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Tuesday, March 11, 2008

पाठ क्रमांक -11 काफिये को लेकर कुछ और बातें करते हैं ओ तथा ए के काफिये


चलिये पिछली कक्षा में डांटने डूंटने का काम हो गया और अब बारी पढ़ाई करने की है । डांटना भी जरूरी है और पढ़ाई करना भी क्‍योंकि दोनों के मिश्रण से ही होता है सीखना । और हां वे लोग जो परीक्षा का इंतेज़ार कर रहे हैं उनका भी इंतेज़ार आज ख़त्‍म हो जाएगा क्‍योंकि आज ही पहला होमवर्क दिया जाना है । होमवर्क करना आवश्‍यक है उन लोगों के लिये भी जो कि पिछली कक्षाओं में आ तो रहे हैं पर बिना कोई टिपपणी लगाए 'ता' करके भाग जा रहे हैं ।

हमने पिछली कक्षाओं में काफिये को लेकर जो बातें की हैं वे सारी की सारी बातें मात्राओं के काफियों को लेकर की गईं हैं आज हम उसीके समापन की तरु एक कदम और बढ़ा रहे हैं । दो मात्राएं और रह गईं है तथा । इन दोनों में बताने का अधिक नहीं है फिर भी चूंकि इनको लेकर भी काफिये बनते हैं अत: इनको भी लेना होगा ।

बशीर बद्र साहब  के शेर के साथ ही हम प्रारंभ करते हैं

जुगनू कोई सितारों की महफिल में खो गया

इतना न कर मलाल जो होना था हो गया

 अब यहां पर क्‍या हो रहा है । यहां पर गया  तो बन गया है रदीफ और  ओ  की मात्रा बन गई है काफिया । ओ की मात्रा को मतले में किसी भी एक अक्षर के साथ न रख कर दो अलग अलग अक्षरों   और के साथ निभाया गया है । अत: आप काफियाबंदी के लिये स्‍वतंत्र हो गये हैं क्‍योंकि आपने अपने ऊपर कोई बंधन नहीं बांधा हे । जैसे बद्र साहब ने शेर निकाला

बादल उठा था सबको रुलाने के वास्‍ते

दामन भिगो गया कहीं आंचल भिगो गया

 तो हो क्‍या रहा है ये कि अब   की मात्रा को ही अलग अलग अक्षरों के साथ पिरो कर काफिया बनाना है । पिरो, बो जैसे काफियो को लेना है पर रदीफ गया  को भी ध्‍यान में रखते हुए आपको ये काफिये लेना हैं ।

बशीर बद्र साहब की ही एक और ग़ज़ल देखें

 रेत भरी है इन आंखों में आंसू से तुम धो लेना

कोई सूखा पेड़ मिले तो उससे लिपट के रो लेना

रोते क्‍यों हो दिलवालों की किस्‍मत ऐसी होती है

सारी रात यूं ही जागोगे दिन निकले तो सो लेना

 ये भी ओ का ही काफिया है और इसमें भी केवल ओ को ही अलग अलग अक्षरों के साथ निभाया गया है । लेना यहां पर रदीफ हो गया हे ।

चलिये अब बात करते हैं   की मात्रा की जो कि कई तरीके से उपयोग में आती है

हम लोग ज़माने में हालात के पाले हैं

कब आलमे ग़र्दिश को हम भूलने वाले हैं

ये तो एक तरह का उदाहरण हुआ जिसमें कि मात्रा   को हम काफिया तो कह उकते हैं पर वास्‍तव में यहां पर ध्‍वनि आले  ही काफिया है मतलब   पर समापन तो हो रहा है पर वो काफिया नहीं है काफिया आले है ।  मगर यदि इसी मतले को इस प्रकार कहा जाए तो बात बिल्‍कुल ही बदल जाएगी

हम लोग ज़माने में हालात के पाले हैं

 अब तू भी तो न ठुकरा हम दर तेरे बैठे हैं

यहां पर शुद्ध रूप से जो काफिया है वो ए ही है । क्‍योंकि मतला ही ये कह रहा है कि आप अब   की मात्रा को काफिया बनाने में स्‍वतंत्र हैं । आपने मतले में  पाले  के साथ बैठे  की बंदिश लगा कर अपने को स्‍वतंत्र कर लिया हे कि अब आप इस तरह से ही केवल ए की मात्रा को ही काफिया बना कर काम कर सकते हैं ।

मगर इसी मतले को अगर ऐसे लिया जाता तो कुछ बात और ही बदल जाती

हम लोग ज़माने में हालात के पाले हैं

बच्‍चों की तरह से हम इस मौत से खेले हैं

यहां पर क्‍या हो गया कि काफिया तो वही ए है पर एक बंदिश ये लग गई है कि आपको उसको केवल   अक्षर के साथ ही संयुक्‍त करनाहै क्‍योंकि आपने मतले में दोनों ही मिसरों में उसे   के साथ ही संयुक्‍त किया है तो आगे आपको यही सबमें करना होगा ।

 उर्दू के ख्‍यात शायर जनाब अहमद नदीम कासमी  की ग़ज़ल देखें

 वो कोई और न था चन्‍द खुश्‍क पत्‍ते थे

शज़र से टूट के जो फ़स्‍ले गुल पे रोए थे

 यहां पर भी बात वही हो रही है कि केवल शुद्ध   की मात्रा ही काफिया बन रही है और उसीके कारण आगे के शेरों में कुछ स्‍वतंत्रता मिल रही है

अभी अभी तुम्‍हें सोचा तो कुछ न याद आया

अभी अभी तो हम इक दूसरे से बिछड़े थे

 तो ये हैं सारे के सारे काफिये । और अब बात की जाए परीक्षा की तो होमवर्क दिया जा रहा है काफिये के रूप में और नीचे काफिये लिखे जा रहे हैं

1 होली

2 पिचकारी

3 रंग

4 फागुन

5 पलाश

 तो इन में से कोई भी काफिया चुन लें और अपने मन का रदीफ ( अगर आप लेना चाहें तो नहीं तो बिना रदीफ के भी लिख सकते हैं ) ले कर उस पर ग़ज़ल लिखें अगली कक्षा जो शुक्रवार और मंगलवार की हैं उनमें अपना होमवर्क जमा करवा दें और फिर हिंद युग्‍म पर उन्‍हीं ग़ज़लों से किया जाएगा होली का धमाल होली पर ।


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8 कविताप्रेमियों का कहना है :

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

बहुत बहुत धन्यवाद इस प्रकार से समझाने के लिए |

इस बार के कक्षा से काफिये के विषय मे और स्पष्टता हो गयी |

अवनीश तिवारी

anju का कहना है कि -

पंकज जी शुक्रिया आपका कक्षा फिर से शुरू करने के लिए .
आपकी यह मेहनत रंग लाएगी
देखते है होली पर इसका कितना रंग चढ़ पता है
मेरी कुछ कक्षाएं छुट गई थी
जिनको पड़ना मेरे लिए जरुरी है ताकि कक्षा का पूरा पूरा लाभ उठा सकूं
धन्यवाद

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

पंकज जी,

आज ही आपके सारे केल्चर के प्रिंट निकाले हैं कि रिवीजन कर लिया जाये, होमवर्क से पहले...

*** राजीव रंजन प्रसाद

SURINDER RATTI का कहना है कि -

पंकज जी धन्यवाद ..... होली की शुभ कमानाये - सुरिंदर रत्ती

Anonymous का कहना है कि -

गुरूजी होम वर्क के लिए शुक्रिया,हमने अपना काफिया होली चुन लिया है,होम वर्क के साथ हाजिर रहेंगे,एक बार पिछली कक्षा भी पढ़ लेंगे पहले,

विश्व दीपक का कहना है कि -

पंकज जी,
होमवर्क पर काम शुरू किया जा चुका है। कल तक जरूर कुछ न कुछ आपको दिखाऊँगा।

-विश्व दीपक ’तन्हा’

Unknown का कहना है कि -

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Guest का कहना है कि -

Thank you for sharing such useful information. Continue to spread the word about your excellent work. DNR Drywall Burnaby, BC

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