महीने की २०वीं तारीख यानी नेपाली कविता का दिन। चूँकि आज ही हमने काव्य-पल्लवन का होली विशेषांक प्रकाशित किया है, जिसमें एक चित्र और ३२ कविताएँ संग्रहित हुई हैं, इसलिए हमने सोचा कि पाठक पहले उनका रस ठीक से ले लें, तब नेपाली कविता की खुश्बू फैलायी जाय। कुमुद अधिकारी इस बार नेपाली कवि भीष्म उप्रेति की दो नेपाली कविताओं का हिन्दी अनुवाद लेकर आये हैं।
लेखक परिचय
नामः भीष्म उप्रेती
जन्मः 13 माघ 2024 विक्रमी
जन्मस्थानः शनिश्चरे-3, झापा, नेपाल
शिक्षाः एम.एससी. (अर्थशास्त्र) एम. ए. (नेपाली)
प्रकाशित कृतियाँ-
1) यात्राका केही थुँगा फूल( नियात्रा संग्रह )
2) आकाश खस्यो भने के हुन्छ? ( कविता संग्रह )
3) नीलो पानी र नीला भावनाहरू (नियात्रा संग्रह)
4) लहरलहरका अक्षरहरू (नियात्रा संग्रह)
5) समुद्र र अन्य कविताहरू
6) संवेदनाका स्वरहरू
7) Sea and Other Poems(Collection of Poems)
8) Echoes of Love(Collection of Poems)
9) तेहरान डायरीको एक साता( नियात्रा)
पुरस्कारः
1) बी.बी.सी. युवा कविता उत्सव- संवत् 2049 - प्रथम
2) राष्ट्रिय कविता महोत्सव- संवत् 2050 - प्रथम
3) उत्तम शान्ति पुरस्कार - संवत् 2055
4) युवा प्रतिभा पुरस्कार आदि।
संपर्कः Post Box: 11527, Katmandu
bhismaupreti@yahoo.co.uk
संप्रतिः नेपाल राष्ट्र बैंक, काठमांडू
अक्षर और चेहरा
अक्षरों का अपना चेहरा नहीं है
पर मैं अपना चेहरा देखता हूँ
अक्षरों में ।
अक्षर मेरे सारे दंभों को थप्पड़ मारते हैं ।
मेरी भलमानसी हँस देती है,
एक-एक करके उतरते हैं मेरे अभिमान
और मुझे नंगा करके कहते हैं - ‘यह तुम हो।’
अक्षर गूँथते हैं मुझे और बिखेरते हैं
आहिस्ता-आहिस्ता थपथपाते हैं और अनुभूति करवाते हैं
संप्राप्ति के संग
कमजोरी के संग
और फिर मुझे सिखाते हैं निर्मल बनना ।
अक्षरों के पास अनुभव है
सत्य है
ढोंग काटने के हथियार हैं
उनके अपने आकार भी हैं ।
बस अक्षरों का अपना चेहरा नहीं है
पर मैं अपना चेहरा देखता हूँ
अक्षरों में ।
मूल नेपाली से अनुवादः कुमुद अधिकारी
संवाद
एक हाथ में अखबार लिए
आँखों में मोटा चस्मा चढ़ाए
लाठी टेककर
अनवरत सामने से आते
सफेद हिमाल जैसे बृद्ध को
‘खहरे’ जैसे एक चञ्चल किशोर ने
रास्ता रोककर पूछा
‘इतने सबेरे किधर चले बाबा ?’
समुद्र जैसी आँखों को
किशोर उत्सुकता पर टिकाकर
मुस्कुराया बृद्ध चेहरा
व अनगिनत अनुभवों से गली हुई
गम्भीर आवाज निकाली
‘अक्षरों को नहीं भूल पाया मैँ
समाचार तो कुछ नया होता नहीं
पर अक्षर तो होते हैं अखबार में
अक्षरों के पास जाने की लालशा से
अखबार खरीद लाया हूँ बेटा !’
खहरे- वर्षाकाल में पहाड़ों में बहनेवाली बेगवान नदी
मूल नेपाली से अनुवादः कुमुद अधिकारी
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8 कविताप्रेमियों का कहना है :
अक्षरों के पास अनुभव है
सत्य है
ढोंग काटने के हथियार हैं
उनके अपने आकार भी हैं ।
समुद्र जैसी आँखों को
किशोर उत्सुकता पर टिकाकर
मुस्कुराया बृद्ध चेहरा
व अनगिनत अनुभवों से गली हुई
अच्छी प्रस्तुति
भीष्म जी बधाई आपको
और कुमुद जी आपका धन्यवाद जो आप अनुवाद करते है तब ही हम पद पते हैं
बहुत अच्छा लगता है
कुमुद जी,
मेरे हिसाब से आपकी नेपाली कविताएँ इस मंच की शोभा को कई गुना बढ़ा देती हैं। भीष्म उप्रेती की दोनों कविताएँ उनके अनुभवों के अक्षर हैं। मैं तो यही दुआ करूँगा कि भीष्म की कलम अक्षर बनी रहे।
दोनों का बहुत-बहुत धन्यवाद।
मर्मस्पर्शी कविताएँ है प्रस्तुतीकरण भी गज़ब का है
भीष्म जी आपको बधाई और अनुवाद करने के लिए
कुमुद जी को धन्यवाद
समुद्र जैसी आँखों को
किशोर उत्सुकता पर टिकाकर
मुस्कुराया बृद्ध चेहरा
व अनगिनत अनुभवों से गली हुई
"भीष्म जी बधाई और अनुवाद करने के लिए
कुमुद जी को धन्यवाद, अच्छी प्रस्तुति "
सुंदर कविताएं ..कुमुद जी आपका शुक्रिया भाव बहुत सुंदर हैं दोनों रचनाओं के !!
'अक्षरों में ख़ुद को तलाशता कवि-'--बहुत अनूठी है भीष्म जी की कविता.आप को बधाई.
कुमुद जी आप ने इन कविताओं को हम तक पहुँचाया इस के लिए धन्यवाद.
कुमुद जी आसान नही होता अनुवाद के बाद भी भावों को तथावथ बनाये रखना पर ये आपकी कविता की समझ कहूँ या भाषा की पकड़ की आप यह काम हर बार बखूबी कर जाते हैं, इतनी सुंदर कविताओं को पढ़वाने के लिए आभार और कवि को ढेरों शुभकामनाएं
मैं कहना चाहता हूँ कि अनुदित कविताएं विशेषकर नेपाली कविताएं-मूल नेपाली में भी प्रकाशित हों-तो अधिक अच्छा हो। कारण कि जैसे बहुत से नेपाली-प्रेमी हिन्दी कविता को अच्छी तरह समझते हैं वैसे ही बहुत से हिन्दी-प्रेमी -नेपाली कविता को भी अच्छी तरह समझते हैं। यदि नहीं भी समझते तो समझने लग जाएंगे-यदि दोनो ही भाषाऒं में कविता प्रकाशित होंगी। ---इस तरह दोनों ही भाषाऒं की एक देवनागरी लीपी होने का लाभ -हिन्दी-नेपाली प्रेमी- साहित्यकारों को बराबर मिलेगा।----------देवेन्द्र पाण्डेय-सारनाथ-वाराणसी। devendrambika@gmail.com
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