प्यार ...
क्या है यह ?
लफ्ज़ नही है सिर्फ़
जिसे बाँध लिया जाए
किसी सीमा में
और खत्म कर दिया जाए
उसकी अंतहीनता को
प्यार ....
वस्तु भी नही है कोई
यह तो है एक एहसास
एक आश्वासन
जो धीरे धीरे
दिल में उतरता
मुक्त गगन सा विचरता
शब्दों को कविता कर जाता है
प्यार .....
है नयनों में भरा सपना
जो कई अनुरागी रंगो से रंगा
चहकता है पक्षी सा
अंधेरों को उजाले से भरता
नदी सा कल कल करता
बूंद को सागर कर जाता है
प्यार .....
मिलता है सिर्फ़
दिल के उस स्पन्दन पर
जब सारा अस्तित्व मैं से तू हो कर
एक दूजे में खो जाता है
कंटीली राह पर चल कर भी
जीवन को फूलों सा मह्काता है !!
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32 कविताप्रेमियों का कहना है :
कितना सुखद sanjog है की इस बार आपकी कविता wale दिन ही प्रेम का दिन आया है, प्रेम guru shat shat naman, प्रेम की sunder paribhasha ....
प्यार ....
वस्तु भी नही है कोई
यह तो है एक एहसास
एक आश्वासन
जो धीरे धीरे
दिल में उतरता
मुक्त गगन सा विचरता
शब्दों को कविता कर जाता है
" प्यार की मनमोहक परिभाषा , और वैलेंटाइन के दिन पर, क्या बात है, हर तरफ प्यार की खुशबू , सुंदर कवीता"
Regards
रंजना जी,
वेल्नटाईन वाले दिन प्यार पर सुन्दर अहसास भरी रचना के लिये बधाई
मेरे शब्दों में
लफ़्ज सिर्फ़ नाम है
वस्तु सिर्फ़ स्पर्श
सपना एक अहसास है
सबका मिश्रण प्यार है
तभी तो इतना खास है
प्यार .....
मिलता है सिर्फ़
दिल के उस स्पन्दन पर
जब सारा अस्तित्व मैं से तू हो कर
--- बहुत सही कहा |
इस विशेष दिन की ढेरों शुभकामनाएं |
अवनीश तिवारी
"शब्दों को कविता कर जाता है"....अति सुंदर........
प्यार को पारिभाषित करने की बढ़िया कोशिश !!
बहुत सुंदर
तुम मुझमें मैं तुझमें खोकर
मिले विलायक विलेय होकर
बहुत सुन्दर तरीके से परिभाषित किया है प्रेम को..
सुन्दर सृजन..
प्रफुल्लित मन..
शत-शत नमन..
रंजना जी, प्रेम के दिन आपकी कविता तो होनी ही चाहिये थी। आपकी हर कविता से प्रेम बरसता है।
धन्यवाद
प्रेम दिवस के अवसर पर आपकी प्रेममयी कविता का आना सुखद लगा.और इन पंक्तियों -
प्यार ....
वस्तु भी नही है कोई
यह तो है एक एहसास
एक आश्वासन
जो धीरे धीरे
दिल में उतरता
मुक्त गगन सा विचारता
शब्दों को कविता कर जाता
ने तो कमल ही कर दिया,बहुत ही नाजुक शायद प्रेम की नाजुक डोर की ही तरह आपकी कविता,अच्छी लगी,ढेरों मुबारकबाद.
आलोक सिंह "साहिल"
रंजू
बहुत ही प्यारी कविता लिखी है तुमने.-
प्यार ....
वस्तु भी नही है कोई
यह तो है एक एहसास
एक आश्वासन
जो धीरे धीरे
दिल में उतरता
मुक्त गगन सा विचरता
शब्दों को कविता कर जाता है
प्रेम उत्सव सभी के जीवन मैं प्रेम की वर्षा करे यही कामना है.सस्नेह
प्रीत दिवस (?) सबको मुबारक हो...
प्यार .....
मिलता है सिर्फ़
दिल के उस स्पन्दन पर
जब सारा अस्तित्व मैं से तू हो कर
एक दूजे में खो जाता है
सही कहा आपने
देखी किसने गगन की सीमा ऊँचाई
नाप सका है कौन प्यार की गहराई
थक गई कहते कहते प्रेम दिवानी मीरा
ढाई अक्षर व्यक्त कर सके नहीं कबीरा
अर्थ [यार का शब्द कहां बतला पायेंगे
मन के बंधन होठों पर क्या आ पायेंगे ?
सुन्दर रचना लिखी है आपने
शब्दों को कविता कर जाता है
मिलता है सिर्फ़
दिल के उस स्पन्दन पर
जब सारा अस्तित्व मैं से तू हो कर
बहुत सुंदर
आप ने सही कहा है
प्रेम को शब्दों के बन्धन मे
नही बंधा जा सकता है
इसे सिर्फ़ हम महसूस कर सकते है
प्यार, खुदा की अनमोल देन है!
anil
प्यार .....
मिलता है सिर्फ़
दिल के उस स्पन्दन पर
जब सारा अस्तित्व मैं से तू हो कर
एक दूजे में खो जाता है
क्या बात कही है..बिलकुल सत्य यही प्रेम की परिभाषा है...
सही मौके पर सही लिखा है आपने...
**********
प्यार ....
वस्तु भी नही है कोई
यह तो है एक एहसास
एक आश्वासन
जो धीरे धीरे
दिल में उतरता
मुक्त गगन सा विचरता
शब्दों को कविता कर जाता है
प्यार .....
है नयनों में भरा सपना
जो कई अनुरागी रंगो से रंगा
चहकता है पक्षी सा
अंधेरों को उजाले से भरता
नदी सा कल कल करता
बूंद को सागर कर जाता है
*बहुत सुंदर लिखा है रंजू जी!
प्यार .....
है नयनों में भरा सपना
जो कई अनुरागी रंगो से रंगा
चहकता है पक्षी सा
अंधेरों को उजाले से भरता
नदी सा कल कल करता
बूंद को सागर कर जाता है
रंजू जी,
प्यार के कई रूप हैं और हर रूप को आपने बड़ी हीं खूबसूरती से प्रस्तुत किया है।
सच हीं कहा है आपने:
प्यार .....
मिलता है सिर्फ़
दिल के उस स्पन्दन पर
जब सारा अस्तित्व मैं से तू हो कर
एक दूजे में खो जाता है
बधाई स्वीकारें।
-विश्व दीपक ’तन्हा’
प्यार .....
मिलता है सिर्फ़
दिल के उस स्पन्दन पर
जब सारा अस्तित्व मैं से तू हो कर
एक दूजे में खो जाता है
कंटीली राह पर चल कर भी
जीवन को फूलों सा मह्काता है !!
रंजना जी, सुन्दर अभिव्यक्ति। प्यार पर आपका चिंतन सुन्दर बन पड़ा है।
अच्छा है! बधाई
इस तरह की कई कविताएँ पढ़ चुका हूँ, इसलिए बहुत कम प्रभावित हुआ। ओशो की अंतर्वीणा तो ऐसे बातों से भरी पड़ी है।
pyar kya kaha jaye kya suna jaye!!!
yeh toh us se puchho jisne pyar ko khoya ho..........
wo ek badnaseeb main bhi hoon!
ab shayad pyar ki koi paribhasha hi nahi hai
HELLO I AM DANISHKHAN SAID
pyaar ek medha sa ehaas hai
jo apni khosi se berkr aapne paay ki khosi samajta hai or usse vo be peana pyaar krta hai
pyaar do dilo ka milen hai
pyaar posibal hai sabke liye chaye vo maa baap
ho ya fir girl boy ka ho
bhen ya bahi ka""""
pyar ek ehsaas hai jisko sabdo me byan nahin kiya ja sakta
payer kabhe mat karna keyo ke seva dukh ke ye kuch nahe dane vala
pankaj
apne bahut achchi paribhasha di lekin apne logo ko yah nahi bataya ki pyar kisi se bhi ho sakta hai ek bete ka ma se ek friend ka dusre friend se isme koi burai nahi hai jisko aap dil se respect karte ho jiski jarurat samajhte ho jiski kimat apke liye mayane rakhti ho wahi pyar hai ok
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