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Friday, February 08, 2008

रात भर जागती आँखों से सुना था हमने


रात भर जागती आँखों से सुना था हमने
चाँद-तारों से मुहब्बत का फ़लसफ़ा हमने

आज भी याद जो आया तो रो पड़ा ये दिल
कैसे झेला तेरी फ़ुरकत का हादसा हमने

काश कि दिल पत्थर ही हो गया होता
इसके चलते सहा न क्या-क्या हमने

बस इक रोटी को आपस में झगड़ते बच्चे
बारहा देखा है खिड़की से वाकया हमने

अब तो पैसा ही खुदा हो गया है सबका
बड़ी मुश्किल से है सीखा ये कायदा हमने

ये अजय ही पागल है, सच कहा वरना
शेर लिखकर भी पाया है क्या नफ़ा हमने

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12 कविताप्रेमियों का कहना है :

seema gupta का कहना है कि -

रात भर जागती आँखों से सुना था हमने
चाँद-तारों से मुहब्बत का फ़लसफ़ा हमाने"
आज भी याद जो आया तो रो पड़ा ये दिल
कैसे झेला तेरी फ़ुरकत का हादसा हमने

"ये अजय पागल नही , ये पूछो हमसे,
शेर लिखकर ...................,
जगती आंखों का अफसाना समझाया हमको "
बहुत अच्छी गजल "

Regards

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

ग़ज़ल की कक्षा मे जीतना सीखा है उतने जानकारी के साथ आप की रचना मेरे मत से सही है |

नियमों का पालन है |
भाव अच्छे है शेर के |
बधाई

अवनीश तिवारी

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

क्या बात है अजय जी...
जबरदस्त गजल बनी है..

रात भर जागती आँखों से सुना था हमने
चाँद-तारों से मुहब्बत का फ़लसफ़ा हमाने"
आज भी याद जो आया तो रो पड़ा ये दिल
कैसे झेला तेरी फ़ुरकत का हादसा हमने

बधाई

Unknown का कहना है कि -

अजय जी आपने गजल के सभी नीयामो का पालन करते हुए बहुत सुंदर गजल लिखा है
धन्यवाद

शोभा का कहना है कि -

अजय जी
बहुत दिनों बाद आपको पढ़ रही हूँ । दार्शनिक लग रहे हैं ।
अब तो पैसा ही खुदा हो गया है सबका
बड़ी मुश्किल से है सीखा ये कायदा हमने

ये अजय ही पागल है, सच कहा वरना
शेर लिखकर भी पाया है क्या नफ़ा हमने

अच्छा लिखा है । बधाई ।

mehek का कहना है कि -

ये अजय ही पागल है, सच कहा वरना
शेर लिखकर भी पाया है क्या नफ़ा हमने
बहुत बढ़िया.

RAVI KANT का कहना है कि -

अजय जी, बहुत दिनो बाद दिखे और एकबार फ़िर से आपने अपनी क्षमता का कायल बना दिया।

विश्व दीपक का कहना है कि -

अब तो पैसा ही खुदा हो गया है सबका
बड़ी मुश्किल से है सीखा ये कायदा हमने

ये अजय ही पागल है, सच कहा वरना
शेर लिखकर भी पाया है क्या नफ़ा हमने


वाह!
आफरीन!
इसे कहते हैं गज़ल!
बधाई स्वीकारें।

-विश्व दीपक ’तन्हा’

गीता पंडित का कहना है कि -

रात भर जागती आँखों से सुना था हमने
चाँद-तारों से मुहब्बत का फ़लसफ़ा हमने

आज भी याद जो आया तो रो पड़ा ये दिल
कैसे झेला तेरी फ़ुरकत का हादसा हमने

अच्छा लिखा है ।

बधाई |

Alpana Verma का कहना है कि -

ये अजय ही पागल है, सच कहा वरना
शेर लिखकर भी पाया है क्या नफ़ा हमने'

**अच्छी गजल "

Anonymous का कहना है कि -

आज भी याद जो आया तो रो पड़ा ये दिल
कैसे झेला तेरी फ़ुरकत का हादसा हमने
माफ़ी चाहूँगा अजय जी मुझे गजल के नियम कानून की बहुत जानकारी नहीं है पर इतना जरुर कहूँगा की आपके शेर दिल में उतर गए.
बधाई हो
आलोक सिंह "साहिल"

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

यह शे'र मेरे दिल के काफी करीब है-

आज भी याद जो आया तो रो पड़ा ये दिल
कैसे झेला तेरी फ़ुरकत का हादसा हमने

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