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Wednesday, February 27, 2008

गज़ल - खेल कुर्सी का


खेल कुर्सी का है यार यह,
शव पड़ा बीच बाज़ार यह ।

कैसे जीतेगी भुट्टो भला,
देते हैं पहले ही मार यह ।

नाम लेते हैं आतंक का,
रखते हैं खुद ही तलवार यह ।

रात दिन हैं सियासत करें,
करते बस वोट से प्यार यह ।

भूल कर भी न करना यकीं,
खुद के भी हैं नही यार यह ।

दल बदलना हो इनको कभी,
रहते हर पल हैं तैयार यह ।

देख लें घास चारा भी गर,
खूब टपकाते हैं लार यह ।

पेट इनका हो कितना भरा,
सेब खाने को बीमार यह ।

अब करें काम हम अपने सब,
छोड़ बातें हैं बेकार यह ।

कवि कुलवंत सिंह

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13 कविताप्रेमियों का कहना है :

seema gupta का कहना है कि -

खेल कुर्सी का है यार यह,
शव पड़ा बीच बाज़ार यह ।
कैसे जीतेगी भुट्टो भला,
देते हैं पहले ही मार यह ।
"बहुत तीखा प्रहार आज के कुर्सी के खेल पर, अच्छी रचना"

Regards

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

कुलवंत जी,

रचना प्रभाव नहीं छोडती। सारे शेर घिसे पिटे कथ्य की पुनरावृत्तियाँ से बन पडे हैं। केवल यह शेर कुछ कह सका है:

पेट इनका हो कितना भरा,
सेब खाने को बीमार यह ।

*** राजीव रंजन प्रसाद

Anonymous का कहना है कि -

पेट इनका हो कितना भरा,
सेब खाने को बीमार यह ।
बहुत बढ़िया बधाई

गीता पंडित का कहना है कि -

सियासत की पोल खोलती रचना....सुंदर है... कुलवन्त जी....

शुभ-कामनाएं

स-स्नेह
गीता पंडित

गौरव सोलंकी का कहना है कि -

राजीव जी की बात पर कान दीजिए। बाकी सब ठीक है।

Anonymous का कहना है कि -

"बहुत अच्छी रचना"

तपन शर्मा Tapan Sharma का कहना है कि -

कुलवंत जी,
जबर्दस्ती लिखी हुई रचना लगती है। आपने इसमें दिल नहीं लगाया। केवल मजे के लिये लिखी लगती है।
धन्यवाद
तपन शर्मा

Anonymous का कहना है कि -

गंभीर मुद्दे को छूने की कोशिश की है पर कहीं कहीं तुकबंदी के चक्कर मे गंभीरता खो सी जाती है अच्छा प्रयास है

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

सरल रचना है कुछ बात कहने का कोशिश करती |

अवनीश

Mohinder56 का कहना है कि -

कुलवंत जी,

नेताओं की खूबियों को बखूवी उभारा है आपने अपनी रचना में.. बधाई

Kavi Kulwant का कहना है कि -

आप सभी के प्यार और उलाहने को सर आखों पर लेते हुए.... आप का अपना ही.. कवि कुलवंत

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

कवि जी,

हालाँकि गजल में कुछ कमी भी नहीं
मगर इस बार कुर्सी कुछ जमी भी नहीं...

-नमस्कार

Anonymous का कहना है कि -

बधाई हो कुलवंत जी,अच्छी रचना
आलोक सिंह "साहिल"

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