काव्य -पल्लवन हिन्द- युग्म की सर्वाधिक लोकप्रिय प्रस्तुति है। अत्यन्त प्रसन्नता की बात है कि प्रति माह एक बड़ी संख्या में कवि इसमें भाग लेकर चकित करते रहे हैं । एक ही विषय पर लिखी विभिन्न कविताएँ काव्यानन्द के साथ-साथ बहुआयामी दृष्टिकोण भी प्रदान करती हैं । पूरे एक वर्ष के सफल आयोजन के बाद काव्य पल्लवन में नवीन स्फूर्ति का संचार हुआ है ।
नव-वर्ष में काव्य-पल्लवन के लिए विषय आमंत्रित करते हुए विशेष प्रसन्नता हो रही है ।
आप सभी से अनुरोध है कि आप अपनी पसन्द का विषय १० जनवरी २००८ तक लिखकर kavyapallavan@gmail.com पर ईमेल कर दें। याद रखिए विषय समसामयिक हो, जिस पर सार्थक चर्चा हो, हर कोई लिख सके, अधिकतम ४-५ शब्दों का हों।
प्राप्त विषयों में से कोई एक विषय चुनकर १२जनवरी २००८ को हिन्द-युग्म पर सूचनार्थ प्रकाशित कर दिया जायेगा
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4 कविताप्रेमियों का कहना है :
bilkul, काव्य पल्लवन ab पल्लवन se pushpan ki taraf agrasar hai. उम्मीद है isbar और भी बेहतर रूप देखने कोमिलेगा हमारे काव्य पल्लवन का.
आशा सहित
आलोक सिंह "साहिल"
sach kavya palavan ek khubsurat guldasta hai.tis vishay par ki kavitayen padhkar behad anand aaya tha.is bar bhi pratiksha hai ek aur nikhare se guldaste ki.
mehek
मुझे भी अपने कवि मित्रों में शामिल कर लीजिये
अंदाज़-ए-अदावत भी जुदा लगता है /
ज़हर भी इस तरह देते हैं दवा लगता है/
अब मुहब्बत भी सियासत की तरह होती है/
बेवफा यार भी अब जान-ए-वफ़ा लगता है/
शम्स को आइना दिखाता हूँ/
बर्फ की मूरतें बनाता हूँ /
इससे मेरा है खून का रिश्ता /
मैं ग़ज़ल को लहू पिलाता हूँ/
http://yehfizaa.blogspot.com/2007_12_23_archive.html
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