनाजे को मिलें दो-चार आदमी
भाग वाला है वो, खुशनसीब इंतक़ाल है

दिल पे नहीं लीजिए ये रुत-ए-बेदिली
वो फ़रेब वाली मैना डाल-डाल है

जो जंग से बचेंगे, वे मर जाएंगे भूखे
मौत की राशि का देखो शुभ ये साल है

मैं बहुत नाचा, बहुत तारीफ़ मिल गई
वो नहीं पहुँचा, मुझे इसका मलाल है

फ़ाकाकशी घरों में, जुलूसों में फिरें सब
बच्चे हैं रोए- अब्बा, ये कैसा बवाल है

चुप खड़ी रहती है सुनती सोचती रहती
इस नए घर में भी माँ जैसी दीवाल है

कब्र में भी खुलके मैं रो नहीं पाता
इस कफ़न में फूल सा किसका रुमाल है

तेरे शहर में होती होंगी प्यार की बातें
अपने तो आसमां का रंग लाल-लाल है

साँस लेता हूं तो पी जाता हूं दो जहाँ
मुँहजोर हसरतों का ये कैसा कमाल है


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15 कविताप्रेमियों का कहना है :

Anonymous का कहना है कि -

waise to har sher apne aap me laajawaab hai...magar yeh kuch seede ghayal kar gaye...itne din baad padha hai aapko bahut aacha lag raha hai...

हैं सब खफ़ा खफ़ा, किसे किसका ख़याल है
नाराज़ जवाबों का ये कैसा सवाल है

चुप खड़ी रहती है सुनती सोचती रहती
इस नए घर में भी माँ जैसी दीवाल है

कब्र में भी खुलके मैं रो नहीं पाता
इस कफ़न में फूल सा किसका रुमाल है

तेरे शहर में होती होंगी प्यार की बातें
अपने तो आसमां का रंग लाल-लाल है

Best Wishes
Anupama

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

हैं सब खफ़ा खफ़ा, किसे किसका ख़याल है
नाराज़ जवाबों का ये कैसा सवाल है

चुप खड़ी रहती है सुनती सोचती रहती
इस नए घर में भी माँ जैसी दीवाल है

कब्र में भी खुलके मैं रो नहीं पाता
इस कफ़न में फूल सा किसका रुमाल है

मोतियों में से मुझे जो सर्वाधिक प्रभावी लगे उपर उद्धरित कर रहा हूँ। बधाई।

*** राजीव रंजन प्रसाद

anju का कहना है कि -

वाह वाह
क्या बात है गौरव जी
कब्र में भी खुलके मैं रो नहीं पाता
इस कफ़न में फूल सा किसका रुमाल है
बहुत खूब

Anonymous का कहना है कि -


क्या गौरव सोलुंकी भाई ....
क्यों दिमाग का कर दिया तुमने भेजा फ्राई ...
कविता पढ़ कर जो मेरा सिर चकराया .....
सारा खाया पीया भाहर निकल आया...

यार, इतनी टाईट कविता मत लिखा करो ..
लिखो तो साथ मे WARNING भी दिया करो

seema gupta का कहना है कि -

हैं सब खफ़ा खफ़ा, किसे किसका ख़याल है
नाराज़ जवाबों का ये कैसा सवाल है
" वाह, बहुत खूब बधाई।"
Regards

Anonymous का कहना है कि -

चुप खड़ी रहती है सुनती सोचती रहती
इस नए घर में भी माँ जैसी दीवाल है

कब्र में भी खुलके मैं रो नहीं पाता
इस कफ़न में फूल सा किसका रुमाल है
बहुत खूब बधाई

Alpana Verma का कहना है कि -

सभी शेर अच्छे लगे.

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

कब्र में भी खुलके मैं रो नहीं पाता
इस कफ़न में फूल सा किसका रुमाल है
-- यह विशेष लगा | पसंद आया |
अवनीश तिवारी

Unknown का कहना है कि -

behad khubsurat sher hai sabhi
behad khubsurat se sidhe sadhe se lafjo me jindgi ki bayangi sirf tumhi kar sakte ho bhai
chup khadi rahti hai sunti sochti rahti
is naye ghar me bhi maa jaisi dival hai

Unknown का कहना है कि -

बहुत ही सुंदर रचना गौरव जी
खास कर ये
"जिसके जनाजे को मिलें दो-चार आदमी
भाग वाला है वो, खुशनसीब इंतक़ाल है

दिल पे नहीं लीजिए ये रुत-ए-बेदिली
वो फ़रेब वाली मैना डाल-डाल है"

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

आपकी ग़ज़ल पढ़कर मुझे बहुत राहत मिली। हर शे'र मुझे पसंद आया। 'एक पागल दूजे से बोला' के बाद उस फॉरमैट में यह उससे भी बेहतर प्रस्तुति है।

Nikhil का कहना है कि -

दो-तीन शेर बिल्कुल आपके कद के मुताबिक हैं...ग़ज़ल के मामले में ये आपका नया प्रयास लगता है...
"दिल पे नहीं लीजिए ये रुत-ए-बेदिली
वो फ़रेब वाली मैना डाल-डाल है"
ये पढ़कर मज़ा आया...
ये भी अच्छा है...
"कब्र में भी खुलके मैं रो नहीं पाता
इस कफ़न में फूल सा किसका रुमाल है"

लेकिन आपकी कविताओं के मुकाबले ये ग़ज़ल कहीं नहीं ठहरती...
निखिल

Anonymous का कहना है कि -

गौरव जी क्या कहुं आपकी गज़ल की बारें मे किस शेर को बेह्तर कहुं किसे कमतर उलझन मे हूं एक से बड्कर एक शेर दाद देने के लिये अलफ़ाज़ नहीं है मुबारक हो आपको एक बेहतरीन गज़ल

Gyaana-Alka Madhusoodan Patel का कहना है कि -

वाह! गौरव तुम्हारा हर शेर लाजवाब है ,
सभी को भाया तुम्हारा निराला अंदाज़ है.
होली की शुभकामना दे रहे हम तुमको ,
और अच्छा लिखो येही हमारी आवाज है.
बधाई. अलका मधुसूदन पटेल

Dr. sunita yadav का कहना है कि -

कब्र में भी खुलके मैं रो नहीं पाता
इस कफ़न में फूल सा किसका रुमाल है

तेरे शहर में होती होंगी प्यार की बातें
अपने तो आसमां का रंग लाल-लाल है

साँस लेता हूं तो पी जाता हूं दो जहाँ
मुँहजोर हसरतों का ये कैसा कमाल है
गौरव ...शेर अच्छे हैं............. तुम्हारी कवितायें या कहानी जो छाप छोड़ जाती हैं ...यहाँ वह बात नहीं है

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