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Friday, January 11, 2008

स्वप्न का निमन्त्रण



इस तरह की कविता कभी नहीं लिखी है, आज प्रयास किया है।

राख के सूखे अधर पर आग रखकर
क्यों जलाया स्नेह का अंगार तुमने
वृक्ष काँटों का बना मैं सूखता था
फ़िर बरसकर क्यों पिलाया प्यार तुमने ।

प्रीत तेरी बह रही, है आज अविरल धार बनकर
औ' अधर अतृप्त मेरे जीर्णता का सार बनकर
ताकते थे प्यास चातक की लिये अपने हृदय में
एक भी पर बूँद बरसी क्या कभी मेरे निलय में
प्यार का व्रत तोड़ने को निज-नयन के बादलों से
आज क्यों बरसात कर पिघला दिया संसार तुमने

मैं फ़लक की सेज पर लिख-लिख सितारे थक चुका था
और मधु के पात्र में भी पीर भरकर चख चुका था
जब निराशा का वजन उम्मीद पर भारी पड़ा था
और अपनी चाहतों के सामने पर्वत खड़ा था
तब न जाने किस गली से कल्पना के पंख लेकर
क्यों कराया मुश्किलों का यह हिमालय पार तुमने

मैं न समझा था पराजय या कि जय का
अर्थ कोई भी हमारे प्यार में था
नाव तेरी जब किनारे चूमती थी
ढूँढ़ता तब मैं तुम्हें मँझधार में था
स्वप्न मेरे ! आज क्यों देकर निमन्त्रण
पत्थरों में साँस भरना चाहते हो
क्यों समय की पत्रिका पर प्यार लिखकर
तुम मुझे इतिहास करना चाह्ते हो ?

लोग कहते हैं ,मोहब्बत बावरी है
आदमी को यह नहीं पहचानती है
पर न समझा जग, मोहब्बत नूर वह है
आदमी को जो ख़ुदा कर डालती है ।
मीत मेरे , इस हृदय पर हाथ रखकर
क्यों दिखाया स्वर्ग का यह द्वार तुमने
वृक्ष काँटों का बना मैं सूखता था
फ़िर बरसकर क्यों पिलाया प्यार तुमने ।

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13 कविताप्रेमियों का कहना है :

Alpana Verma का कहना है कि -

***तब न जाने किस गली से कल्पना के पंख लेकर
क्यों कराया मुश्किलों का यह हिमालय पार तुमने
और -
****स्वप्न मेरे ! आज क्यों देकर निमन्त्रण
पत्थरों में साँस भरना चाहते हो
क्यों समय की पत्रिका पर प्यार लिखकर
तुम मुझे इतिहास करना चाह्ते हो ?
*वाह ! वाह! वाह!
*सुंदर ,सरल ,सरस कविता .
*इस रस में कविता लिखने का आप का प्रयास सफल दिखता है .
*चुन चुन कर भावों को नरमी से ,शालीनता से सुंदर शब्दों की माला में पिरो दिया हो जैसे.
*कविता लम्बी है मगर अंत तक पढने वाले को बांधे रखती है.शीर्षक भी सटीक और आकर्षक है.
*बहुत सुंदर प्रस्तुति.बधाई...

गीता पंडित का कहना है कि -

"इस तरह की कविता कभी नहीं लिखी है, आज प्रयास किया है। "


आपका प्रयास बहुत ही सुखद रहा ।
मनो-भावों को सुंदरता से व्यक्त करती
आपकी रचना ने मेरा मन छू लिया ।

कई बार पढी...बहुत सुंदर रचना...आलोक जी

बधाई ।

Anonymous का कहना है कि -

mohobaat wo noor hai,admi ko khuda banaye,behad sundar bani hai ye rachana alokji.apka prayas safalta ki choti par kar gaya,ise hi sundar kavita aur padhne ko mile yahi aasha.

seema gupta का कहना है कि -

लोग कहते हैं ,मोहब्बत बावरी है
आदमी को यह नहीं पहचानती है
पर न समझा जग, मोहब्बत नूर वह है
आदमी को जो ख़ुदा कर डालती है ।
मीत मेरे , इस हृदय पर हाथ रखकर
क्यों दिखाया स्वर्ग का यह द्वार तुमने
वृक्ष काँटों का बना मैं सूखता था
फ़िर बरसकर क्यों पिलाया प्यार तुमने ।
" कमल कर दिया , इतने अच्छे शब्द कहां से मिले आपको, बहुत बहुत अच्छी रचना "

RAVI KANT का कहना है कि -

आलोक जी,
बहुत प्यारी रचना।

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

तुम इसे बोलो भले प्रयास 'शंकर'
कविता खड़ी है एक दम ही खास बनकर
प्रयास ऐसा है तो अपनी आस समझो
कोशिश तुम्हारी युग्म हित में रास समझो
शब्दों की महसूस करता हूँ कमी मैं
करता नही हूँ हास सच, विस्वास समझो

सच आलोक जी बहुत ही सुन्दर कविता है. कई बार पढा..
बहुत बहुत बधाई

आलोक साहिल का कहना है कि -

आलोक shankar जी बहुत दिनों बाद आपको पढ़ा. बहुत ही pyari रचना है, anand आ गया.
मैंने सोचा की मैं भी कई dafe padhun pert सच कहूँ इतने sidhe tarike से बातों को कहा गया है की कई bar पढने की जरुरत ही नहीं पड़ी.
बधाई हो
आलोक सिंह "साहिल

शोभा का कहना है कि -

आलोक जी
कविता बहुत ही भावपूर्ण है । दिल की गहराइयों से लिखी लगती है ।
प्रीत तेरी बह रही, है आज अविरल धार बनकर
औ' अधर अतृप्त मेरे जीर्णता का सार बनकर
ताकते थे प्यास चातक की लिये अपने हृदय में
एक भी पर बूँद बरसी क्या कभी मेरे निलय में
प्यार का व्रत तोड़ने को निज-नयन के बादलों से
आज क्यों बरसात कर पिघला दिया संसार तुमने

कलापक्ष कहीं-कहीं कमजोर लगा है ।

विश्व दीपक का कहना है कि -

अगर आपकी रचना को अतुलनीय कहूँ तो निस्संदेह कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। आप कह रहे हैं कि यह आपका प्रथम प्रयास है , लेकिन पढने पर ऎसा भान तो नहीं होता। वैसे बड़े कवियों की यही पहचान होती है।
आप इस तरह हीं हिन्द-युग्म के पटल पर आते रहें और हमारा मार्गदर्शन करते रहें।

-विश्व दीपक 'तन्हा'

Alok Shankar का कहना है कि -

तन्हा भाई,
मैं युग्म के पटल से गया कहाँ था ,
मैं तो यहीं हूँ ;)

Mohinder56 का कहना है कि -

आलोक जी,

वाह.. सुन्दर

Anonymous का कहना है कि -

वाह.. सुन्दर लिखी है....आपकी रचना ने मेरा मन छू लिया hu hu hu..... copy kar ke likha hai

Unknown का कहना है कि -

kalpana ke paar jaao, sapno ko sakar karo
kis soch mein dube ho kavi, champayi adharon ka paan karo!

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