मिले थे एक अरसे बाद
तुम मुझे यूं ,
जैसे सूखी बेलों पर
पानी का एक छीटा
पड़ जाता है ...
सावन की काली देख घटा
मयूर नाचता जाता है
किसी उदास राधा को
उसका खोया कृष्ण मिल जाता है
धरे रह जाते हैं तब सारे तर्क वहीं
और उलझे से रिश्ते का
एक सिरा मुझ तक
दूसरा तुम तक आ के थम जाता है
मन की हर दस्तक पर
नाम एक ही नज़र आता है
तब लगता है जैसे
सृष्टि का हर कण
बंधा हैं एक दूजे से
और यही झूठे प्यार का भ्रम
ज़िंदगी के सच के ......
दो पल पर भारी पड़ जाता है !!
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17 कविताप्रेमियों का कहना है :
रंजना जी !
काव्य मनोरंजन का मध्यम न होकर मानव के अंतस में प्रतिपल प्रस्फुटित होने विचारों की आंशिक अभिव्यक्ति मात्र ही है और साहित्य... मैं सदैव मानता हूँ की कल्पना से कहीं अधिक भोगा जाता है यथार्थ जीवन में.. दिन प्रतिदिन आपकी रचनाएं शाब्दिक शिल्प से गंभीर साहित्य की और बढ़ती हुयी प्रतीत होती हैं. आपके रचना संसार में इन नयी अनुभूतियों को जो शायद बहुतो की निजी अभिव्यक्ति भी हो सकती हैं को समां लेने से यह किसी भी पाठक का ह्रदय स्पर्श कर लेने की क्षमता रखती हैं
बधाई
अनेक शुभकामनाएं
तब लगता है जैसे
सृष्टि का हर कण
बंधा हैं एक दूजे से
और यही झूठे प्यार का भ्रम
ज़िंदगी के सच के ......
दो पल पर भारी पड़ जाता है !!
" बहुत अच्छी दिल को छूने वाली कवीता लगी, प्यार के भ्रम का अच्छा चित्रण "
Regards
bahut sundar bhaav
दो पल के प्यार का भ्रम ही जीवन जीना सिखाता है,बहुत खूबसूरत रचना बधाई|
आपकी रचना कह रही है की - "विरह व्यथा " जीवन की सच्चाई है |
सुंदर
अवनीश तिवारी
अब अक प्रेम के दर्शन होते थे
अब दर्शन का प्रेम दिख रहा है..
ये कौन कलमकार है !!!!!
जो ऐसा अनूठा नित लिख रहा है..
अब नाम लेने से ही क्या !!
सब कुछ साफ दिख रहा है..
रंजना जी,
प्यार के उन दो पलों के सहारे, जिनमें प्यार भरा हो, पूरा जीवन बिताया जा सकता है... और ऐसे ही पल भूतकाल को.. वर्तमान और भविष्य में जीवित रखते हैं
सुन्दर भावपूर्ण रचना के लिये बधाई
रंजना जी
दिल के बहुत करीब लगी आपकी यह रचना । जीवन के अनुभवों को बहुत सुन्दर ढ़ंग से वाणी दी है आपने ।
इतनी सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए बधाई
और यही झूठे प्यार का भ्रम
ज़िंदगी के सच के ......
दो पल पर भारी पड़ जाता है !!
बहुत खूब!
रंजू जी, आपकी यह रचना मुझे बेहद अच्छी लगी।
बधाई स्वीकारें।
तब लगता है जैसे
सृष्टि का हर कण
बंधा हैं एक दूजे से
और यही झूठे प्यार का भ्रम
ज़िंदगी के सच के ......
दो पल पर भारी पड़ जाता है !!
रंजना जी, बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है।
baut achchi rachna hai, sach hai har admi ek duje se juda hua hai, kisi na kisi karanvash. badhai.
Surinder Ratti, Surinder Ratti, Mumbai
bahut hi achchi rahna hai, har admi ek duje se juda hua hai, badhai,
surinder ratti, mumbai
अति सुन्दर भाव,
सुन्दर भावपूर्ण रचना,
रंजना जी
बधाई
और यही झूठे प्यार का भ्रम
ज़िंदगी के सच के ......
दो पल पर भारी पड़ जाता है !!
कमाल की रचना ।
रंजू जी स्वर्ण कलम पुरस्कार के लिए बधाई.
आप की यह रचना भी भावों की सुंदर अभिव्यक्ति है
बहुत ही बढ़िया। आप अब लिखने के पीछे का दर्शन समझने लगी हैं। मुझे बहुत खुशी है।
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