कुछ लड़कियाँ प्यार करती हैं
कुछ पकाती हैं रोटियाँ
घर बुहारती हैं
खरीदती हैं सब्जियाँ
कपड़े निखारती हैं
पढ़ती हैं
पढ़ाती हैं
सजकर जाती हैं शादियों में, बाज़ार में
और सहेलियों के घेरे में
हँसती भी हैं फुसफुसाकर
मगर प्यार नहीं करती।
प्यार नहीं करने वाली लड़कियाँ
गृहशोभा पढ़ती हैं
टी.वी. पर देखती हैं
देस में निकला होगा चाँद
और अपने अँधेरे कमरे में
रात को लेटकर
बेबात देर तक रोया करती हैं
और किसी दोपहर
आँगन में लगे गुलाब के पास बैठकर
काँटे उखाड़ती रहती हैं।
प्यार नहीं करने वाली लड़कियाँ
आज्ञाकारी होती हैं
सीख लेती हैं
कढ़ाई, सिलाई, बुनाई, रुलाई
और बिल्कुल गोल रोटियाँ बनाती हैं
उन्हें बहुत प्यारे होते हैं बच्चे
और पड़ोस के नन्हों को गोद में लेकर
जाने क्या क्या सोचती हुई
चूमती रहती हैं।
उनके गाल पिचककर
सुन्दर हो जाते हैं
और वे इस गति से दुबली होती हैं
कि रोज सवेरे उठकर
पिछले दिन की तस्वीर देखकर
पहचानती हैं ख़ुद को।
उनके जन्मदिन नहीं आते हर साल
प्यार नहीं करने वाली लड़कियों को
उपहार नहीं मिलते
वे गिनकर सोलह सोमवारों तक
भूखी रहती हैं
और उन्हीं सोमवारों को अनुमति पाकर
देखती हैं एक सपना
घोड़े पर आते
बिना चेहरे वाले राजकुमार का।
उनकी आँखों की पुतलियों
को धुंधला कर दिया जाता है
कि कहीं कौमार्य न टूट जाए
चेहरा देखने से।
हर सुबह छत पर जाकर
वे अपने चेहरे पर पोत लेती हैं
मिट्टी का आसमान
और अँधेरा होते ही
धोने लगती हैं चेहरा आँखों से।
दिन ढलने के बाद
चाँद के गले में बाँहें डालकर
रोती हुई वे पूछती रहती हैं
किसी का पता।
उनकी माँएं जब उन्हें देखती हैं
तो बुझ बुझ जाती हैं
और घबराकर, मुँह फेरकर
कैलेण्डर में लगाने लगती हैं हिसाब
दूधवाले का।
अक्सर अँधियारी रातों में
उनकी आत्माएँ निकल पड़ती हैं बाहर
सड़कों को घूरती हुई
पूछती हुई किसी का वही पता
और किसी चौखट पर जाकर
सिर पीटने लगती हैं
तब उनके पसीने में नहाए हुए शरीर
चौंककर जाग जाते हैं
और तड़के तक पड़ी पड़ी वे सोचती रहती हैं
सोए हुए पिता की
जागती चिंताओं के बारे में।
प्यार नहीं करने वाली लड़कियाँ
इतना प्यार करती हैं
कि शब्द नहीं मिलते उन्हें बयान करने को।
वे अगर कहने लगीं
तो प्यार शर्म से मर जाएगा
आसमान फट जाएगा
ब्रह्मांड टूटकर बिखर जाएगा।
इसी प्रलय के डर से
प्यार नहीं करने वाली लड़कियाँ
चुप चुप सी रहती हैं उम्र भर
और बिना प्यार के
एनीमिया से मर जाती हैं एक दिन।
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33 कविताप्रेमियों का कहना है :
प्यार नहीं करने वाली लड़कियाँ
इतना प्यार करती हैं
कि शब्द नहीं मिलते उन्हें बयान करने को।
वे अगर कहने लगीं
तो प्यार शर्म से मर जाएगा
आसमान फट जाएगा
ब्रह्मांड टूटकर बिखर जाएगा।
इसी प्रलय के डर से
प्यार नहीं करने वाली लड़कियाँ
चुप चुप सी रहती हैं उम्र भर
और बिना प्यार के
एनीमिया से मर जाती हैं एक दिन।
बहुत बढ़िया रचना,पहले तो लगा आप लड़कियों पर इल्जाम लगा रहे है ,मगर आखरी कुछ पंक्तियों ने सच्चाई बयां करदी,बहुत सुंदर
वाह गौरव जी, क्या अच्छी कविता है । कविता पढ़ते हुए मैं सोच रहा था कि किसकी यह कविता है कि इतनी लम्बी होने पर भी जी नहीं उचट रहा । आखिर पूरी कविता पढ़कर ही कवि का नाम देखने को जी हुआ । सचमुच बाँधे रखने वाली कविता है । कभी कभी मन सोचने लगता है कि कितना बहुरंगा और व्यापक है गौरव के मन का संसार । कितनी खूबी से उकेरा है विवाह के लायक हो गई लड़की और उसकी माँ की मनोदशा को । जिसमें मुख्य समस्या विवाह-पूर्व प्रेम को अनुचित मानने की परम्परा से निकलती है ।
जेसे ही मेने २,३ लाईन पढी तो जाने लगा, सोचा फ़िर कोई सर फ़िरी कविता होगी (माफ़ी चाहता हू )लेकिन कविता के भाव ओर शव्दो मे ना जाने कया जादु था, एक सासं मे ही पढ गया,ओर आखे भीग गई, एक बात बताऊ ऎसी ही लड्किया मां बाप का, घर का नाम रोशन करती हे,मेरे बच्चो ने मेरे कहने से शादी की तो मुझे ऎसी ही लड्की की तलाश होगी,
**प्यार नहीं करने वाली लड़कियाँ
इतना प्यार करती हैं
कि शब्द नहीं मिलते उन्हें बयान करने को।
वे अगर कहने लगीं
तो प्यार शर्म से मर जाएगा
आसमान फट जाएगा
ब्रह्मांड टूटकर बिखर जाएगा।
इसी प्रलय के डर से
मेरी किसी बात से आप को ठेस लगे तो माफ़ करना
दोस्त,
हर बार तुम कुछ नया लाते हो और हर बार चौंका जाते हो। कभी-कभी लगता है कि ये बातें तो मैं भी जानता हूँ, इसमें नया क्या है,लेकिन जिस तरह से उन्हें पेश किया जाता है, पूरी कविता खत्म करने पर लगता है कि बहुत कुछ नया है, कहने का अंदाज नया है, बातों में छिपा दर्द नया है, और हाँ कविता का अंत नया है। सच में गौरव, तुम युग्म के गौरव हो। (कभी-कभी हम-उम्रों पर भी नाज़ हो आता है :) )
बधाई स्वीकारो!
-विश्व दीपक ’तन्हा’
gajab likha hai..
गजब कर दिया गौरव जी
कवि वस्तु स्थिति का बयान करते करते
एक क्रान्ति का सृजक हो जाता है
यह कवि के नजरिये का कमाल है
बधाई
कमाल की कविता। माता-पिता और बेटी की मानसिक दशा का सुन्दर भाव
"उन्हें बहुत प्यारे होते हैं बच्चे
और पड़ोस के नन्हों को गोद में लेकर
जाने क्या क्या सोचती हुई
चूमती रहती हैं।"
सामान्य से शुरुआत के बाद, मार्मिकता की पराकाष्ठा ! गौरव जी ! आप निश्चय ही हिंद युग्म के गौरव हैं ! नारी भावनाओं की इतनी मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति वो भी एक पुरूष की लेखिनी से, सब कुछ अद्वितीय ! प्रारंभ में व्यंग्य और उत्तरोत्तर एक अकथ पीड़ा का विकास ! एक गौरवपूर्ण रचना हेतु साधुवाद !
vah vah gaurav ji kamal kar diya aapne....bilkul dil chho gaye...har pyar na karne vali ladki ki sahi tashveer pesh ki hai....
hey..its hard 2 believe dat u wrote these lines.....so realistic and touching....somewhere i feel that how different is the definiton of love for different people....
gud poem...keep it up...
गौरव भाई इस कविता को पढते हुए आलोक धन्वा, विमल कुमार और सबसे ज्यादा उदय प्रकाश की कुछ कविताए याद आती रहीं. लेकिन यह अच्छा है. परिपक्व होने के लिये यह भी ज़रूरी है. कविता अच्छी है. लेकिन शायद मुझ पर इतना प्रभाव इस लिए नहीं पडा क्योंकि लगभग ऐसी ही कविताएँ पढ चुका हूँ.
प्यार नहीं करने वाली लड़कियाँ
इतना प्यार करती हैं
कि शब्द नहीं मिलते उन्हें बयान करने को।
वे अगर कहने लगीं
तो प्यार शर्म से मर जाएगा
आसमान फट जाएगा
ब्रह्मांड टूटकर बिखर जाएगा।
इसी प्रलय के डर से
प्यार नहीं करने वाली लड़कियाँ
चुप चुप सी रहती हैं उम्र भर
और बिना प्यार के
एनीमिया से मर जाती हैं एक दिन।
बहुत बढ़िया रचना,
Regards
गौरव जी
बहुत सुंदर रचना..मर्म स्पर्शी.... बधाई
नीरज
गौरव जी,
यह कविता आप के लिखने के स्तर से बहुत नीचे है.कविता से अलग यह सिर्फ़ गद्य सी प्रतीत होती है. युग्म को आपसे बहुत ज्यादा उम्मीदें हैं.. आशा है अगली बार आप एक लयबद्ध अगल तरह की कविता लिख कर मेरी कही बात को सत्यापित कर देंगे
मोहिन्दर जी, मेरे विचार से तो इसमें लय के अलावा कविता के सभी आवश्यक गुण हैं। नई कविता तो ऐसी ही होती हैं।
हाँ, यदि हर पंक्ति का सीधा अर्थ(अभिधा) ही मेरा अर्थ होता तो आप इसे गद्य कह सकते थे।
कविता एकतरफा ही नज़रिया पेश कर रही है यहाँ , कभी किसी को मुक्कमल जहाँ नही मिलता, चाहे वो लड़का हो या लड़की, मगर इन हालातों में भी प्रेम साँस लेता है....और अधिक स्थायी होता है....कविता विषय की गहराई से पड़ताल नही करती....
कि शब्द नहीं मिलते उन्हें बयान करने को।
वे अगर कहने लगीं
तो प्यार शर्म से मर जाएगा
आसमान फट जाएगा
ब्रह्मांड टूटकर बिखर जाएगा।
इसी प्रलय के डर से
प्यार नहीं करने वाली लड़कियाँ
चुप चुप सी रहती हैं उम्र भर
और बिना प्यार के
एनीमिया से मर जाती हैं एक दिन।
एक एसी कविता जो एसे सवाल भी खडे करती है कि उससे बच कर गुजरने को जी चाहता है। इस कविता में गहराई है और खूबसूरती भी..यह सौफीसदी गौरव की ही कलम है...वाह!!!
***राजीव रंजन प्रसाद
बेहद मार्मिक चित्रण है अति उत्तम गौरव जी
गौरव भाई जब कविता पढ़ना शुरू किया तब लगा अभी ख़त्म हो जायेगी,पर ये क्या निचे अत गया कविता पता गया,लगा सोंचने किसकी हो सकती है?सच बातों पूरे समय यही सोंचता रहा,अंत मे आपका नम आया तो मैं तो सच कहूँ उछल पड़ा,क्योंकि मैं किसी स्त्री की उम्मीद कर रहा था.
एक प्यार न करने वाली लड़की का इतना सूक्ष्म और मार्मिक विश्लेषण,विश्वास नहीं होता की एक खूब सारा प्यार करने वाला लड़का एक प्यार न करने वाली लड़की के बारे में............
खैर,कविता के शुरू में मैं हैरत में था की कोई इन्सान सिर्फ़ एक ही पक्ष कैसे देखता है,पर अंत में जो मर्म उकेरा लगा नहीं मैं ग़लत था,
एक बहुत ही शानदार,जानदार और धान्सूमेंटल कविता,बारम्बार बधाई हो
आलोक सिंह "साहिल"
और तड़के तक पड़ी पड़ी वे सोचती रहती हैं
सोए हुए पिता की
जागती चिंताओं के बारे में।
प्यार नहीं करने वाली लड़कियाँ
इतना प्यार करती हैं
कि शब्द नहीं मिलते उन्हें बयान करने को।
ऐसी स्थिति में कोई प्यार कर पाए तो यह चम्त्कार ही होगा।
गौरव! तुम्हारी सोच और प्रस्तुतिकरण हर बार मुझे चकित कर देती है. सुंदर और प्रभावशाली रचना हेतु बधाई स्वीकारें!
एक बात जो सीधे रूप से नहीं कही गई :
प्यार नहीं करने वाली लड़कियाँ
ससुराल वालों को मोटा दहेज दिलवाकर
मां बाप को नंगा फक्कड़ छोड़ जाती हैं
फिर भी किचन की दुर्घटना में
जल मरने को दौड़ जाती हैं
Gaurav , first jub maine poem ka title para kaam karte karte office mey , tou maire ko deekhai diya tha "pyar karne wali larkiya"........:).....nd mai khush ho gayi :)...such...
.phir dekha no no pyar nahi karne wali larkiya. hai...
tumne starting tou taunting se ki pyar karne wali guls .....kuch larkiya pyar karti hai ....
phir tumne next line likhi kuch khana banati hai ...
maine feel kia tum logo ko batana chahte ho ......juliet jaise larkiya hee pyar nahi karti ....jinki love story sab jante hai .............jo ghar mey gol gol roti banati hai , ghar ko clean karti hai , woh bhi pyar karti hai .................
mujhe apni dadi ji ki yaad aa gayi ...poem pr kr , kafi tym sochti rahi oonke bare mey .....such ........
tumne jis women ko poem mey rakha hai woh meri nd tumari dadi nani nd kuch kuch ki moms ki story ho sakti hai .......
coz nw all gurls go out for their education , work, date......... most of guls gong for love marriages ...........
its my feeling if u love sumone u will do nythng for him/her dats u neva did b4......roti banana nd ghar saaf karna not big thing .......nd baki women kay sath gossip karna idher oodher kee baate karna jaise tumne poem mey likha hai........woh sab 20-30 yrs pahle ki baat kar rahe ho tum ...oosme pyar kaha hai ,,,dusro ki baate karna tou tym wastng hai nd nt sajannta ...
today guls r differnt....even villages guls they knw freedom..........nd parents also encouraging love marriages ......they liked confident daughters, who can take care of responsibilites.....jaise tumne father ka jikr kia hai na poem mey (4 dat).................
chup chup rone wali rose kay tree kay sath ...guls depressed hoti hai.....they cudnt find ny easy way 2 sort out prob...so start cry......
aise guls kisi romeo ki juliet ban sakti hai kia ???????..... ........pyar karne kay liye courage , confidence chahiye ...coz struggle karna parta hai dreamz ko pura karne mey ....... .....
all guls cant b jhasi ki rani ......woh genus bhi chahiye na body mey ........ ..........
so i ll suggest all guls if they love sumone explore feelings......nt keep inside.... cry alone is nt favourable 4 nyone.........Gud luck , pyar karne wali larkiyo :)...like Me :)
cheers,
ViJaya.....
जिस जिस ने भी प्यार नहीं करने वाली लड़कियों की इस कविता में प्यार को पहचान लिया, उन सब को धन्यवाद।
मेरा उद्देश्य पूरा हुआ।
विजया, तुम न्यूयॉर्क की गलियों से निकलकर कभी राजस्थान की गलियों में आओ, ऐसी हज़ारों लड़कियों से मिलवा सकता हूं। ये 30 साल पहले की नहीं, आज की लड़कियों की ही कविता है। और ये भी नहीं है कि जिनमें साहस नहीं होता, उनका प्यार कम होता है। ये सब वे लड़कियाँ हैं, जो परिवार की मर्यादा के लिए अपने प्यार का बलिदान करती हैं।
अपने लिए जीना आसान है। किसी और के लिए अपनी खुशियों का बलिदान विरले ही कर पाते हैं।
tumne shayad apne sawalo ke jabab khud hi khoj liye.....naari man ko samajhne ki koshish mein kuchh had tak kaamyaab bhi hue
agar differnt generations ki baat karen - india is a country where centuries live together.
pitaa aur man ke baad, i was expecting "didi" magar tumne stream change kar di...
by the way just joking...
bahut pyara likha hai
with blessings.
प्यार नहीं करने वाली लड़कियाँ
गृहशोभा पढ़ती हैं
टी.वी. पर देखती हैं
देस में निकला होगा चाँद
what is special about
देस में निकला होगा चाँद? maine kabhi nahi dekha..
देस में निकला होगा चाँद के बारे में खास कुछ नहीं है। हाँ, प्यार नहीं करने वाली लड़कियों को पसन्द बहुत होता है।
रही बात'दीदी' की तो जल्दी ही लिखूंगा उस पर भी।
mast yaar..
keep it up !!!
sach bro pyaar nahi karne vali ladkiyo ke andar bahut pyaar hota hai itna ki .............. aasman bhi uske samne bona hota hai or haan ek baat or pyaar nahi karne vali ladkiya bahut strong hoti hai isliye unhe koi aanemea jaisei bimari ho hi nahi sakti
pyaar har koi karta hai pyaar nahi karne vali ladkiya bhi har rrat nahi to kyo apne sapno ke rajkumar ko dekhti bas paristhitya alag alag ho gati kuchh apne sapno ke liye us pyaar ko bhula deti hai to kuchh un pyaaro ki liya jinohne bachpan se lekar jawani tak sirf use pyaar diya, pyaar kanhi bhi ho kisi bhi roop mai ho use insaan ko insaan banana chahiye haiwan ya swarti nahi tabhi pyaar sartahk hai anyath niraarthak pyaar to roj galiyo or chobaro me kodiyo ke dam bik jata hai
वे अगर कहने लगीं
तो प्यार शर्म से मर जाएगा
आसमान फट जाएगा
ब्रह्मांड टूटकर बिखर जाएगा।
इसी प्रलय के डर से
प्यार नहीं करने वाली लड़कियाँ
चुप चुप सी रहती हैं उम्र भर
और बिना प्यार के
एनीमिया से मर जाती हैं एक दिन।
बहुत सुंदर रचना ...
गौरव जी !
बधाई
स-स्नेह
गीता पंडित
मुझे तो भाई कविता दमदार लगी। अवनीश जी की बात सही है, लेकिन गौरव की कविता में ये अच्छे लक्षण हैं कि सोच साफ़ होती जा रही है।
Nari samarpan se sankalp par jati hai yeh samrpan purush sankalp se samarpan par jata hai.
Kavita samarpan ka vyang karte shuru hui aur samarpan par hi so gai sankalp tak to pahunchi hi nahin.
Tum kavi log sapano ki duniya mein rahte ho aur naye navelon ko dhoke mein rakhte ho asli NARI se pala padega to pata chalega. ^_*
प्यार नहीं करने वाली लड़कियाँ
इतना प्यार करती हैं
कि शब्द नहीं मिलते उन्हें बयान करने को।
वे अगर कहने लगीं
तो प्यार शर्म से मर जाएगा
आसमान फट जाएगा
ब्रह्मांड टूटकर बिखर जाएगा।
इसी प्रलय के डर से
प्यार नहीं करने वाली लड़कियाँ
चुप चुप सी रहती हैं उम्र भर
और बिना प्यार के
एनीमिया से मर जाती हैं एक दिन।
bahut accha likha hai bhai..
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)