बर्बाद देहलवी से हिन्द-युग्म के पाठक पहले भी परिचित हो चुके हैं। आज वो फूलों के माध्यम से अपना संदेश लेकर आए हैं। इनकी यह कविता फ़रवरी माह की यूनिकवि प्रतियोगिता में १४वें स्थान पर है।
पुरस्कृत कविता- फूलों का संदेश
कांटों में खिले फूल कुछ समझाने की बात करते हैं
गम के आलम में भी मुस्कुराने की बात करते हैं।
बेसबब ही नहीं बख्शे कुदरत ने रंग फूलों को
ये खुशी के रंगों से ज़िंदगी सजाने की बात करते हैं।
मर जाते है फूल शाख से अलग होकर फिर भी
एक धागे में जुड़कर, जुड़ जाने की बात करते हैं।
जब भी गिरते हैं ये फूल किसी मय्यत पर
इंसा को ज़िंदगी के कीमत बताने की बात करते हैं।
इनकी नाज़ुकी है तस्वीर उन कमज़ोर शख्सों की
जो गम के झोंकों में बिखर जाने की बात करते हैं।
हमें आगाह करते हैं फूल ज़ुल्फ़ों मे उलझकर
कि ये हंसी चेहरे सदा उलझाने की बात करते हैं।
ये फ़कत ग़ज़ल नहीं दोस्तों ज़रा गौर फ़रमाओ
फूलों के जरिये 'बर्बाद' कुछ सिखाने की बात करते हैं।।
निर्णायकों की नज़र में-
प्रथम चरण के जजमेंट में मिले अंक-६, ५॰६, ७॰१५
औसत अंक- ६॰२५
स्थान- नौवाँ
द्वितीय चरण के जजमेंट में मिले अंक-४, ६, ६, ६॰२५ (पिछले चरण का औसत)
औसत अंक- ५॰५६२५
स्थान- तेरहवाँ
अंतिम जज की टिप्पणी-
रचना को कवि ने बेवजह उलझाया है।
कला पक्ष: ४॰२/१०
भाव पक्ष: ५/१०
कुल योग: ९॰२/२०
स्थान- चौदहवाँ
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13 कविताप्रेमियों का कहना है :
हमें आगाह करते हैं फूल ज़ुल्फ़ों मे उलझकर
कि ये हंसी चेहरे सदा उलझाने की बात करते हैं।
भई वाह गजब ! एक एक शेर बड़ा ही मस्त है!
बहुत खूब बधाई
मर जाते है फूल शाख से अलग होकर फिर भी
एक धागे में जुड़कर, जुड़ जाने की बात करते हैं।
बहुत अच्छी लगी यह पंक्तियाँ |बधाई.......सीमा सचदेव
जब भी गिरते हैं ये फूल किसी मय्यत पर
इंसा को ज़िंदगी के कीमत बताने की बात करते हैं।
-- बहुत अच्छा शेर है यह |
अवनीश तिवारी
कांटों में खिले फूल कुछ समझाने की बात करते हैं
गम के आलम में भी मुस्कुराने की बात करते हैं।
sundar, badhai
शिल्प पर ध्यान दिया गया होता तो बात बन जाती। अंदाज़े-बयाँ पर भी मेहनत की ज़रूरत है।
अच्छी रचना के लिए बधाई
बरबाद देहलवी जी
बेसबब ही नहीं बख्शे कुदरत ने रंग फूलों को
ये खुशी के रंगों से ज़िंदगी सजाने की बात करते हैं।
अति सुंदर
मर जाते है फूल शाख से अलग होकर फिर भी
एक धागे में जुड़कर, जुड़ जाने की बात करते हैं।
इनकी नाज़ुकी है तस्वीर उन कमज़ोर शख्सों की
जो गम के झोंकों में बिखर जाने की बात करते हैं।
बर्बाद साब आपने जो सिखाया बहुत ही उंदा अंदाज़ में सिखाया, फूलों के केन्द्र कर आपने अच्छी ग़ज़ल बुनी है, की सुनी सुनायी बातें भी नई लगी हैं...बधाई
कांटों में खिले फूल कुछ समझाने की बात करते हैं
गम के आलम में भी मुस्कुराने की बात करते हैं।
बहुत अच्छी पंक्तियाँ |बधाई
Regards
मर जाते है फूल शाख से अलग होकर फिर भी
एक धागे में जुड़कर, जुड़ जाने की बात करते हैं।
बहुत सुंदर लगा यह शेर ...बाकी भी बहुत अच्छे लगे ..:)
ये फ़कत ग़ज़ल नहीं दोस्तों ज़रा गौर फ़रमाओ
फूलों के जरिये 'बर्बाद' कुछ सिखाने की बात करते हैं।।
अच्छी रचना..
*** राजीव रंजन प्रसाद
हौस्लाअफ़ज़ाही के आप सभी मेहरबान का तह-ए-दिल से शुक्रिया गर युं ही हौसला मिलता रहा तो आगे और बेहतर लिखने के कोशिश जारी रहेगी शैलेश जी शिल्प और अंदाज़-ए-बयां के लिहाज़ से जो भी कमी रह गयी है उसे सुधारने क प्रयास रहेगा
Mujhe rachana achchi lagi!
मर जाते है फूल शाख से अलग होकर फिर भी
एक धागे में जुड़कर, जुड़ जाने की बात करते हैं।
Waah!
RC
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