('पहला सुर' ज़ारी करते वीरेन्द्र गुप्ता, निखिल आनंद गिरि, मुख्य अतिथि श्री ए॰ आर॰ कोहली, बाल स्वरूप राही और कुँअर बेचैन)
कल यानी २० फरवरी २००८ का दिन हिन्द-युग्म के लिए एक महत्वपूर्ण दिन था। साहित्यिक संस्था जयजयवंती द्वारा आयोजित होने वाली साहित्यिक संगोष्ठी 'हिन्दी का भविष्य, भविष्य की हिन्दी' की छठवीं कड़ी में हिन्द-युग्म के पहले संगीतबद्ध एल्बम 'पहला सुर' का प्रदर्शन हुआ। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री ए. आर. कोहली (पूर्व राज्यपाल, मिजोरम), विशिष्ट अतिथि श्री वीरेन्द्र गुप्ता (विदेश मंत्रालय), यहीं कल ही 'जयजयवंती सम्मान' से सम्मानित कवि बाल स्वरूप राही, वरिष्ठ कवि कुँअर बेचैन और सुप्रसिद्ध कवि अशोक चक्रधर ने इस अल्बम को ज़ारी किया। हिन्द-युग्म की ओर से निखिल आनंद गिरि ने हिन्द-युग्म का परिचय प्रस्तुत किया। 'पहला सुर' का एक छोटा 'पॉवर-पॅवाइंट' भी प्रदर्शित किया गया। यह कार्यक्रम भारत पर्यावास केन्द्र (इंडिया हैबिटेट सेंटर), लोधी रोड के गुलमोहर सभागार में संध्या 6:30 से प्रारम्भ होकर रात्रि 9:00 बजे तक चला।
('पावर-पॅवाइंट' पर पहला सुर)
(परिचय प्रस्तुत करते निखिल आनंद गिरि)
कल का यह कार्यक्रम हिन्दी के वाचक परम्परा के सुप्रसिद्ध कवि राधेश्याम 'प्रगल्भ' पर केन्द्रित था। जिसपर उन्हीं के पुत्र कवि अशोक चक्रधर ने एक 'पावर-पॅवाइंट' प्रस्तुत कर सभी को भाव-विभोर कर दिया। वरिष्ठ कवि बाल स्वरूप राही को जयजयवंती सम्मान से नवाज़ा गया जिसके अंतर्गत उन्हें एक प्रतीक चिह्न और एक शॉल भेंट किये गये। कवि बाल स्वरूप राही और कुँअर बेचैन आदि सुपरिचित चेहरों ने काव्य पाठ किया।
(काव्य-पाठ करते बाल स्वरूप राही)
चिट्ठाकार परिवार की ओर से मोहिन्दर कुमार, रंजना भाटिया, सजीव सारथी, भूपेन्द्र राघव, आलोक सिंह साहिल, निखिल आनंद गिरि, शैलेश भारतवासी (सभी हिन्द-युग्म), अविनाश वाचस्पति और राजीव तनेजा उपस्थित थे।
(उपस्थित हिन्दी-प्रेमी)
कुछ अन्य झलकियाँ
(हिन्द-युग्म का ब्रॉशर देखती एक महिला)
(हिन्द-युग्म का ब्रॉशर बाँटते निखिल आनंद गिरि)
(दर्शकदीर्घा)
(दर्शकदीर्घा~)
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15 कविताप्रेमियों का कहना है :
बहुत सही। हिन्दी के भविष्य को बेहतर बनाना ही ध्येय होना चाहिए।
"हिंद- युग्म " की इस सफलता पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएं ...अखबारों की सुर्खियों में हो चाहे पाठकों के मन में ,जब भी युग्म के कदम आगे बढ़ते हैं तो मन खिल जाता है .. हिन्दी का भविष्य उस दुर्गम दुर्ग की चोटी पर लहराते झंडे की तरह है जिसकी दीवार से सटकर हम सभी सोपान बन जायें ताकि हमारे शीश पर पैर रख कर सुनहरे भविष्य के दूत शिखर पर चढ़ जायें ...हमें आभास तो मिल जाएगा कि गढ़ हमने लिया है ....:-)
'जयजयवंती सम्मान' से सम्मानित कवि बाल स्वरूप राही,वरिष्ठ कवि कुँअर बेचैन और सुप्रसिद्ध कवि अशोक चक्रधर , श्री ए. आर. कोहली ,श्री वीरेन्द्र गुप्ता ,मोहिन्दर कुमार, रंजना भाटिया, सजीव सारथी, भूपेन्द्र राघव, आलोक सिंह साहिल, निखिल आनंद गिरि, शैलेश भारतवासी, अविनाश वाचस्पति और राजीव तनेजा ,सभी को अशेष शुभकामना....
विनीत
सुनीता यादव
* गढ़ हमने जीत लिया है ....:*....अभी जीतने के लिए समय है न शायद इसलिए बीच में से जीत शब्द मन में टाइप हो गया था ...:-)
क्षमाप्रार्थी
सुनीता यादव
जिस चाव से दर्शक युग्म का दस्तावेज पढ़ रहे थे, बहुत अच्छा लगा, सम्मानित व्यक्तियों द्वारा भी जब युग्म की चर्चा हुई तो मन और भी आनंद से भर गया, अरे भाई मैं युग्म के पंजीकरण की खुशी में आप सब के लिए मिठाई लेकर आया था, पर सब के सब शैलेश जी अकेले खा गए, खैर अगली बार वह मिले तो वसूल कर लीजियेगा उन से .....हा हा हा
shailesh ji
saari mithai kha gaye aap, kabhi dilli aate hain to fir sab sood sahit wasoolenge ;)
मिठाई किसी ने भी खाई
सबने मिलकर खुशी मनाई
सबको बधाई सबको बधाई
मिठाई के साथ सूद ज़रूर मिलेगा
मेरा एक मित्र सूद मिठाई डब्बा देगा
बोलो चलेगा बोलो बोलो चलेगा
जो मन में छप जाता है
वो अमिट हो जाता है
मन धन सबसे ज़्यादा भाता है
मै चलता हूं अब टिप्पणी देने
दूसरा आता है तीसरा आता है
चौथा ..... ...... ....
लो आ गया मैं भी
सूद साथ मिठाई
मुझे भी खानी है
नहीं आ पाया चाहते हुये भी
वो कहानी तो मिलकर ही
बतानी है, वैसे बतलाऊंगा
तो आप समझ नहीं पायेंगे
कांटा फंस गया था
इसलिये मैं रुक गया था
कांटा फंसा रेलगाड़ी की
पहिया डण्डी पर,
समझे सिर्फ ज्ञानदत्त पान्डेय
जी की हलचल वाले समकषी ही.
शैलेश भाई, ये तो बहुत ही गलत बात है। सारी मिठाई अकेले खायेंगे तो डायबिटीज़ का खतरा रहेगा। अगली बार मिलूँगा तो सारी वसूल लूँगा। मुझे अफसोस रहेगा कि न मैं मिठाई खा पाया न ही इस सम्मेलन में जा पाया।
सजीव जी और शैलेश की मिठाई की वजह से सारे पाठक उसी में उलझ जायेंगे।
युग्म ने हिन्दी के इस सम्मेलन में शिरकत करी उसके लिये सभी को बधाई देता हूँ। अब ये तो पक्का है कि युग्म के बारे में हिन्दी के सभी बड़े नामी लोग परीचित हो गये हैं। हमारी बात इन्टेरनट पर हिन्दी पढ़ने वालों तक पहुँच चुकी है। कुछ लोग कवितायें पढ़ते हैं तो कुछ कहानियाँ। मैं आप सभी युग्म के सदस्यों से निवेदन करूँगा कि मुझे लगता है कि हम कवितायें तो पोस्ट करते हैं पर कहानियों में थोड़ा पीछे हैं। क्या कविताओं की तरह ही कहानियों की कोई प्रतियोगिता, या कुछ ऐसा हो कि उसमें भी लोग आगे आयें।
हिन्द-युग्म के बढ़ते कदमों की इस आहट पर शुभकामनायें!
एक और मील का पत्थर...लेकिन अभी हमे बहुत आगे जाने है।
*** राजीव रंजन प्रसाद
हिंद- युग्म " की इस सफलता पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएं "
Regards
एक और सफलता की बधाई सबको :)
बहुत बहुत बधाई
लोकप्रियता के शिखर पर पहुँचने का रास्ता तेज़ी से तय करता हुआ हिन्दयुग्म बधाई का पात्र है.
इस क्षेत्र के दिग्गजों का यूं ही आशीर्वाद बना रहे-
शुभकामनाएं.
"हिंद- युग्म " की सफलता पर....
सभी को .....
हार्दिक बधाई ..
शुभकामनाएं |
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