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Thursday, February 14, 2008

वैलेंटाईन डे के अवसर पर कुछ विशेष


मित्रों, मुझे देखकर आप चौंक गए होंगे,क्योंकि आज के दिन मैं अपनी रचनाएँ पोस्ट नहीं करता।लेकिन आज कुछ स्पेशल है ना......स्पेशल.....वैलेंटाईन डे। तो इस अवसर पर कुछ अलग लेकर मैं हाज़िर हुआ हूँ। आज तक हिन्द-युग्म पर प्रेम की जितनी भी रचनाएँ पोस्ट हुई हैं, आज मैं उन सब का संकलन लेकर आया हूँ।अगर कुछ छूट गया हो तो माफ कीजिएगा......और जो भी यहाँ पेशे-खिदमत है, उसका दिल खोलकर मज़ा लीजिएगा। और हाँ, रचनाएँ पेश करने का मेरा अंदाज कुछ ज़ुदा है........आप खुद हीं देख लीजिए।

तो आपके सामने प्रस्तुत है मेरा एक गीत " मेरी प्रियतम"

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चितवन! दोऊ चितवन!
महुए का मौसम और प्यारा-सा मधुवन!

चलूँ धीमे, चलूँ धीरे,
उस गोरी संग अधीरे!
इन नयनों की बातें
हों प्रेम-सरवर तीरे।

कहे - मैं हुई दीवानी,
सुनूँ , मैं बनके मानी,
हैं हम और तुम प्रेमी,
कह, जाए वो सयानी।

सुंदर! अतिसुंदर!
ख़्वाबों की रानी , मेरे यारा का अंजन!
महुए का मौसम और प्यारा-सा मधुवन!

वह एक प्रेम कविता,
अनंग-सी वो कांता,
मेरे ख्यालों में बहती
बन यादों की सरिता।

वो परी या नदी कोई,
कहे मुझसे जगी-सोई,
वो तुम हीं तो हो, देखो,
तेरे ख्यालों में मैं खोई।

मादक! बड़े मादक!
तारीफों की धुन पर पग-नूपुरों का नर्त्तन!
महुए का मौसम और प्यारा-सा मधुवन !

कहे- "तुम हो कौन मेरे ?"
क्या कहने यार तेरे!
झेंप पलकें,मुझे कहती-
तेरे प्यार हैं बहुतेरे !!

तेरे हुस्न के मैं सदके,
दिल पुकारे बिना हद के,
तुम्हें करता प्यार बेहद,
बोल कह दूँ- इस कद के!

प्रियतम! मेरी प्रियतम!
पर्याय है प्रेम का मेरी प्रियतम का जीवन,
महुए का मौसम और प्यारा-सा मधुवन !

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अंत में एक अलग हीं रस की कुछ पंक्तियाँ देखिएगा :

तुमने अपना चेहरा छुपा क्यों लिया?
आओगी ना? पूछा-मना क्यों किया?
तुम नहीं आई , चलो उस पार थी तुम,
क्यों हूँ मैं प्यार करता , यह पूछकर बोलो-
हबीब को अपने -सजा क्यों दिया?

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उम्मीद करता हूँ कि मेरा प्रयास आपको पसंद आया होगा।
धन्यवाद!

-विश्व दीपक ’तन्हा’

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15 कविताप्रेमियों का कहना है :

रंजू भाटिया का कहना है कि -

दीपक बहुत बहुत सुंदर ..इस से सुंदर तोहफा आज के दिन के लिए और कुछ नही हो सकता था :)
दिल खुश हो गया ..प्यार के सभी रंग जैसे एक गुलदस्ते में सज गए ..बहुत बहुत शुक्रिया इस सुंदर तोहफे के लिए !!

Sajeev का कहना है कि -

वाह भाई वाह क्या बात है, लाल फूलों का गुलदस्ता, कविताओं की महकती खुशबू, और पेश करने का तरीका लाजवाब, आज युग्म रंग बिरंगी तितलियों से गुलज़ार रहे, और तनहा जी आपकी तनहाइयों के दिन तो अब गए, ये आईडिया जिसका भी है शानदार है, बहुत बहुत बधाई....

seema gupta का कहना है कि -

कमाल का प्रयास और एक सफल प्रयास, सारे प्रेम के मोती एक माला मे इतने सुंदर तरीके से पीरोय गये हैं की इक एक मोती को दुबारा ध्यान से देखने का मन कर आया, अती सुंदर "
Regards

जीतेश का कहना है कि -

ये मेरा पहला कमेंट...
तन्हा जी गजब का प्रयास...सारी कविताये पड़ी नही पर जिस तरह कवितायो के शीर्सक ख़ुद कविता बन गए वो सराहनीय है
बहुत बहुत बधाई....

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

बहुत खूब तनहा भाई|
प्रेम रस की ये पंक्तियाँ सुंदर है |

इस विशेष दिन की ढेरों शुभकामनाएं |

अवनीश तिवारी

Alpana Verma का कहना है कि -

एक पंथ दो काज कर दिया आपने----कविता का tohfa भी हो गया और jinhone कवितायें नहीं padhin उनको एक ही जगह सभी link भी मिल गए---------

mehek का कहना है कि -

बहुत सुंदर

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

हिन्द-युग्म के प्रेम-पुष्प चुन गूँथी प्यारी माला
तन्हा भाई, बहुत बधाई, वाह! गजब कर डाला
बडी सोचकर, बडे जतन से, कैसी युक्ति लगाई
प्रेम-कविताओ का सम्मेलन और प्रेम-कविताई

-कम्प्यूटर लगाया हुआ है क्या भाई जी मस्तिष्क में..
कमाल की प्रोग्रामिंग..

सुनीता शानू का कहना है कि -

कविता का नया स्टाईल मुझे तो बेहद पसंद आया तन्हा...

SahityaShilpi का कहना है कि -

बहुत ख़ूब तन्हा जी! आपको जो सुझाव मिला था उसमें तो इन तमाम कडियों को समाहित करता लेख़ लिख़ने को कहा गया था, पर आप इसे इतने सुंदर गीत में पिरो लायेंगे; इसका तो अनुमान भी नहीं था। बहुत सुंदर!

"राज" का कहना है कि -

वाह मित्र...
आपने तो कमाल ही कर दिया है.....बहुत ही खुब्सूरती से प्रस्तूत किया है....

गिरिराज जोशी का कहना है कि -

वाह शब्द-शिल्पी जी,

बहुत ही खूबसूरत गुलदस्ता बना डाला आपने तो... कमाल का आईडिया है... बहुत मेहनत लगी है इसमें... बधाई!!!

RAVI KANT का कहना है कि -

तन्हा जी, आपका ढंग पसंद आया। लाजवाब!!बधाई।

गौरव सोलंकी का कहना है कि -

बहुत मेहनत की है तन्हा भाई...
ये बताओ कि कैसा रहा valentine day ? ;)

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

आप ९० प्रतिशत अंकों से पास हुए। आगे के लिए भी कमर कस लें। इस तरह का नियमित स्तम्भ आरम्भ किया जा सकता है।

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