इस जीवन का जश्न मनाता रहता हूँ।
दिल में खुशी की राह बनाता रहता हूँ।।
मिलती है खुशी जिन-जिन कामों से,
उनकी एक फेहरिस्त बनाता रहता हूँ।
नटखट है दिल आवारापन की हद तक,
मान-मनौवल सदा चलाता रहता हूँ।
शीरत देखना सूरत पर मत जाना दोस्त,
दिल को मैं होशियार बनाता रहता हूँ।
जारी रहे जश्न जीवन का जीवन भर,
औरों को भी इसमें बुलाता रहता हूँ।।
-पंकज तिवारी
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6 कविताप्रेमियों का कहना है :
शुभ प्रभात,जश्न ज़िंदगी का जारी रखेंगे,बेहद सुंदर विचार और भाव है.बधाई
इतनी अच्छी कविता के लिए और नाव वर्ष के लिए ,
महक.
पंकज जी,
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति दी है..
मिलती है खुशी जिन-जिन कामों से,
उनकी एक फेहरिस्त बनाता रहता हूँ।
नटखट है दिल आवारापन की हद तक,
मान-मनौवल सदा चलाता रहता हूँ।
शीरत देखना सूरत पर मत जाना दोस्त,
दिल को मैं होशियार बनाता रहता हूँ।
बहुत बहुत बधाई
अच्छा लिखा है पंकज जी आपने--
ईश्वर करे आप को ढेर सारी खुशियाँ मिलें और सब के साथ मिल कर खूब जश्न मनाईये-
आप की इस सोच से सहमत हूँ कि आज कल की दौड़ती -भागती जिंदगी में इंसान यह भी भूल जाता है की उसे कब कहाँ कैसे खुशी मिलती है?और याद रखने के लिए फ़हरिस्त बनने की नौबत आ गयी-????-वाह !वाह !
खूब कहा आपने--
''मिलती है खुशी जिन-जिन कामों से,
उनकी एक फेहरिस्त बनाता रहता हूँ।''
शीरत देखना सूरत पर मत जाना दोस्त,
दिल को मैं होशियार बनाता रहता हूँ।
--- बहुत अच्छी |
नव वर्ष की शुभकामनाएं
अवनीश
पंकज जी दिल तो कमबख्त नटखट ही होता है, अब ये आप पर है की इसे कैसे काबू में रखें .
नटखट है दिल आवारापन की हद तक,
मान-मनौवल सदा चलाता रहता हूँ।
बढ़िया है, सच कहूँ तो गहराई का आभाव रहा आपकी कविता में थोड़ा और दम लगाना था.
खैर नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित
आलोक सिंह "साहिल"
नटखट है दिल आवारापन की हद तक,
मान-मनौवल सदा चलाता रहता हूँ।
सुंदर है यह पंक्ति !!
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