हिन्द-युग्म सीखने-सिखाने का मंच रहा है। हमारी हमेशा से कोशिश रही है कि हम स्तरीय साहित्य पाठकों तक पहुँचा पायें। रचनाकारों की लेखनी इतनी पारंगत हो जाये कि वो एक उदाहरण बन जाये। इसलिए कभी मासिक समीक्षा के द्वारा, कभी साप्ताहिक समीक्षा के द्वारा तो कभी अनुभवी साहित्यकारों को मंच पर लाने की कोशिश की है।
बहुत से अनुभवी पाठकों व साहित्यकारों का मानना रहा है कि रचनाओं में शिल्पगत् त्रुटियाँ हैं। चाहे हिन्द-युग्म के नई उम्र के ग़ज़लकार हों या परिपक्व उमर के, ग़ज़ल के शिल्प में त्रुटियों को बिलकुल समाप्त नहीं कर पाये हैं। हिन्द-युग्म को व्यक्तिगत तौर पर ऐसे कई ईमेल मिले है, जिसमें पाठकों ने ग़ज़ल सीखने की इच्छा ज़ाहिर की है।
हिन्द-युग्म के कार्यकर्ता जब विश्व व्यापार मेला २००७ में 'इंटरनेट और हिन्दी' पर सर्वेक्षण कर रहे थे तब भी बहुत से लोगों ने कहा कि उन्हें ग़ज़ल लिखने सीखना है।
हम बहुत समय से एक ग़ज़लशिक्षक की तलाश में थे। और हमें यह बताते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है हिन्द-युग्म हिन्दी सेवा के अपने अध्याय में यह नया पाठ जोड़ रहा है।
अब हिन्द-युग्म के पाठक ग़ज़ल (विशेषरूपेण हिन्दी ग़ज़ल) को शुरूआत से जान पायेंगे, समझ पायेंगे और सीख पायेंगे।
हिन्द-युग्म को पंकज सुबीर के रूप में यूनिग़ज़लशिक्षक मिला है। पंकज सुबीर जी प्रत्येक मंगलवार और शुक्रवार को अपनी कक्षाएँ लेंगे। अपने निजी ब्लॉग पर वो पहले से भी इस तरह की कक्षाएँ लेते रहे हैं। यहाँ नये सिरे से पुनः कक्षाएँ शुरू होंगी।
हम शंका और समाधान की पद्धति पर आगे बढ़ेंगे।
पाठकों से निवेदन है कि वो संबंधित पाठ पर अपनी शंकाएँ टिप्पणियों के माध्यम से प्रकाशित करें। जिन्हें टिप्पणियाँ करनी नहीं आती वो यहाँ से मदद ले सकते हैं। पाठक अपनी बात को निःसंकोच रखें, छोटी से छोटी बात पूछने में न हिचकिचायें। जब पंकज जी नया पाठ आरम्भ करेंगे तो पुराने पाठ पर उपलब्ध शंकाओं के समाधानों से साथ चर्चा को आगे बढ़ायेंगे।
कोशिश करें कि मंगलवार के पाठ पर अपनी शंकाएँ वृहस्पतिवार की सुबह तक और शुक्वार के पाठ पर अपनी समस्याएँ सोमवार की सुबह तक ज़रूर कमेंट कर दें।
आपके आस-पास, आपके ईमेल संपर्क में कोई भी ग़ज़ल-लिखना सीखना चाहता हो तो कृपया उसे इसकी सूचना दें।
पंकज सुबीर- एक परिचय
कहानीकार के रूप में पंकज सुबीर की कहानियाँ बहुचर्चित हंस, वागर्थ, नया ज्ञानोदय, कादम्बिनी, लफ्ज, आधारशिला
जैसी पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। दैनिक भास्कर, नव भारत, नई दुनिया आदि समाचार पत्रों में 100 से भी अधिक कहानियाँ, व्यंग्य, ग़ज़ल और कविताएं प्रकाशित हो चुकी हैं मप्र उर्दू अकादमी के मुशायरों में ग़ज़ल पाठ तथा कहानी पाठ कई बार किया है। पेशे से पत्रकार और कम्प्यूटर हार्डवेयर इंजीनियर है। इलेक्ट्रानिक मीडिया के लिये फ्रीलांसगि करते हैं। ग़ज़ल के व्याकरण पर कार्य कर रहे हैं और आम बोल चाल की भाषा में ग़ज़ल का व्याकरण लाना चाहते हैं। गज़ल के पिंगल शास्त्र पर कार्यरत तथा उसको हिंदी में किताब के रूप में लाने पर कार्य कर रहे हैं । कवि के रूप में कई अखिल भारतीय कवि सम्मेलन के मंचों पर ओज के कवि के रूप में काव्य पाठ कर चुके हैं तथा मंच संचालन भी। अपने ब्लाग सुबीर संवाद सेवा पर वर्तमान में पिछले छ: सात माह से ग़ज़ल सिखाने का काम कर रहे हैं जिससे कई सारे सीखने वाले लाभान्वित हुए हैं । अपना स्वयं का कम्प्यूटर हार्डवेयर तथा ग्राफिक्स प्रशिक्षण केंद्र चलाते हैं । एक प्रकाशन शिवना प्रकाशन के प्रकाशक जो कि साहित्यिक पुस्तकों के प्रकाशन का कार्य करता है जिसके तहत आज तक तीन काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं तथा
दो काव्य संग्रह पर कार्य चल रहा है । सीधी हिंदी में ग़ज़ल लिखने के हिमायती हैं उर्दू और फारसी के मोटे-मोटे तथा कठिन शब्दों की जगह हिंदी के शब्दों को उपयोग करने पर जोर देते हैं । वैसे कहानीकार के रूप में अधिक चर्चित
हैं तथा भारतीय भाषा परिषद ने लगातार दो बार युवा पीढ़ी के लेखकों की सूची में स्थान देते हुए तथा ज्ञानोदय ने एक बाद युवा विशेषांक में स्थान दिया है।
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27 कविताप्रेमियों का कहना है :
हिन्द-युग्म के साथ ग़ज़ल-लिखना सीखें" एक बहुत अच्छी शुरुआत है, इस प्रयास से हमे बहुत फयदा होगा, और लिखने मे सुधार होगा और नये कवियों का जनम होगा.
पंकज सुबीर जी का बहुत बहुत धन्यवाद जिन्होंने आपना कीमती समय हम लोगों को देने का निर्णय लिया है .
Regards
इस नए कदम का स्वागत है|
अवनीश
हिंद युग्म द्वारा बहुत अच्छी पहल है। पंकज सुबीर जी का बहुत धन्यवाद।
behad achhi pehel hai,hum jaise nadano ko kafi fiada hoga,jo ghazal ke deewani hai,par likh nahi pate.swagat hai.
पंकज जी,
हिन्द-युग्म के मंच पर आपका हार्दिक स्वागत है। मैं समझता हूँ कि आपके इस प्रयास से लेखकों और पाठकों का एक बहुत बड़ा वर्ग लाभान्वित होगा।
साधुवाद।
स्वागत है गुरुवार, यकीनन आपका आगमन एक शुभ संकेत है
बहुत ही अच्छी बात है यह तो ..बहुत कुछ सीख पाएंगे अब मेरे जैसे लिखने वाले भी !!
आप सभी का धन्यवाद मैं प्रयास करूंगा कि आपकी उम्मीदों पर खरा उतर सकूं । मैं हमेशा से ये प्रयास करता हूं कि आसान भाषा में समझाऊं और इस प्रकार से कि सभी को समझ में आ जाए । खैर अगले सप्ताह से मिलते हैं हम और आप ।
पंकज जी,
सभी को आप के प्रशिक्षण से बहुत लाभ होगा.यह तो निश्चित है.
आप की कक्षाओं का इंतज़ार रहेगा.
हिन्दयुग्म के सराहनीय प्रयास के लिए बधाई.
यह कड़ी शुरू कर के आप बहुत ही अच्छा काम कर रहे हैं.
क्या अच्छा हो सरल विधि से बताने वाली एक कड़ी कविताओं के भेद और लेखन की शैली और शिल्प आदि पर भी पढने को मिल जाए.
शुभकामनाओं सहित.
पंकज सुबीर जी सिखाएंगे हमें गज़ल
पंकज सुबीर जी सिखाएंगे हमें गज़ल
वो शायरों की अब बढ़ायेंगे जरा अकल
लिखना गज़ल न जानिये कुछ काम है आसान
सुधरेगी अब हमारी गज़लों की भी कुछ शकल
जब फ़ख्र से कहेंगे महारत हमें मिली
जाने कभी तो आयेगा ऐसा भी कोई कल
काबिल हमें उस्ताद जी पायेंगे या नहीं
शागिर्दगी को हम तो अब घर से पड़े निकल
ग़ालिब हो चाहे दाग़ या हो ज़ौक या फ़िराक
वाज़िब नहीं ख़लिश करें हम और की नकल.
महेश चन्द्र गुप्त ख़लिश
१० जनवरी २००८
मै व्यक्तिगत रूप से ग़ज़ल का बहुत प्रशंशक हू ..
और अगर कोई मुझे मजाक मै भी कह दे की मै तुझे बताता हू ग़ज़ल के बारे मै तो मै तो उसके हाथ जोड़ देता हू.
इस से अच्छा सुअवसर हमारी जिंदगी मै भगवान करे बार बार आये और हम सबकी दिली ख्वाइश पूरी हो..
गुरूजी को प्रथम नमन !!!!!!!!!!!!
साथ ही हिंद युग्म के सारे साथियो के शुक्रिया ......
सादर
शैलेश
आयीये मेहरबान....
स्वागत है.
नीरज
kya koi muzhe Nazim HIkmat ki hindi me translated kavitayen paane ka srot bata sakte hai. mai aapka aabhari rahunga.. Vijendra
पंकज सुबीर जी का हार्दिक स्वागत है!
पंकज जी,
हिन्द-युग्म पर आपका स्वागत है। निस्संदेह हमें आपसे सीखने को बहुत कुछ मिलेगा।
-विश्व दीपक 'तन्हा'
bahut hi umada jaankari pesh ki hai jenaab nojawaan shayaron ke liye aapka ye kaam behad sarahniy hai is aage bhi jaari rakhe to hum jaise nosakhiyon ko faayda milega
sadhnyawaad
welcome sir
alok singh "Sahil"
हिन्दी में गजल , हिन्दी उर्दू का सम्मिलन ही है . छंद बद्ध कविता का आनन्द ही भिन्न होता है . छंद बद्ध रचना वाचक , श्रुत परम्परा का निर्वहन भी बेहतर तरीके से करती है . काव्य गोष्ठी को कवि सममेलन में बदलने की क्षमता भी इसी में समाहित है . पंकज जी के औदार्य , व हिन्द युग्म के सद्प्रयास की सराहना करता हूँ .
स्वागत है सुबीर भाई आपको यहाँ देखकर बेहद खुशी हुई...हम लेट लतिफ़ छात्र है आपके...:)
bhatut khoo idea hai gazal ko shikhane ka.i like it
निसंदेह यह एक सराहनीय प्रयास हैं
इसके जरिये हम जैसे शौकिया ग़ज़ल लेखकों को बहुत सहायता मिलेगी
और हमारा लेखन और ज्यादा सशक्त होगा
बस सभी विद्यार्थियों से अनुरोध हैं की मन लगा कर पढिएगा
आप का
विपिन चौहान "मन"
बहुत ही मुशिकिल काम लगता है :)अब कुछ हिम्मत बधीं ।
गुरुगी प्रणाम
गजल सफर कैसे पडा जा सक्ता हे ?
2010 जून विशेषांक सबसे बुरे और रचनात्मकता के नाम पर दीवालिया टायप के युवा लेखकों – लेखिकाओं की कहानियों से भरा है. ज्योति चावला से कहें कि वह सरिता या गृह्शोभा या मेरी सहेली में लिखे, या फिर ज्ञानोदय भी अब प्रेम , बेवफाई, प्रेम अपराध, यौन कथा, तंत्र – मंत्र, विशेषांक के स्तर पर गिरने को है बस प्रतीक्षा करे.
उमा शंकर खुद तो टीक लिख ले फिर श्रीमति को लॉंच करे.
45 साल की इठलाती, युवा लेखकों की लीडरी करती युवा लेखिका वन्दना राग...अरे! क्या बात कर रहे हैं वन्दना राग को कालिया कहाँ अपमानित कर सकता है.अपनी घटिया कहानियाँ वो कहीं भी छ्पा सकती हैं, तहलका हो कि ज्ञानोदय. कमला जी तो वसुधा में उन्हें हर अंक में छाप दें. वो धडाधड हर अंग पर कहानी लिख रही हैं, नाक, कान, आँख, काँख, होंठ, गला..वक्ष…. संपादकों छापो उन्हें. वह तो पति के पद की गरिमा और गौरव अपने कन्धे पर लिए चलती हैं, अभी वो पंकज के साथ कालिया जी से मिलने दफ्तर आई थीं मैं संयोग से वहीं था, गर्व छलका जा रहा था, कालिया जी लपर – लपर…. और उनकी कहानी युवा विशेषाँक में आई है. वह बात अलग है कि लोग अब किसी और अंग की प्रतीक्षा
मै काभी सालों से लिख रहा हूँ मै भी गजल सीखना चहता आपका आर्धिक
स्वागत है ,इस कोशिश से में भी गजल सीख सकता हूँ आपका बहुर बहुत घन्यवाद जी
रघुबीर अग्रवाल
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